Tokyo Olympics: ओलंपिक में हिस्सा ले रहे रिफ्यूजी, जानें कैसे हुआ टीम का गठन
Tokyo Olympics: इस बार के ओलंपिक में 29 खिलाड़ी 'रिफ्यूजी ओलंपिक टीम' के बैनर तले भाग ले रहे हैं।
Tokyo Olympics: इस बार के ओलंपिक में 29 खिलाड़ियों का एक ऐसा दल भी शामिल है जो किसी देश का नहीं हैं। ये 29 खिलाड़ी अलग अलग देशों के हैं जो 'रिफ्यूजी ओलंपिक टीम' (Refugee Olympic Team) के बैनर तले टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) में भाग ले रहे हैं।
रिफ्यूजी ओलंपिक टीम में 11 देशों के खिलाड़ी हैं- अफगानिस्तान, कैमरून, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो, इरीट्रिया, ईरान, इराक, साउथ सूडान, सूडान, सीरिया, द रिपब्लिक ऑफ़ कांगो और वेनेज़ुएला। ये खिलाड़ी अपने मूल देश में नहीं रहे हैं बल्कि इन लोगों को 13 देशों ने शरण दे रखी है जहां इन्होंने खेलों की ट्रेनिंग भी प्राप्त की है। ये 13 मेजबान देश हैं- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्राज़ील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इजराइल, केन्या, पुर्तगाल, नीदरलैंड, स्विट्ज़रलैंड, यूनाइटेड किंगडम और त्रिनिदाद-टोबागो।
इन खिलाडियों के दल का नेतृत्व कर रहे हैं पूर्व मैराथन रिकार्ड धारक केन्या के तेगला लोरौपे। रिफ्यूजी खिलाड़ी एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, कैनोइंग, साइकिलिंग, जुडो, कराटे, टायक्वोंडो, शूटिंग, स्विमिंग, वेटलिफ्टिंग और रेसलिंग की प्रतिस्पर्धाओं में भाग ले रहे हैं।
कब हुआ था रिफ्यूजी ओलंपिक टीम का गठन?
दरअसल, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) में इंटरनेशनल ओलंपिक कम्युनिटी (IOC) के प्रेसिडेंट थॉमस बाख (President Thomas Bach) ने रिफ्यूजी ओलंपिक टीम (Refugee Olympic Team) के गठन की घोषणा की थी जिसमें सिर्फ रिफ्यूजी खिलाड़ी शामिल होंगे। इसके बाद 2016 के रियो ओलंपिक (Rio Olympics) में चार देशों के 10 रिफ्यूजी खिलाड़ी भाग ले चुके हैं।
थॉमस बाख के अनुसार, रिफ्यूजी टीम दुनिया के सभी रिफ्यूजियों के लिए आशा का प्रतीक है। इसके अलावा दुनिया रिफ्यूजी संकट की भयावहता को समझ सकेगी। ये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक सन्देश है कि रिफ्यूजी भी हमारे बीच के इनसान हैं। सभी रिफ्यूजी खिलाड़ी जहां भी रहते हैं वहां उन्होंने खेलों में ट्रेनिंग ली है और उसी में आगे बढ़े हैं।
कनाडा ने तीन खिलाड़ियों को स्थाई निवास दिया
इस बीच कनाडा सरकार (Canada Government) ने रिफ्यूजी ओलंपिक टीम (ROT) के तीन सदस्यों को अपने देश में स्थाई निवास ग्रांट किया है। ये तीनों सूडान के हैं। कनाडा ने रिफ्यूजियों को स्थाई निवास का स्टेटस देने के लिए एक नया प्रोग्राम शुरू किया है। स्थाई निवास की अनुमति मिलने के बाद कनाडा की नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाता है। जिन तीन खिलाडियों को स्थाई निवास दिया गया है वे ओंटारियो स्थित शेरिडन कॉलेज (Sheridan College) में पढ़ाई करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC) और वर्ल्ड यूनिवर्सिटी सर्विस ऑफ़ कनाडा के सहयोग से स्टूडेंट रिफ्यूजी प्रोग्राम (Student Refugee Program) चलाया जा रहा है, जिसमें हर साल 130 रिफ्यूजी छात्रों को कनाडा में रह कर पढ़ाई करने की अनुमति दी जाती है। लेकिन ये पहली बार है कि इस प्रोग्राम में रिफ्यूजी एथलीटों को भी शामिल किया गया है।
साउथ सूडान की हिंसा के बाद गए केन्या
जिन तीन एथलीटों को स्थाई निवास दिया गया है वे कई साल पहले बचपन में साउथ सूडान की हिंसा और युद्ध के चलते देश छोड़ने को मजबूर हुए थे और केन्या चले गए थे। वहां ये सभी रिफ्यूजी शिविरों में रहे थे और उसी दौरान उनको खेलों, खासकर दौड़ में भाग लेने की प्रेरणा मिली और तबसे उनका खेलों का सफ़र शुरू हुआ।
शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फिलिप्पो ग्रांडी ने कनाडा की पहल का स्वागत किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि अन्य देश भी ऐसा करेंगे। ग्रांडी ने कहा कि दुनिया भर के शरणार्थियों में से मात्र तीन फीसदी कॉलेज या यूनिवर्सिटी की पढ़ाई कर पाते हैं।
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