पुणे: मन में अगर कुछ करने का जज्बा हो तो हर मुकाम को हासिल किया जा सकता है। इस उदाहरण को महराष्ट्र के रहने वाले बीजेपी नेता राहुल जाधव ने सच साबित कर दिखाया है। 15 साल पहले तक वह जिस शहर की गलियों में ऑटो चलाया करते थे। आज वे वहीं के मेयर बन गये है। उन्होंने एनसीपी के कैंडिडेट को भारी मतों से मात देकर मेयर का चुनाव जीत लिया है।
घर का खर्च उठाने के लिए चलाई ऑटो
राहुल ने भले ही इस इलेक्शन में आसानी से जीत हासिल कर ली है, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। जाधववाड़ी इलाके के चिखली गांव में 36 साल पहले एक किसान परिवार में राहुल का जन्म हुआ था। उन्होंने केवल 10वीं तक ही पढ़ाई की है। परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए कम उम्र में ही जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। उन्होंने 1996 से लेकर 2003 के बीच पिंपरी चिंचवाड की सड़कों पर ऑटो रिक्शा चलाया।
लाइफ में ऐसे आया टर्निंग प्वाइंट
राहुल हमेशा से जीवन में कुछ बड़ा करने के बारे में सोचा करते थे। उन्होंने 2003 में राजनीति में आने का फैसला लिया। राहुल की किस्मत 2006 के बाद बदली, जब वो राज ठाकरे की पार्टी मनसे के साथ जुड़ गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर समय लोगों की मदद के लिए आगे रहने के जज्बे ने ही राहुल को अपने क्षेत्र में काफी पॉपुलर बना दिया।
इसी के मद्देनजर 2012 में मनसे ने उन्हें महानगर पालिका इलेक्शन में अपना कैंडिडेट बनाया और वे जीत गए।
ऐसे बन गये मेयर
पांच साल तक मनसे के साथ रहने के बाद राहुल ने 2017 में बीजेपी का दामन थाम लिया। मौजूदा महापौर नितिन कालजे और उपमहापौर शैलजा मोरे ने सवा साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शनिवार को हुए चुनाव में राहुल को मेयर और सचिन चिंचवडे को डिप्टी मेयर चुना गया।