6G Service: 6 G आने पर स्मार्टफोन हो जाएंगे कबाड़, बॉडी में लगेंगे चिप और सिम कार्ड

6G Service: भविष्य में 6 G सर्विस आने पर चिप, सिम कार्ड और दूसरी टेक्नोलॉजी को लोगों के शरीर में फिट किया जा सकेगा। भविष्य के इस टेक्नोलॉजी को साइबॉर्ग कहा जाता है।

Update: 2022-06-07 13:02 GMT

भविष्य की टेक्नोलॉजी 6 G सर्विस: Photo - Social Media

Lucknow: भारत में फिलहाल 4G कनेक्टिविटी (4G connectivity in India) मौजूद है। संभव है कि अगले साल यानि 2023 में 5 G सर्विस (5G service) शुरू की जा सकती है। वहीं माना जा रहा है कि 6 G (6G service) की शुरूआत 2030 तक हो सकती है। लेकिन देश में 5 G से अधिक 6 G को लेकर चर्चा है। 6 G के आने के बाद तकनीक और गैजेट के क्षेत्र में क्या बदलाव आएंगे, इस पर खूब सारी बातें हो रही हैं।

दरअसल 6 G को लेकर छिड़ा बहस नोकिया (Nokia) के सीईओ पेक्का लंडबर्ग (CEO Pekka Lundberg) के उस बयान के बाद आया है, जिसमें वो कहते हैं कि 2030 तक स्मार्टफोन अपनी प्रासंगिकता खो देंगे।

स्मार्टफोन हो जाएंगे कबाड़ ? (Smartphones will become junk)

विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में नोकिया के सीईओ पेक्का लंडबर्ग का एक बयान इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। नोकिया सीईओ ने कहा कि 6 G आने तक हम जिस स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले इंटरनेस नहीं रह जाएंगे। इनमें से बहुत सारी चीजें हमारे शरीर में सीधे तौर पर मिलने लगेंगी। लोगों को चश्मे या स्मार्टवॉच में स्मार्टफोन के सभी फीचर्स मिलने लगेंगे। नोकिया सीईओ के इस बयान ने लोगों के बीच भविष्य में स्मार्टफोन के प्रासंगिकता पर एक बहस को जन्म दे दिया है।

पेक्का लंडबर्ग ने अपने बयान में ये नहीं बताया कि वो आखिर किस टेक्नोलॉजी के बारे में बात कर रहे हैं। मगर कुछ कंपनियां ब्रेन कम्प्यूटर और साइबॉर्ग जैसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है। तो आइए इन दोनों टेक्नोलॉजी के बारे में समझने की कोशिश करते हैं।

 Photo - Social Media   

साइबॉर्ग (cyborg)

समय के बीतने के साथ नई – नई तकनीकें सामने आ रही हैं। ऐसी तकनीकों के बारे में सुनने को मिलता है जिसके बारे में कल्पना करना मुश्किल है जो केवल फिल्मों का हिस्सा हुआ करते हैं। इसी क्रम में तकनीक से जुड़ी एक और बात सामने आई है। कहा जा रहा है कि भविष्य में चिप्स, सिम कार्ड और दूसरी टेक्नोलॉजी को लोगों के शरीर में फिट किया जा सकेगा। भविष्य के इस टेक्नोलॉजी को साइबॉर्ग कहा जाता है।

साइबोर्ग यानि Cybernetic Organism का यूज किसी व्यक्ति के कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। उसके शरीर के अंग को किसी मशीन से बदला जा सकेगा। कहा ये भी जा रहा है कि यदि सब कुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो हो सकता है कि 6 G सिम कार्ड को लोगों की बॉडी में ही इंटीग्रेट किया जाए।

ब्रेन कम्प्यूटर (brain computer)

टेस्ला फाउंडर और ट्वीटर के नए मालिक एलॉन मस्क की कंपनी Neuralink ब्रेन कम्प्यूटर जैसी भविष्य की टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है। हाल ही में इसका एक उदाहरण भी देखने को मिला है। इसमें एक अफ्रीकन लंगूर के ब्रेन में एक चिप लगाई थी और इसकी सहायता से उसने माइंड पॉन्ग प्ले किया था।

तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक भले ही स्मार्टफोन (smartphone) की प्रासंगिकता पूरी तरह से समाप्त न हो, मगर तबतक एक आबादी के लिए इसके इस्तेमाल का तरीका पूरी तरीके से बदल चुका होगा।

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