लौटा एंबेसडर कार का दौर: लांच की बड़ी तैयारी, फिर से सड़कों की बनेगी शान
Relaunching Ambassador Car: एंबेसडर कार की निर्माता कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स ने यूरोप की एक ऑटोमोबाइल कंपनी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया है।
Relaunching Ambassador Car: किसी जमाने में देश के ताकतवर और रसूखदार लोगों की सवारी माने जाने वाली एंबेसडर कार बहुत जल्द आपको सड़कों पर दौड़ती मिलेंगी। देश के सत्ता प्रतिष्ठान का सिंबल रहा यह कार नए कलेवर में पुनः वाहन बाजार में दस्तक देने जा रहा है। आर्थिक उदारीकरण के बाद वाहन उद्योग में आए तेज बदलाव में अपने आप को ढालने में विफल रही एंबेसडर कार की निर्माता कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स अब भविष्य को ध्यान में रखकर इसे लॉन्च करेगी। कार में कई जरूरी बदलाव किए जाएंगे, ताकि ग्राहकों के सामने ये एक बेहतर विकल्प के तौर पर उभरे।
दोबारा शुरू होगा उत्पादन
एंबेसडर कार की निर्माता कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स ने यूरोप की एक ऑटोमोबाइल कंपनी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया है। अभी इस यूरोपीय पार्टनर के नाम को सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन मीडिया रिपोर्टेस में सूत्रों के हवाले से Peugeot का नाम लिया जा रहा है। बता दें कि Peugeot एक फ्रेंच ऑटोमोबाइल कंपनी है, जिसकी स्थापना 1810 में हुई थी। इस एमओयू के अनुसार, दोनों कंपनियां मिलकर पश्चिम बंगाल के उत्तरपारा संयंत्र में कार और स्कूटर का उत्पादन शुरू करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय कंपनी के साथ हुई ये डील करीब 600 करोड़ की है और इसमें बहुलांश हिस्सेदारी हिंदुस्तान मोटर्स के पास रहने वाली है।
नया अवतार में आएगी कार
एंबेसडर कार इसबार बिल्कुल नए अवतार में आएगी। जानकारी के मुताबिक, यह कार इलेक्ट्रिक इंजन के साथ लॉन्च होगा। कंपनी कार से पहले इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहन बनाएगी। हिंदुस्तान मोटर्स के डायरेक्टर उत्तम बोस का कहना है कि Ambassador अब Amby' के नाम से जानी जाएगी। नई Amby के डिजाइन, न्यू लुक और इंजन पर काम चल रहा है।
क्यों खास है उत्तरपारा संयंत्र
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित उत्तरपारा कार संयंत्र देश का सबसे पुराना कार संयंत्र है। जापान में टोयोटा के कार संयंत्र के बाद यह एशिया का दूसरा सबसे पुराना कार संयंत्र है। इस संयंत्र में कार का उत्पादन 1948 से ही शुरू हो गया था, मगर हिंदुस्तान मोटर्स का सबसे लोकप्रिय कार मॉडल एंबेसडर 60 के दशक में देश की सड़कों पर पहली बार उतरा। इसे कंपनी ने 1957 में लॉन्च किया था। जानकारी के मुताबिक, कंपनी के पास उत्तरपारा में 257 एकड़ का लैंड एरिया है, जिसमें 90 एकड़ में फैला ये संयंत्र भी शामिल है।
सड़कों से क्यों नदारद हो गई एंबेसडर ?
एक समय देश के ताकतवर लोगों की सवारी माने जाने वाली एंबेसडर कार 70 के दशक तक भारत की सड़कों पर राज किया करती थी। बाद में मारूति सुजुकी जैसी कंपनियों की सस्ती कंपनियां बाजार में आने के बाद एंबेसडर को कड़ी चुनौती मिलने लगी। 1990 में आर्थिक उदारीकरण के बाद अन्य सेक्टरों की तरह ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी क्रांतिकारी बदवाव आए। भारतीय बाजार में कम कीमत पर कई अच्छी कारें आ चुकी थीं, जिसके सामने एंबेसडर का टिके रहना मुश्किल था। हिंदुस्तान मोटर्स ने कार में कई बदलाव लाए लेकिन फिर भी वो बाजार में मौजूद अन्य कारों से लगातार पिछड़ती रहीं। लगातार बढ़ते घाटे को देख साल 2014 के अक्टूबर में कंपनी ने इसका उत्पादन बंद कर दिया। उस दौरान कंपनी में 2300 कर्मचारी कार्यरत थे, जो आज घटकर 300 रह गए हैं।