कूकी समुदाय के कैदी का नहीं कराया इलाज, मणिपुर सरकार पर भड़का सुप्रीम कोर्ट

Manipur Violence : मणिपुर सेंट्रल जेल में बंद लुनखोंगम हाओकिप ने मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर गुहार लगाई थी कि वह बवासीर और टीबी से पीड़ित है।

Newstrack :  Network
Update: 2024-07-03 14:37 GMT

 सुप्रीम कोर्ट। Source - Social Media 

Manipur Violence : मणिपुर की जेल में बंद अल्पसंख्यक (कुकी) समुदाय से संबंधित एक कैदी की जांच और इलाज नहीं कराया गया। इस मामले संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने मणिपुर सरकार पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कैदी को इलाज के लिए असम भेजने का आदेश दिया। इसके साथ ही 15 जुलाई तक या उससे पहले एक डिटेल मेडिकल रिपोर्ट मांगी है। जस्टिस जेबी पादरीवाला और जस्टिस उज्वल भुयान की पीठ ने ये भी चेतावनी दी कि यदि मेडिकल रिपोर्ट में कुछ भी गड़बड़ निकला तो कोर्ट कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा। इसके अलावा कोर्ट ने ये भी कहा कि आरोपी के इलाज में जो भी खर्चा होगा उसका भुगतान राज्य सरकार की ओर से ही किया जाएगा।

मणिपुर हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने दिया था यह जवाब

मणिपुर सेंट्रल जेल में बंद लुनखोंगम हाओकिप ने मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर गुहार लगाई थी कि वह बवासीर और टीबी से पीड़ित है। 22 नवंबर 2023 को उसकी जांच की गई। इसमें रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने की वजह से उसका एक्सरे कराने की सिफारिश की गई। मणिपुर सेंट्रल जेल में ये सुविधा न होने की वजह से उसे बाहर ले जाना था। लेकिन जेल अधिकारी उसे अस्पताल लेकर नहीं गए।

हाओकिप के वकील ने दावा किया कि जेल अधिकारियों ने मेडिकल हेल्प के लिए लगातार अनुरोध करने पर भी ध्यान नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मणिपुर हाईकोर्ट के आदेश का अवलोकन किया और पाया कि विचाराधीन कैदी को अस्पताल नहीं ले जाया गया, क्योंकि वह कुकी समुदाय से था और 'उसे अस्पताल ले जाना कानून और व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए खतरनाक होगा।

हाईकोर्ट के आदेश पर मणिपुर में जातीय संघर्ष जारी

बता दें कि मणिपुर में अल्पसंख्यक कुकी और बहुसंख्यक मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष जारी है। पिछले साल मई में मणिपुर में हाईकोर्ट के आदेश पर अराजकता और हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें राज्य सरकार को गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था।

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