Sachin Tendulkar: अपने पिता को लेकर आज भी इमोशनल हैं सचिन तेंदुलकर, वर्ल्ड 1999 में इस तरह दी थी श्रद्धांजलि
Ramesh Tendulkar Sachin Tendulkar: मेरे पिता हमेशा देखभाल करने वाले थे लेकिन कभी सख्त नहीं थे, उन्होंने मुझे यह चुनने दिया कि मैं जीवन में क्या करना चाहता हूं
Ramesh Tendulkar Sachin Tendulkar: भारतीय क्रिकेट टीम को आज दुनिया भर में जो पहचान मिल रही है, उसके पीछे का एक मेजर कारण क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) भी हैं। जिन्होंने विश्व क्रिकेट में खुद के साथ-साथ देश की भी बहुत बड़ी छाप छोड़ी है। हालांकि उनकी क्रिकेट जर्नी भी बेहद कठिन थी। खास कर तब जब उनके पिता का निधन वर्ल्ड कप के ठीक बीच में हुआ था। वह आज भी अपने पिता को वैसे ही प्यार करते हैं, जैसे पहले करते थे।
सचिन तेंदुलकर ने पिता को किया याद
आपको बताते चलें कि सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के पिता स्वर्गीय श्री रमेश तेंदुलकर का आज यानी 18 दिसंबर को जन्मदिन है। आज के दिन सचिन तेंदुलकर ने भी उन्हें याद किया और उनके नाम एक खास ट्वीट भी किया। जिसमें उन्होंने अपने पिता को लेकर तमाम भावनाएं व्यक्त की और उन्हें आज के दिन तक याद करने की भी बात कही है।
इस भावुक संदेश में सचिन तेंदुलकर ने लिखा, “मेरे पिता हमेशा देखभाल करने वाले थे लेकिन कभी सख्त नहीं थे। उन्होंने मुझे यह चुनने दिया कि मैं जीवन में क्या करना चाहता हूं और मेरे सपनों को हासिल करने की मेरी खोज में बिना शर्त मेरा समर्थन किया। मुझे लगता है कि जिस तरह से उन्होंने अपने सभी बच्चों का पालन-पोषण किया- हमेशा हमें प्यार और आज़ादी दी - वह पालन-पोषण के लिए एक उत्कृष्ट सीख है। उनकी सोच अपने समय से आगे की थी और यही लाखों कारणों में से एक है कि मैं उनसे इतना प्यार करता हूं। वह ही है जिसके कारण मैं हूं। जन्मदिन मुबारक हो बाबा. मुझे तुम्हारी हर रोज़ याद आती है।”
गौरतलब है कि सचिन तेंदुलकर और उनके पिता का रिश्ता काफी गहरा था। उनके पिता ने शुरू से ही सचिन को क्रिकेट के लिए काफी सपोर्ट भी किया था। मगर जब सचिन तेंदुलकर के लिए सबसे बड़ा दिन था। उसी दिन उनके पिता का निधन भी हो गया, जी हां हम बात कर रहे हैं वनडे इंटरनेशनल वर्ल्ड कप 1999 की। उस दौरान सचिन को जीवन का सबसे बड़ा झटका लगा था।
लेकिन उन्होंने तब भी अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए वर्ल्ड कप खेला और पिता के निधन के तुरंत बाद ही केन्या के खिलाफ एक नाबाद शतकीय पारी खेलकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह घटना आज भी कोई भी क्रिकेट फैन नहीं भूल पा रहा है। क्योंकि उस वर्ल्ड कप में सुपर-6 में पहुंचने के लिए केन्या को हराना बेहद जरूरी था और देश के लिए सचिन ने बेहद बड़ा योगदान भी दिया।