पीएम मोदी अगले महीने रूस दौरा पर रहेंगे, राष्ट्रपति पुतिन के साथ होगी बैठक
PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीना में रूस दौरे की योजना बना रहे हैं। अगर प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा होती है तो यह 2019 के बाद से और यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद बाद उनकी पहली रूस यात्रा होगी।
PM Narendra Modi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीना में रूस की राजधानी मॉस्को दौरे की योजना बना रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने इस साल मई में लगातार पांचवीं बार राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। जबकि पीएम मोदी ने नौ जून को लगातार तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली है। इससे पहले रूसी राष्ट्रपति ने एक बयान में लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत पर पीएम मोदी को बधाई दी थी। रॉयटर्स ने रूसी समाचार एजेंसी आरआईए के हवाले से मंगलवार को जानकारी दी कि एक राजनयिक सूत्र ने संकेत दिया है कि पीएम मोदी जुलाई में रूस का दौरा करने वाले हैं। क्रेमलिन ने इससे पहले मार्च में घोषणा की थी कि मोदी को रूस आने का निमंत्रण मिला है। सूत्र ने इस बात की भी पुष्टि की कि पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच एक बैठक होने वाली है।
पीएम मोदी का यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यह पहला दौरा होगा
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा 2019 के बाद और यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद उनकी पहली रूस यात्रा होगी। राष्ट्रपति पुतिन आखिरी बार वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए 2021 में नई दिल्ली आए थे। बीते दो वर्षों से यह वार्षिक सम्मेलन आयोजित नहीं किया गया है। पीएम मोदी आखिरी बार 16 सितंबर 2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के मौके पर पुतिन से मिले थे। तब उन्होंने यूक्रेन युद्ध का समाधान निकालने के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने की सलाह दी थी।
भारत ने रूस की सार्वजनिक आलोचना नहीं की
अमेरिका और अन्य प्रमुख पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते रणनीतिक औऱ सुरक्षा संबंधों के बावजूद भारत ने यूक्रेन पर रूस के आक्रम की सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं की है। भारत ने अमेरिका के शुरुआती दबाव के बावजूद रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी थी। इसके साथ ही भारत ने कहा था कि घरेलू उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए इस तरह का कदम उठाना जरूरत है। हालांकि, भारत ने यूक्रेन युद्ध में शत्रुता को खत्म करने और स्थायी समाधान ढूंढने के लिए बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने की बार-बार पैरोकारी की है।