B'DAY स्पेशल: कैसे बने धोनी से कैप्टन कूल, जानते हैं उनके जीवन के अनुछए फैक्ट
इस ट्रॉफी में टॉस जीतकर बिहार ने बल्लेबाजी करते हुए 357 रन बने, जिसमे धोनी ने 12 चौकों और दो छक्कों की मदद से सर्वाधिक 84 रन बनाए थे। धोनी ने इस टूर्नामेंट में 9 मैचों में 488 रन बनाए थे और इस टूर्नामेंट के बाद उनको पहली श्रेणी में खेलने का मौका मिला था
जयपुर: महेंद्र सिंह धोनी इंडियन क्रिकेट टीम का जाना माना नाम है जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उन्हें लोग माही और धोनी नाम से भी पुकारते है। वैसे तो हम सब जानते है कि धोनी एक अच्छे बल्लेबाज और बेहतरीन विकेटकीपर है। धोनी आज क्रिकेट की दुनिया में चमकता सितारा भले है, लेकिन उनका बीता हुआ कल कड़ी मेहनत, दुख दर्द के बाद मिली कामयाबी को बयां करता है।धोनी को कैप्टन कूल भी कहा जाता है। इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तान धोनी ने 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप में जीत दिलाई और अपनी कप्तानी से टेस्ट और वनडे मैचों में इंडिया को शिखर पर पहुंचा दिया था। उनके जानने वालों का कहना है कि धोनी बेहतरीन प्लेयर के साथ बेहतर इंसान भी है। वो जीत को खुद की जीत नहीं मानते है, बल्कि पुरी टीम को इसका श्रेय देते है जिसके कारण टीम के सभी खिलाड़ी भी उनका सम्मान करते है ।
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महेंद्र सिंह धोनी फिलहाल वर्ल्ड कप खेल रहे हैं। ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि यह मैच उनके जीवन का आखिरी मैच है।शायद वर्ल्ड कप के बाद धौनी क्रिकेट से सन्यास ले सकते हैं। महेंद्र सिंह धोनी के जीवन के उतार चढ़ाव के बारे में...
बचपन की मुफलिसी
आज धोनी के पास दुनिया की तमाम दौलत भले है, लेकिन उनका बचपन बहुत ही मुफलिसी में बीता। धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची के मेकन कॉलोनी में रहने वाले फोर्थ ग्रेड कर्मी पान सिंह के घर में हुआ था। धोनी के पिता का नाम पान सिंह है जो अल्मोड़ा जिले के तलासलाम गांव के रहने वाले थे।काम की तलाश में अल्मोड़ा की सुंदर पहाडियों को छोड़ में लखनऊ आए। फिर रांची गये। जहां उनको मेकन में नौकरी मिली। शुरुआती दिनों में धोनी के पिता को भी दिहाड़ी मजदूरी करनी पड़ी थी, लेकिन बाद में पदोन्नति हो गयी थी। धोनी की मां का नाम देवकी देवी है। उनका एक बड़ा भाई भाई नरेंद्र और एक छोटी बहन जयंती है। जो टीचर है।
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कैसे पड़ा क्रिकेट से वास्ता
धोनी के पिता श्यामली कॉलोनी में जल सप्लाई के लिए पम्प ऑपरेटर का काम थे जहां पर डीएवी जवाहर मंदिर,श्यामली है। इसी स्कूल से धोनी ने पढ़ाई की है। क्रिकेट से धोनी का नाता पहली बार तब पड़ा जब 1984 में रणजी ट्राफी के दौरान अपने पिता के साथ रांची के स्टेडियम में जाते थे उनके पिता को वहां जलापूर्ति का काम दिया गया था। उस वक्त उनकी उम्र महज 4-5 साल रही होगी। धोनी बचपन में एडम गिलक्रिस्ट के बहुत फैन रहे है। सचिन और लता मंगेशकर के भी मुरीद है।
धोनी का पहला प्यार
आज दुनिया धोनी को भले ही सफल क्रिकेटर को रूप में जानें,लेकिन बचपन में उनको फुटबॉल खेलना पसंद था और वे एक अच्छे फुटबॉलर भी थे। शायद बेहतरीन फुटबॉलर होने की वजह से ही उन्हें अच्छा विकेटकीपर बनने में मदद मिली।इसके अलावा धोनी बैडमिंटन के भी माहिर खिलाड़ी थे जिसके कारण उनका जिला स्तर पर इन खेलो में चुनाव कर लिया जाता था ।
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स्पोर्टस टीचर ने दिया क्रिकेट का सितारा
कहते है अगर किस्मत बदलनी हो तो उसे बदलने में पूरी कायनात मिल जाती है। कुछ ऐसा ही मासूम सात साल के धोनी के साथ हुआ। ये पहले ही बताया कि धोनी फुटबॉल खेलते थे और अपनी टीम गोलकीपर थे। इस छोटी सी उम्र में उनके जीवन में एक मोड़ आया जिससे वो फुटबॉल की जगह क्रिकेट खेलने लगे।
हुआ ये कि उनके खेल प्रशिक्षक केशव चन्द्र बेनर्जी ने क्रिकेट में नियमित विकेटकीपर के प्रजेंट नहीं रहने के कारण धोनी को विकेटकीपिंग करवाने लग गए थे क्योंकि फुटबॉल में गोलकीपर के लिए विकेटकीपिंग करना आसान था | धोनी इससे पहले कभी क्रिकेट नहीं खेले थे, लेकिन क्रिकेट में आने के बाद 2-3 साल तक लगातार विकेटकीपिंग करते रहे थे और कमांडो क्रिकेट क्लब के रेगुलर विकेटकीपर बन गये थे। जब विकेटकीपिंग के बाद उनकी बल्लेबाजी की बारी आई तो उसमे भी उन्होंने कमाल कर दिया था धोनी दसवी क्लास के बाद क्रिकेट में ज्यादा ध्यान देने लग गए थे।
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क्रिकेटर बनने से पहले देखे कई दौर
धोनी ने 2001 से 2003 तक वो खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर टीटी का काम भी किया। जो ग्रेड 9 श्रेणी की नौकरी थी जो मिडिल क्लास फैमिली के लिए सम्मान की बात थी। धोनी ने 1998-99 सत्र में बिहार के अंडर 19 टूर्नामेंट खेले थे जहां पर उन्होंने आठ पारियों में 185 रन बनाए थे। 1999-2000 में बिहार फाइनल में पहुंचा और धोनी को क्रिकेट नायडू ट्रॉफी में खेलने का मौका मिला था।इस ट्रॉफी में टॉस जीतकर बिहार ने बल्लेबाजी करते हुए 357 रन बने, जिसमे धोनी ने 12 चौकों और दो छक्कों की मदद से सर्वाधिक 84 रन बनाए थे। धोनी ने इस टूर्नामेंट में 9 मैचों में 488 रन बनाए थे और इस टूर्नामेंट के बाद उनको पहली श्रेणी में खेलने का मौका मिला था
मांगी हुई किट और बहन की चाऊमीन के साथ होती थी प्रैक्टिस
टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के पास करोड़ों की संपत्ति, दर्जनों बल्ले और शानदार किट हो, लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब वो बड़ी बहन के हाथ बनी चाऊमीन को टिफिन में भरकर उधार की किट के साथ अभ्यास करने जाते थे । धोनी के करीबी लोगों और मित्रों को कहना है कि वे ऐसे व्यक्ति है जिसने जमीन और आसमान दोनों का सफर देखा है।
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