अनूप ओझा/ मनाली रस्तोगी
नई दिल्ली: खेल की दुनिया में 2017 में भारत ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। विश्व के मानचित्र पर भारत के खिलाडिय़ों ने अपना परचम लहराया। क्रिकेट के दीवानों ने तो पूरे वर्ष भर टीम इंडिया के जोरदार प्रदर्शन का लुत्फ लिया। टीम इंडिया ने 2017 में कई नए रिकार्ड बनाए और अपने शानदार प्रदर्शन से फैन्स का दिल जीत लिया। महिला भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने एक और विश्व रिकार्ड गढ़ दिया। देश ने कभी भी एक महीने में इतनी सफलता हासिल नहीं की थीं जैसी इस साल अक्टूबर के महीने में रही।
देश फुटबाल के विश्वस्तरीय आयोजन का साक्षी बना। अक्टूबर का महीना बैडमिंटन कोर्ट से लेकर क्रिकेट के मैदान तक, हॉकी स्टेडियम से फुटबॉल के मैदान तक यादगार रहेगा। श्रीकांत ने इस महीने डेनमार्क ओपन खिताब जीता, पुरुष हॉकी टीम ने दस साल में पहला एशिया कप खिताब अपनी झोली में डाला। भारतीय क्रिकेट टीम ने विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को पस्त किया तथा टेनिस व गोल्फ में भी भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली सबसे ज्यादा वनडे शतक जडऩे में रिकी पोंटिंग को पीछे छोड़कर दूसरे नंबर पर पहुंचे। भारत भले ही फुटबॉल के मैदान पर बड़ी उपलब्धियां न हासिल कर पाया हो मगर पहली बार फीफा अंडर 17 विश्वकप के आयोजन को विश्व संस्था के अध्यक्ष जियानी इनफैनटिनो ने पूरी तरह सफल करार दिया। साल 2017 भारत के लिए कई मायने में खास रहा।
क्रिकेट
भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देते हुए तीनों फॉर्मेट में कुल 53 मैच खेले। इस दौरान टीम ने 37 मैच जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले साल 2016 में भारत ने 31 मैचों में जीत हासिल की थी। इस साल भारतीय टीम ने कुल 11 टेस्ट मैच खेले। इनमें से सात भारत ने जीते, एक हारा और बाकी तीन ड्रॉ रहे। टेस्ट के अलावा टीम ने 29 वनडे खेले, जिनमें से 21 मैच टीम ने जीते जबकि सात मैच टीम इंडिया हार गई और एक ड्रॉ रहा। वहीं टी-20 की बात करें तो भारत ने 13 मैचों में से नौ जीते जबकि बाकी चार मैच टीम हार गई।
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साल 2017 भारतीय क्रिकेट और खिलाडिय़ों के लिए बहुत भाग्यशाली साबित हुआ। इस साल भारतीय टीम ने श्रीलंका के अलावा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसी मजबूत टीमों को भी हराया। टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और रोहित शर्मा ने इस साल अपनी जबरदस्त बल्लेबाजी से नया रिकॉर्ड कायम किया। वनडे सीरीज में विराट ने सबसे अधिक यानी 1460 रन बनाए जिसमें 6 शतक शामिल हैं। रोहित के 1293 रनों में 6 शतक के साथ एक दोहरा शतक भी शामिल है। टेस्ट सीरीज में रनों के मामले में चेतेश्वर पुजारा टॉप पर रहे जिन्होंने चार शतक के साथ 1140 रन बनाए। गेंदबाजी में भारतीय खिलाडिय़ों का प्रदर्शन उम्दा रहा है। इस साल वनडे में सबसे अधिक विकेट लेने में बुमरा तीसरे और पंड्या पांचवे स्थान पर हैं। इस साल बुमरा ने 23 मैचों में 39 और पंड्या ने 28 मैचों में 31 विकेट चटकाए हैं। भारतीय स्पिनर यजुवेंद्र चहल टी-20 मैचों में विकेट लेने में टॉप पर हैं। उन्होंने 11 मैचों में 23 विकेट लिए हैं। इसके अलावा कुलदीप यादव भी इस लिस्ट में 9वें स्थान पर काबिज हैं, इन्होंने 8 मैचों में 12 विकेट चटकाए हैं।
