पिता के विरोध के बावजूद बेटा बना नेशनल निशानेबाज, अब पिता ने दिया ये बड़ा गिफ्ट

पिता के विरोध के बावजूद एक बेटे ने चोरी छिपे निशानेबाजी को अपना करियर चुन लिया। पिता को सिर्फ निशानेबाजी का शौक था, लेकिन उन्होंने परिवार का खर्च चलाने के लिए लोहे की पाइप का बिजनेस शुरू किया।

Update: 2019-01-08 12:33 GMT

शाहजहांपुर: पिता के विरोध के बावजूद एक बेटे ने चोरी छिपे निशानेबाजी को अपना करियर चुन लिया। पिता को सिर्फ निशानेबाजी का शौक था, लेकिन उन्होंने परिवार का खर्च चलाने के लिए लोहे की पाइप का बिजनेस शुरू किया। इसके बाद उन्होंने अपने बेटों को भी बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए लगाया। लेकिन बेटे ने बिजनेस करने से इंकार कर दिया और निशानेबाजी का अपना करियर बनाया। वह साल 2017 में पहला मेरठ मे होने वाले शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद उसका हौसला बढ़ा और उसने 11 मेडल अपने नाम कर लिए। बेटे की कामयाबी देखकर पिता और भाई ने घर के अंदर ही दस मीटर का साउंड प्रूफ शूटिंग रेंज बनाकर खिलाड़ी बेटे को गिफ्ट कर दिया।

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बिजनेस संभालने की बात सुन नाराज हो गए विशू

दरअसल थाना सदर क्षेत्र के बहादुरगंज निवासी विनोद के दो बेटे हैं। विनोद लोहे के पाईप का बिजनेस करते हैं। उनका बेटा विशू गुप्ता ने शुरूआती पढ़ाई यहां के सेंटपाल इंग्लिश मीडियम स्कूल से की है। उसके बाद विनोद ने अपने बेटे को दिल्ली में पढ़ाई करने के लिए भेज दिया। उसके बाद विशू अपने शहर 20 साल बाद लौटकर घर वापस आया। इसी बीच 2017 मे विशू ने पिता को फोन पर कहा कि उसे निशानेबाजी का शौक है। निशानेबाजी को ही अपना करियर बनाना चाहता है, लेकिन पिता ने इसका विरोध किया और बिजनेस को संभालने की बात की जिसे सुनकर विशू नाराज भी हुआ था।

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नेशनल टीम मे जगह बनाने की कोशिश जारी

विशू गुप्ता ने बताया कि 2017 मे मेरठ में ए शूटिंग चैंपियनशिप की प्रतियोगिता होनी थी। पता चलते ही उससे पचास दिन पहले हमने चोरी छिपे मेरठ जाकर एयर राइफल किराये पर ली और उससे अभ्यास किया। उसके बाद चैंपियनशिप का हिस्सा बने और वहां से गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद हमने घूमकर नहीं देखा, क्योंकि पहली बार में ही हमने गोल्ड मेडल जीत लिया था। जीत का सिलसिला कायम रखते हुए विशू ने 2018 में करणी सिंह मेमोरियल चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल हासिल किए। उसके बाद फिर मेरठ में प्री स्टेट में एक और गोल्ड जीतकर उपलब्धि हासिल की। उसके बाद 11 स्टेट की नार्थ जोन चैंपियनशिप पड़ाव पार कर विशू ने नेशनल खिलाड़ी के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया। साथ ही अब विशू नेशनल टीम मे जगह बनाने के लिए कड़ा अभ्यास कर रहे हैं।

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विशू का मेडल जीतना जारी रहा है। इसके उन्होंने उत्तराखंड मे सिल्वर और नोएडा मे गोल्ड मेडल जीता। 29 साल के विशू ने 2011-12 मे किंगफिशर एयरलाइंस में नौकरी भी की थी। विशू गुप्ता ने अलग अलग युनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की पढ़ाई की। उन्होंने एक कोर्स आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी से किया है।

पिता के शौक को बेटे ने बना लिया करियर

विशू गुप्ता के पिता विनोद ने बताया कि जब बेटे छोटे थे तब घर की छत पर गुब्बारे रस्सी से लटकाकर उन पर निशाना लगाया करते थे। लगता है हमारा वही शौक बेटे ने अपना करियर बना लिया है। ये सच है कि जब बेटे विशु ने फोन पर निशानेबाजी में किस्मत आजमाने के लिए कहा तो हमने विरोध किया था, लेकिन मेरा विरोध गलत था। हम चाहते थे कि बेटा हमारा बिजनेस संभालें, लेकिन बेटे की लगन और इमानदारी ने उसे आज नेशनल शूटर निशानेबाज बना दिया। जब उसने 11 मेडल जीते तो हमने अपना विरोध खत्म कर दिया, क्योंकि आज मेरे बेटे की वजह से ही हमारी पहचान बनी है।

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मेरा बेटा 20 साल बाद घर लौटा तो उसको एक गिफ्ट भी देना था। इसलिए हमने बड़े बेटे सन्नी गुप्ता से बात करके एक घर के अंदर ही दस मीटर का साउंड प्रूफ शूटिंग रेंज बना दिया और जब बेटा दो दिन पहले घर लौटा तो उसको सामने हमने शूटिंग रेंज का रूम खोला। जिसे देखकर बेटा बहुत खुश हुआ। अब मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि विशु नैशनल टीम का खिलाङी बने और ओलंपिक खेले।

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