नासा की सैटेलाइट को मात दे रहे पराली जलाने वाले किसान
दिल्ली में प्रदूषण से हाल बेहाल, AQI 600 पार, लगातार जलाई जा रही पराली
नई दिल्ली। समूचे उत्तर भारत में जहरीली धुंध की मोटी चादर छाई हुई है, जिससे तापमान में भारी गिरावट, करीब करीब जीरो विजिबिलिटी और वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर हो गया है। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 600 के पास बना हुआ है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उससे आगे तक फैले भारत के मैदान खतरनाक धुंध में लिपटे हुए हैं। उपग्रह से ली गई तस्वीरों से प्रदूषण की भयावहता का पता चलता है। इस बीच नासा के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि पराली जलाने वाले किसान उपग्रहों को भी चकमा दे रहे हैं।
नासा गोडार्ड स्पेस फ़्लाइट सेंटर के एरोसोल रिमोट सेंसिंग वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने खराब होती वायु गुणवत्ता के लिए "थर्मल इनवर्जन' और पराली जलाने को ज़िम्मेदार ठहराया है।थर्मल इन्वर्जन में गर्म हवा ज़मीन पर ठंडी हवा के ऊपर बैठती है और इससे प्रदूषण ऊपर नहीं जा पाता और सतह पर जो कुछ भी उत्सर्जित होता है वह लगभग 200 मीटर तक बना रहता है। थर्मल इनवर्जन जितना मज़बूत होगा, उतने ही ज़्यादा प्रदूषक सतह के पास फंस जाएँगे।
सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि फसल जलाने से निकलने वाला धुआं, बादलों के साथ मिलकर थर्मल इनवर्जन को बढ़ाता है, जिससे प्रदूषण और भी बढ़ जाता है।
पराली जलाने की टाइमिंग
बताया जाता है कि उत्तर पश्चिम पाकिस्तान और पंजाब के किसान दोपहर 2 बजे के बाद पराली जलाकर नासा सैटेलाइट निगरानी को चकमा दे रहे हैं। दक्षिण कोरियाई जियोस्टेशनरी सैटेलाइट से इसकी पुष्टि होती है कि ज्यादातर फसल दोपहर 2 बजे के बाद जलती है। दो बजे के पहले ही नासा सैटेलाइट क्षेत्र से गुजरती हैं और उस समय कोई निगरानी नहीं होती है। लेकिन आग को जियोस्टेशनरी सैटेलाइट से छिपाया नहीं जा सकता है, जो हर पांच मिनट में क्षेत्र की तस्वीर लेते हैं। नासा का एक्वा उपग्रह और नासा एनओएए का सुओमी एनपीपी उपग्रह दोपहर 1.30 बजे से 2 बजे तक भारत और पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरता है। एक अन्य कोरियाई उपग्रह, जो भूस्थिर कक्षा में है, हर 10 मिनट में उसी क्षेत्र का सर्वेक्षण कर रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, नासा के उपग्रह चित्रों में दोपहर 1:30 बजे की तुलना में शाम 4 बजे के बाद धुएँ का स्तर बढ़ा हुआ दिखा है, जिससे पता चलता है कि नासा के उपग्रह की निगरानी से बचने के लिए किसान देर शाम फसल जला रहे हैं।
नासा के वैज्ञानिक जेठवा ने कहा है कि यह सच नहीं है कि पंजाब और हरियाणा में खेतों में आग लगने की घटनाएं कम हुई हैं। हम नासा के उपग्रहों जैसे सुओमी एनपीपी और एक्वा से दोपहर के उपग्रह ओवरपास समय के डेटा का उपयोग करते हैं। वे दोपहर 1:30-2:00 बजे के आसपास क्षेत्र से गुजरते हैं, लेकिन किसी तरह से किसान सीख गए हैं कि वे उपग्रह ओवरपास समय को दरकिनार कर सकते हैं और देर दोपहर में फसल अवशेष जला सकते हैं। दक्षिण कोरियाई भूस्थिर उपग्रह द्वारा इसकी पुष्टि की गई है कि अधिकांश फसल जलाना दोपहर 2 बजे के बाद होता है जब नासा के उपग्रह क्षेत्र से गुजरते हैं जब कोई निगरानी नहीं होती है।
नई घटनाएं
इस बीच, पंजाब में 18 नवम्बर को पराली जलाने के 1,250 मामले सामने आए। यह इस सीजन में एक दिन में पराली जलाने की सबसे ज़्यादा घटनाएं हैं। इसके साथ ही राज्य में पराली जलाने के कुल मामलों की संख्या 9,655 हो गई है। ये हाल तब है जब 6 नवंबर को केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों को रोकने के लिए उन पर जुर्माना दोगुना कर दिया था। पांच एकड़ से ज़्यादा ज़मीन वाले किसानों के लिए जुर्माना बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया। दो एकड़ से कम ज़मीन वाले किसानों को अब 2,500 रुपये की जगह 5,000 रुपये का पर्यावरण मुआवज़ा देना होगा।