बैडमिंटन
ओलम्पिक और विश्व चैम्पियशिप की रजत पदक विजेता पीवी सिंधु और किदाम्बी श्रीकांत ने इस साल शानदार उपलब्धियां हासिल कीं। दोनों ने पूरे साल विश्व बैडमिंटन में तिरंगे को बुलंद रखा। सिंधु और श्रीकांत इस साल विश्व रैकिंग में नंबर दो पर पहुंच गए। दोनों को मुंबई में पहले इंडियन स्पोट्र्स ऑनर्स में साल के सर्वश्रेष्ठ महिला एवं पुरुष खिलाड़ी का पुरस्कार मिला। श्रीकांत को ओलम्पिक खेल वर्ग में गो स्पोट्र्स एथलीट ऑफ द ईयर का अवार्ड भी मिला। सिंधु और श्रीकांत साल के आखिरी दुबई वर्ल्ड सुपर सीरीज फाइनल्स में खेले जो शीर्ष रैकिंग के आठ खिलाडिय़ों का टूर्नामेंट होता है। इस टूर्नामेंट में हालांकि श्रीकांत अपने तीनों ग्रुप मैच हार गए, लेकिन सिंधु ने फाइनल में पहुंचकर सायना नेहवाल के 2011 में फाइनल में पहुंचने के प्रदर्शन की बराबरी की। सिंधु कोरिया ओपन जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। सिंधु ने वर्ल्ड सुपर सीरीज के रजत पदक के अलावा विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर सायना की बराबरी की।
निशानेबाजी
भारत ने पहली बार आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्वकप फाइनल की मेजबानी की जो काफी सफल रही। कर्णी सिंह रेंज में हुए फाइनल में हिस्सा लेने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय स्टार निशानेबाज पहुंचे। भारत ने एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक अपनी झोली में डाला। भारतीय महिला निशानेबाज हीना सिद्धू और पुरुष निशानेबाज जीतू राय की जोड़ी ने विश्वकप के फाइनल में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धा में भारतीय जोड़ी ने 483.4 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल कर सोना जीता। इस स्पर्धा में फ्रांस को 481.1 अंकों के साथ रजत और चीन को 418.2 अंकों के साथ कांस्य पदक हासिल हुआ। हीना और जीतू की भारतीय जोड़ी स्पर्धा की शुरुआत में तीसरे स्थान पर थी, लेकिन इसके बाद इस जोड़ी ने शानदार वापसी करते हुए पहला स्थान हासिल किया। आईएसएसएफ विश्व कप टूर्नामेंट में पहली बार आधिकारिक रूप से मिश्रित टीम स्पर्धा को शामिल किया गया। इसके साथ ही 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों में भी इस स्पर्धा को पहली बार शामिल किया जाएगा।
टेनिस
अगर टेनिस की बात करें तो भारत इस साल कोई खास कमाल नहीं दिखा पाया। इस साल रोहन बोपन्ना ने जहां पहला ग्रैंडस्लैम जीता वहीं दिग्गज खिलाड़ी सानिया मिर्जा शीर्ष स्थान से फिसलकर निचले स्थान पर आ गईं। इसके अलावा जिस समर्थन और हौसलाअफजाई की जरूरत थी, वह युकी भांबरी, रामकुमार रामनाथन और सुमित नागल जैसे खिलाडिय़ों को नहीं हासिल हुआ। हालांकि इन्होंने इस साल कुछ सफलताएं जरूर हासिल कीं। वहीं, टेनिस टूर्नामेंट्स की बात करें तो इस बार पूरे सेशन में महज दो चैलेंजर टूर्नामेंट खेले गए जबकि साल में कुल पांच चैलेंजर टूर्नामेंट की जरूरत होती है। युकी ने पुणे चैलेंजर जीता वहीं नागल ने बेंगलूरू चैलेंजर पर कब्जा जमाया। इन दोनों की रैंकिंग की बात करें तो इन दोनों चैलेंजर टूर्नामेंट की बदौलत युकी ने एकल रैंकिंग में 114वां स्थान हासिल किया जबकि नागल ने 223वें स्थान पर कब्जा जमाया। वैसे मौजूदा खिलाड़ी अपना बेस्ट देने की कोशिश कर रहे हैं। पुरुषों की बात करें तो महेश भूपति, लिएंडर पेस और रोहन बोपन्ना ने इस साल भारत के लिए चैलेंजर टूर्नामेंट जीते हैं। इसमें से लिएंडर पेस ने इस साल दो चैलेंजर टूर्नामेंट अपने नाम किये हैं।
