Tokyo Olympics: टोक्यो की गर्मी ने खिलाड़ियों का हाल किया बेहाल, 40 डिग्री पार पहुंचा पारा

Tokyo Olympics: टोक्यो में इतनी गर्मी और उमस पड़ रही है कि खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। टेनिस के टॉप रैंकिंग खिलाड़ी नोवाक जोकोविक भी इस पर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Shreya
Update:2021-08-01 13:31 IST

टोक्यो ओलंपिक (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Tokyo Olympics: टोक्यो का मौसम (Tokyo Ka Mausam) इतना गर्म है कि इससे ओलिंपिक में भाग ले रहे एथलीट बुरी तरह परेशान हो चुके हैं। आलम ये है कि एक टेनिस खिलाड़ी (Tennis Player) ने यहां तक कह दिया कि अगर वह खेलते-खेलते टेनिस कोर्ट में ही मर गया तो क्या ओलिंपिक अधिकारी उसकी जिम्मेदारी लेंगे?

टोक्यो में इतनी गर्मी और उमस पड़ रही है कि खिलाड़ी अपना बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं। टेनिस के टॉप रैंकिंग खिलाड़ी नोवाक जोकोविक भी इस पर नाखुशी जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनके 20 साल के प्रोफेशनल करियर में ऐसी खराब स्थितियां पहले कभी नहीं देखीं थी। टोक्यो में पारा 40 डिग्री तक पहुंच चुका है जबकि ह्यूमिडिटी 60 फीसदी हो रही है। 

 दनील मेदेदेव (फाइल फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

रूस के टेनिस खिलाड़ी दनील मेदेदेव (Daniil Medvedev) रशियन ओलिंपिक कमेटी (Russian Olympic Committee) के बैनर तले खेलों में शामिल हैं। अपने एक मैच के दौरान वे गर्मी से बहुत ज्यादा परेशान हो उठे थे और उनको बार बार सपोर्ट टीम से मदद लेनी पड़ रही थी। जब उनकी परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी तो अंपायर ने पूछा कि क्या वे आगे खेल सकेंगे, इस पर दनील ने कहा- मैं ठीक हूं, मैं मैच ख़त्म कर लूँगा लेकिन मेरी मौत हो सकती है। 

अगर मैं मर गया तो क्या इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन (International Tennis Federation) इसकी जिम्मेदारी लेगा?' इस मैच के दौरान दनील और उनके प्रतिद्वंद्वी इटली के फाबियो फोगनिनी को तीसरे और फाइनल सेट के पहले सुस्ताने के लिए दस मिनट का ब्रेक लेना पड़ा था। 

40 डिग्री के पार पहुंचा पारा

दरअसल, साल के इन महीनों में टोक्यो का मौसम बहुत गर्म और उमस भरा होता है यही वजह है कि 1964 के ओलिंपिक खेलों को अक्टूबर में कराने का निर्णय लिया गया था। अक्टूबर में औसतन 20 डिग्री तापमान रहा है और सबसे गर्म दिन भी 23.3 डिग्री तापमान वाला रहा था। लेकिन इस बार के खेल जुलाई अगस्त में हो रहे हैं और अभी तक तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है। गर्मी के साथ साथ उमस भी जबरदस्त है। इस बार चूँकि कोरोना की वजह से खेल स्थगित हुए सो जल्दबाजी में इसी मौसम के दौरान आयोजन कर दिया गया। 

गर्मी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

खेलों से जुड़े सभी लोग परेशान

गर्मी के कारण सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि खेलों से जुड़े सभी हजारों लोग परेशान हैं। वालंटियर्स, सुरक्षाकर्मी, पत्रकार आदि सभी का हाल बेहाल है। स्टेडियमों के मीडिया सेक्शन में देखा जा रहा है कि पत्रकार तौलिये भिगो कर अपने सिर पर रखे हुए हैं। लोगों को डर है कि कहीं हीट स्ट्रोक न हो जाए। टोक्यो ओलिंपिक के महानिदेशक तोशिरो मुटो ने बताया है कि बीते दिन 30 लोगों को हीट स्ट्रोक हो गया था लेकिन गनीमत है कि सभी में हलके लक्षण थे और वे अब ठीक हैं।

वर्ल्ड एथलेटिक्स के प्रवक्ता निकोल जेफरी ने कहा है कि अब खेल इवेंट्स की समयसारिणी इस तरह बनाई गयी है कि ज्यादा मेहनत वाली स्पर्धाएं शाम के वक्त आयोजित की जाएँ। उन्होंने कहा कि सभी एथलीट्स को पानी और बर्फ उपलब्ध कराई गयी है और मेडिकल टीमें उन पर लगातार नजर रखती हैं ताकि किसी में गर्मी की वजह से कोई दुष्प्रभाव दिखने पर तत्काल उपाय किया जा सके। जेफरी ने कहा कि आपात स्थिति में इस्तेमाल करने के लिए ठन्डे पानी के हौज बनाये गए हैं।

जर्मनी और अर्जेंटीना के बीच पहले क्वार्टर फाइनल में आयोजकों को ब्रेक का समय दोगुना करना पड़ा था ताकि खिलाड़ियों को गर्मी से कुछ राहत मिल सके। दूसरी ओर नीदरलैंड के खिलाड़ी ख़ास तरह की 'कूलिंग ड्रेस' पहन कर अभ्यास करते देखे गए हैं। घुड़सवारी की क्रॉस कंट्री दौड़ के बाद फ्रांस के करीम फ्लोरेंट 'आइस वेस्ट', गीली तौलिया और गर्दन के चारों ओर 'आइस पैक' पहन कर मीडिया से मुखातिब हुए। 

ख़ास इंतजाम

गर्मी से खिलाड़ियों की सुरक्षा करने के लिए आयोजकों ने उनको ख़ास तरह की 'ठंडी बनियाइन' उपलब्ध कराई हैं। जगह जगह ठंडी फुहार वाले किओस्क लगाये गए हैं और वालंटियर्स को नमक की गोलियां और आइसक्रीम बांटी जा रही हैं। टोक्यो ने ख़ास तरह की सड़कें भी बनाई हैं जो गर्मी को रिफ्लेक्ट करती हैं, ऐसे फुटपाथ हैं जो पानी सोख लेते हैं। इसके अलावा लम्बी दौड़ व मैराथन जैसे इवेंट्स टोक्यो से साप्पोरो शहर में शिफ्ट कर दिए गए हैं। लेकिन ये सब इंतजाम खेलों से जुड़े लोगों को राहत देने के लिए नाकाफी हैं।

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