तमिलानाडू विधानसभा में जातिगत जनगणना जल्दी करवाने के लिए प्रस्ताव पारित, बीजेपी ने भी दिया साथ

Caste Census in Tamil Nadu : तमिलनाडु विधानसभा में जाति आधारित जनगणना जल्द कराने के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया गया।

Newstrack :  Network
Update: 2024-06-26 12:12 GMT

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन। (Social Meida)

Caste Census in Tamil Nadu : जाति आधारित जनगणना जल्द कराने के लिए तमिलनाडु विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया गया। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की ओर से सदन में बुधवार को पेश प्रस्ताव में कहा गया कि केंद्र सरकार को 2021 से लंबित जनगणना का काम जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए। साथ ही प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि इस बार जाति आधारित गणना कराई जानी चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया कि सदन का मानना है कि भारत के हर नागरिक को शिक्षा, अर्थव्यवस्था और रोजगार में समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाने के लिए जाति आधारित जनगणना आवश्यक है।

बता दें कि सदन में इस प्रस्ताव का भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकों ने समर्थन किया। मुख्य विपक्षी दल अखिल भारतीय द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के सदस्यों की अनुपस्थिति में सदन में इसे पारित किया गया। अन्नाद्रमुक के विधायकों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के कारण विधानसभा से निलंबित किया गया है। विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावू ने कहा कि प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

ये विधायक हुए निलंबित

तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इडापड्डी के पलानीस्वामी सहित अन्नाद्रमुक के विधायकों को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने को लेकर बुधवार को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। मंगलवार को एक दिन के निलंबन के बाद काली शर्ट पहनकर विधानसभा में पहुंचे विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने कल्लाकुरिची शराब त्रासदी के मामले को फिर से उठाने की कोशिश की। उन्होंने मुद्दे पर चर्चा के लिए नियत कामकाज के स्थगन की मांग की लेकिन विधानसभा के अध्यक्ष एम अप्पावु ने कहा कि वह इस पर गौर करेंगे। इस पर अन्नाद्रमुक के विधायकों ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर तुरंत चर्चा कराने पर जोर दिया और हंगामा करने लगे। कुछ सदस्य अपने स्थान से उठ कर आसन के समीप आ गए। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें अपनी सीट पर वापस जाने को कहा लेकिन सदस्यों ने उनकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। जिसके बाद अध्यक्ष ने उनके निष्कासन का आदेश दिया। बाद में सदन में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर अन्नाद्रमुक के सदस्यों को 29 जून तक सदन की कार्यवाही में भाग लेने पर रोक लगा दी गई है।

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