Maharashtra Politics: शरद पवार और अजित पवार का शक्ति प्रदर्शन, चाचा-भतीजे ने एक-दूसरे के गढ़ में दी दस्तक मगर सियासी हमल
Maharashtra Politics:चाचा और भतीजे के बीच चल रही इस जंग से महाराष्ट्र के लोग ही नहीं बल्कि दूसरे सियासी दलों के नेता भी काफी हैरान दिख रहे हैं।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में शरद पवार और अजित पवार के बीच चल रही सियासी उठापटक से समर्थक भी असमंजस की स्थिति में दिख रहे हैं। कभी दोनों नेता एक-दूसरे को पुचकारने की कोशिश करते हैं तो कभी दोनों शक्ति प्रदर्शन के जरिए यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि अभी भी लोगों का समर्थन उनके साथ जुड़ा हुआ है। चाचा और भतीजे के बीच चल रही इस जंग से महाराष्ट्र के लोग ही नहीं बल्कि दूसरे सियासी दलों के नेता भी काफी हैरान दिख रहे हैं।
शरद पवार ने एक दिन पहले अजित और उनके समर्थकों का गढ़ माने जाने वाले कोल्हापुर में रैली करके अपनी ताकत दिखाई तो अगले ही दिन अजित पवार ने भी शरद पवार के सियासी गढ़ और अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती में शक्ति प्रदर्शन के जरिए यह साबित करने की कोशिश की कि एनसीपी कार्यकर्ताओं का समर्थन अभी भी उनके साथ है। हालांकि इस दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर सीधा हमला करने से परहेज किया।
चाचा के गढ़ में भतीजे ने दिखाई ताकत
गत दो जुलाई को अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने के बाद अजित पवार पहली बार बारामती दौरे पर पहुंचे तो उनके साथ समर्थकों का भारी हुजूम था। समर्थकों की ओर से पुष्प वर्षा के साथ ही उन्हें बड़ी माला पहनाई गई। बारामती में रैली करने से पहले अजित पवार ने चार घंटे तक रोड शो के जरिए भी अपनी ताकत दिखाई।
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उल्लेखनीय बात यह है कि अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा और बेटे पार्थ के साथ बारामती में शक्ति प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे थे। बारामती को शरद पवार का सियासी गढ़ माना जाता रहा है और अजित पवार ने यहां रैली करके यह साबित करने का प्रयास किया कि शरद पवार के सियासी गढ़ के कार्यकर्ता भी मेरे साथ हैं।
विकास के लिए चुना अलग रास्ता
बारामती के कार्यक्रमों के दौरान अजित पवार का भाषण भी उल्लेखनीय रहा। कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बावजूद अजित पवार ने शरद पवार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला। वैसे इस दौरान उन्होंने अपने बगावत के फैसले को जायज ठहरने की कोशिश जरूर की। उन्होंने समर्थकों के बीच अपने कार्यों का ब्योरा देते हुए कहा कि कभी-कभी विकास के लिए अलग रास्ता चुनना पड़ता है।
बगावत के बाद महाराष्ट्र का डिप्टी सीएम बनने वाले अजित पवार ने कहा कि कोई कुछ लोग मेरे फैसले के लिए मेरी आलोचना जरूर करेंगे मगर युवा पीढ़ी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि मैं बारामती के विकास के लिए यह बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी मजबूरी में कुछ बड़े फैसले लेने पड़ते हैं। मैंने अपने फैसले के जरिए विकास की राजनीति को आगे बढ़ने का काम किया है। अपने संबोधन के दौरान अजित पवार ने पीएम मोदी को आदर्श बताते हुए कहा कि वे देश को विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
हालांकि अपने संबोधन के दौरान अजित पवार ने शरद पवार के दो फैसलों पर सवाल जरूर उठाए। उन्होंने कहा कि 2004 और 2019 के चुनाव के बाद पार्टी के पास मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करने का मौका था मगर पार्टी नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी नहीं की गई।
अजित को दूसरा मौका नहीं देंगे शरद पवार
दूसरी ओर कोल्हापुर में अपनी रैली के दौरान शरद पवार ने कहा कि अब अजित पवार को अपनी गलती सुधारने के लिए दूसरा मौका नहीं मिलेगा। शरद पवार ने यह भी कहा कि वे अपने भतीजे अजित पवार के विधानसभा क्षेत्र बारामती में कोई रैली नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं, विधायकों या लोगों के समूह का मतलब पूरी पार्टी नहीं होता। मैं पार्टी का राष्ट्रीय नेता हूं और राज्य स्तर पर पार्टी की कमान जयंत पाटिल ने संभाल रखी है।
वैसे हाल ही में शरद पवार ने अजित पवार को अपने ही पार्टी का नेता बताते हुए पार्टी में किसी भी प्रकार के विभाजन या फूट की बात से इनकार कर दिया था। शरद पवार की बेटी और राज्यसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने भी कहा था कि पार्टी में किसी भी प्रकार का विभाजन नहीं हुआ है और अजित पवार हमारे ही पार्टी के नेता है।
हालांकि बाद में शरद पवार अपने बयान से पलट गए थे और उनका कहना था कि मीडिया ने मेरे बयान को गलत तरीके से सामने रखा है। शरद पवार और अजित पवार के बीच चल रही नूराकुश्ती से महाराष्ट्र के आम लोगों के साथ ही सियासी दलों के नेता भी कंफ्यूजन की स्थिति में दिख रहे हैं और दोनों नेताओं के अगले सियासी कदम का इंतजार कर रहे हैं।