हॉकी
दस साल बाद भारत ने एशिया कप हॉकी पर कब्जा जमाया। वैसे भारतीय हॉकी टीम के मुख्य कोच शोर्ड मारिन का मानना है कि टीम में अभी निरंतरता की कमी है और शीर्ष टीमों की बराबरी के लिए खिलाडिय़ों को इस पर काम करना होगा। मारिन ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं क्योंकि भारतीय टीम के कोच के तौर पर यह मेरा पहला टूर्नामेंट था। हमने अच्छी हॉकी खेली। मैं खिलाडिय़ों की ऐसी शुरुआत से खुश हूं। टीम में सामंजस्य की कमी है जो मलेशिया के खिलाफ फाइनल मैच में भी नजर आई। उन्होंने कहा कि हमने काफी अच्छी आक्रामक हॉकी खेली और कुछ अच्छे मैदानी गोल भी किए, लेकिन टीम निरंतर एक जैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई। भारत ने एशिया कप में अपने आक्रामक खेल की मदद से कुल 21 मैदानी गोल दागे। मारिन को उम्मीद है कि अगर भारतीय टीम ऐसे ही आक्रामक हॉकी खेलती रही तो आने वाले टूर्नामेंटों में वह खतरनाक साबित हो सकती है।
भारतीय मुक्केबाजी
भारतीय मुक्केबाजी की तस्वीर इस साल बदल गई। पिछले साल की तमाम विफलताओं को इस साल भुलाकर भारतीयों ने मुक्केबाजी में सफलता का परचम लहराया। यह प्रक्रिया साल के आरंभ में ही शुरू हो गई जब महिला, पुरुष और जूनियर मुक्केबाजों के लिए विदेशी कोचों की नियुक्ति की गई। वियतनाम में एशियाई चैंपियनशिप में पांच बार की विश्व चैंपियन मेरीकॉम ने पांचवां स्वर्ण पदक अपने नाम किय। भारत ने इस टूर्नामेंट में एक रजत और पांच कांस्य पदक जीते। गौरव बिधूड़ी और मेरीकॉम से लेकर शिव थापा तक सभी ने 2017 में सफलता हासिल की। अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी में भी भारत का ग्राफ ऊपर गया है और 2006 के बाद पहली बार भारत को विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप (2018 महिला और 2021 पुरुष ) की मेजबानी मिली। वैसे इस साल भारतीय महिला टीम के पहले विदेशी कोच स्टीफनी कोटालोरडा भी भुगतान में विलंब के कारण रुखसत हो गए।
यूरोपीय कोचों के आयोग के उपाध्यक्ष सैंटियागो नीवा पुरुष टीम के और फ्रांस के स्टीफाने कोटालोरडा महिला टीम के कोच बने। इटली के रफेले बर्गामास्को जूनियर टीम के कोच नियुक्त किए गए। ताशकंद में एशियाई चैम्पियनशिप में शिवा (60 किलो) पदकों की हैट्रिक लगाने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए। उन्होंने 2013 में स्वर्ण, इस सत्र में रजत और 2015 में कांस्य पदक जीता था। भारत ने कुल मिलाकर चार पदक जीते और उजबेकिस्तान तथा कजाखस्तान के बाद तीसरा स्थान हासिल किया। तीन महीने बाद हैम्बर्ग में विश्व चैंपियनशिप में नीवा की बतौर कोच पहली परीक्षा थी। गौरव बिधूड़ी (56 किलो) बड़े स्तर पर पदार्पण के साथ पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय मुक्केबाज बन गए। यह भारत का अब तक का चौथा कांस्य पदक था। इसने सभी को हैरान कर दिया क्योंकि गौरव मूल टीम का हिस्सा भी नहीं थे।