वरदान या अभिशाप: आने वाले 10 सालों में Health Sector पर कैसा होगा Technology का प्रभाव
वरदान या अभिशाप: अगर कुछ हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो, हेल्थ सेक्टर में पिछले आठ-दस सालों में टेक्नोलॉजी की डिमांड काफी बढ़ी है।
Health Technology: आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की डिमांड धीरे धीरे बढ़ने लगी है। हेल्थ सेक्टर से लेकर एजुकेशनल और एग्रीकल्चर सेक्टर तक AI ने अपनी जगह बना ली है। खासकर हेल्थ सेक्टर की बात करें तो ज्यादातर हॉस्पिटल में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मरीजों के इलाज के लिए किया जाने लगा है।
भारत में स्वास्थ्य की सुविधाओं को बढ़ाने में टेक्नोलॉजी का योगदान पिछले कुछ सालों से काफी ज्यादा बढ़ गया है। खासकर शहरी क्षेत्रों में टेक्नोलॉजी ने डॉक्टर्स के काम को सबसे ज्यादा आसान बना दिया है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए जहां AI और रोबोटिक सर्जरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। तो वहीं MRI, ECG आदि के लिए भी नई नई टेक्नोलॉजी ने अपनी जगह बना ली है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि, नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने से बीमारियों के बढ़ने की आशंका भी बढ़ी है। तो ऐसे में आइए जानते हैं कि हेल्थ सेक्टर में टेक्नोलॉजी का क्या प्रभाव होगा:
10 सालों में Health Sector पर कैसा होगा Technology का प्रभाव
भारत में हेल्थ सेक्टर में टेक्नोलॉजी ने अपनी अलग जगह बनाई है। आज के समय में देश में नई तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए कार्डियक अरेस्ट का इलाज, चैटबॉट से मरीज का इलाज और रोबोटिक सर्जरी तक की सुविधाएं हो चुकी हैं। खासकर हेल्थ सेक्टर में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने से मरीजों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि शहर में AI और नई तकनीक का हेल्थ सेक्टर में इस्तेमाल बड़े पैमाने पर होता है। बड़ी संख्या में मेट्रो शहरों से लेकर गांव तक नई हेल्थ मशीनरी और टेक्निक से इलाज संभव हो गया है।
अगर कुछ हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो, हेल्थ सेक्टर में पिछले आठ-दस सालों में टेक्नोलॉजी की डिमांड काफी बढ़ी है। इसकी मदद से डॉक्टरों के साथ मरीजों को भी काफी सुविधा हुई है। पहले डॉक्टर के पास जाने के बाद मरीजों को अपनी बारी आने के लिए जहां घंटों इंतजार करना पड़ता था अब ऐसा नहीं है। अब मरीज को पता होता है कि, उन्हें कब अस्पताल में दिखाना है।
पहले जहां किसी मरीज को एडमिट करने के लिए हॉस्पिटल में डाक्यूमेंशन के लिए तीन या चार घंटे लगते थे, आज सिर्फ आधार कार्ड के जरिए ही हॉस्पिटल में पुरानी बीमारी की डिटेल और मरीज अपने बारे में थोड़ी ही जानकारी देकर एडमिट हो सकते हैं और एडमिशन प्रोसेस में कम समय लगता है।
AI के जरिए डॉक्टर्स के लिए क्रिटिकल सर्जरी भी आसान हो चुकी है। कुछ एक्सपर्ट्स की मानें तो जो हम हेल्थ सेक्टर में चेंजेंस देख रहे हैं, वह अगले 10 सालों में तो कहां पहुंच जाएगा, इसके बारे में शायद ही कोई सोच सकता है। आने वाले कुछ सालों में हर व्यक्ति का हेल्थ यूनिक आईडी भी बन सकता है, जिससे मरीज का इलाज आसान हो जाएगा। इतना ही नहीं, मेंटल हेल्थ इश्यू को लेकर सरकार ने काउंसिलिंग सेंटर खोले हैं। ऐसे में आज के समय में जहां बड़ी संख्या में युवा एंजाइटी, डिप्रेशन की तरफ बढ़ रहे हैं, इन मामलों में भी काउंसिलिंग को महत्व मिलेगा।
कुछ अन्य एक्सपर्ट्स का मानना है कि, जिस तरह से भारत हेल्थ के मामले में आगे बढ़ रहा है उसे देखकर ये कहना गलत नहीं होगा कि, भारत जल्द ही हेल्थ टूरिज्म हब बन सकता है। जिससे देश ही नहीं विदेश से भी लोग अच्छे इलाज के लिए आ सकते हैं। इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा क्योंकि मेडिकल टूरिज्म बढ़ने से अलग-अलग देश से लोग आएंगे। ऐसे में दूसरे देश से आने वाले लोगों के लिए लैंग्वेज प्रॉब्लम हो सकती है, ऐसे में युवा को एक नए तरह का करियर ऑप्शन मिल सकता है, युवा मरीज और डॉक्टर के बीच मीडिएटर का काम कर सकते हैं।
दूसरे देश से भारत आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ने से मेडिकल टूरिज्म पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में मेडिकल टूरिज्म बढ़ने से हॉस्पिटल इंडस्ट्री के लिए फायदा होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कई होटल खुल सकते हैं। इसके अलावा फूड इंडस्ट्री पर भी असर होगा। हॉस्पिटल के आसपास होटल और रेस्टुरेंट खोले जा सकते हैं। इससे ट्रांसपोर्ट सर्विस भी बढ़ सकती है। ऐसे में युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
हालांकि, इलाज में मामले में कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल मरीजों की मुसीबत को भी बढ़ा सकता है क्योंकि अगर X Ray के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं तो उससे निकलने वाली किरणें हेल्थ पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि, एक ओर जहां टेक्नोलॉजी हेल्थ के लिए वरदान साबित होगा तो वहीं दूसरी ओर इसका दुष्प्रभाव भी देखने को मिलेगा।