IND vs SA T20 Series: बाराबती किला, स्टेडियम और एक रुपये वाली की लाटरी

IND vs SA T20 Series: कटक स्थित बाराबती स्टेडियम भारत के सबसे पुराने क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है। इस स्टेडियम के निर्माण और प्राचीन बाराबती किले की कहानी बहुत रोचक है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2022-06-11 20:37 IST

IND vs SA T20 Series 2022 (image credit internet)

IND vs SA T20 Series: कटक स्थित बाराबती स्टेडियम भारत के सबसे पुराने क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है। इस स्टेडियम के निर्माण और प्राचीन बाराबती किले की कहानी बहुत रोचक है। दरअसल गंग राजवंश के राजाओं ने सन 1237 के आसपास बाराबती गांव और एक किला स्थापित किया था। महानदी और कतजोड़ी नदी जहां अलग अलग होती हैं वहीं ये किला बनाया गया। 

इस किले का जिक्र आइने अकबरी में भी आया है। जिसमें लिखा है कि चालुक्य राजवंश के राजा महेंद्र देव ने इस किले में अपना महल बनाया था। बहरहाल, समय के साथी इस किले की स्थिति बदलती गई, मुगलों और अंग्रेजों ने यहां कब्जा करने की कोशिशें कीं। उड़िया विद्रोहियों ने इस किले के लिए संघर्ष किये, जानें दीं।

आजादी के बाद इतिहासकार तथा ओडिशा के मुख्यमंत्री हरेकृष्ण महताबी ने उड़िया शहीदों के लिए बाराबती में एक महान स्मारक बनाने की परिकल्पना की। वह पूरे क्षेत्र को परिवर्तित करने और किले के चारों ओर एक विशाल खेल परिसर बनाना चाहते थे।

अगस्त 1948 की बात है, कटक में भवानीपुर फुटबॉल क्लब और उड़ीसा इलेवन के बीच फुटबॉल मैच खेला जाना था। हरेकृष्ण महताबी को इस कार्यक्रम का उद्घाटन करना था। छोटे से मैदान में दर्शकों की भारी भीड़ थी। ये देखकर महताबी चौंक गये और वहीं पर ही उन्होंने घोषणा की कि बहुत जल्द कटक में एक बड़ा स्टेडियम और खेल परिसर बनाया जाएगा। 

बिना देरी किये बाराबती किले के पूर्व की तरफ़ 20 एकड़ भूमि स्टेडियम के लिए निर्धारित कर दी गई। स्टेडियम निर्माण के लिए 1 लाख रुपये की राशि भी स्वीकृत की गई। 1950 में बाराबती स्टेडियम का शिलान्यास किया गया और निर्माण कार्य शुरू किया। 

स्टेडियम के निर्माण के संबंध में प्रभारी बनाया गया ओडिशा के एक उप मंत्री भैरब मोहंती को।बाद में मोहंती इस प्रोजेक्ट से भावनात्मक रूप से जुड़ गए। यह वास्तव में एक बड़ी परियोजना थी जिसमें बड़े मैदान, क्लब हाउस, ऑडिटोरियम, घंटाघर और वास्तुकला की दृष्टि से समृद्ध मुख्य द्वार का प्रावधान किया गया।

खिलाड़ियों के ठहरने और मनोरंजन की सुविधाओं की बेहतरीन सुविधा बनाई जानीं थीं। ये बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था सो बहुत महंगा भी था। लेकिन गरीब ओडिशा सरकार इसे वहन करने की स्थिति में नहीं थी।

लॉटरी का आईडिया

पैसे की व्यवस्था करने के लिए बहुत विचार विमर्श हुए। मोहंती का एक आईडिया बाराबती रैफ़ल (लॉटरी) शुरू करने का था। 60 और 70 के दशक के अंत में, ओडिशा सरकार द्वारा रैफल्स पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और सरकार को अपना विचार बदलने के लिए बहुत प्रयास करना पड़ा। 

एक रुपये के टिकट वाली ये लाटरी 18 साल तक चली और इसके 37 ड्रॉ रहे। ओडिशा के अलावा बिहार, बंगाल में भी ये लाटरी बेची जाती थी। लाटरी के प्रॉफिट से स्टेडियम का निर्माण किया गया। और इस तरह भारत का पहला क्राउडफंडेड क्रिकेट स्टेडियम सामने आया।

स्टेडियम बनाने में ओडिशा की जनता द्वारा एक रुपये का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। मोहंती नहीं रहे। लेकिन बाराबती स्टेडियम ने ओडिशा में खेल के केंद्र के रूप में और दुनिया के क्रिकेट मानचित्र में जगह पाकर उन्हें अमर बना दिया है।

फ्लडलाइट्स और आधुनिक सहायक सुविधाओं से लैस यह मनोरम स्टेडियम राज्य में विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने के लिए अच्छा राजस्व भी पैदा कर रहा है।

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