26/11 Mumbai Terrorist Attack: कहाँ-कहाँ से होकर मुंबई में दाखिल हुए थे 26/11 के हमलावर, आइये जानते हैं

26/11 Mumbai Terrorist Attack: क्या आप जानते हैं कि कैसे और कहाँ-कहाँ से लशकर-ए- तैय्यबा के वो आतंकवादी भारत और फिर मुंबई में आये थे और 26/11 को उन्होंने अंजाम दिया था।

Update:2024-11-26 11:47 IST

26/11 Mumbai Terrorist Attack (Image Credit-Social Media)

26/11 Mumbai Terrorist Attack : आज 26/11 को पूरे 16 साल वक़्त बीत गया है लेकिन आज भी उस समय को याद करके न सिर्फ मुंबई वासी बल्कि हर भारतीय आक्रोश से भर जाता होगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे और कहाँ-कहाँ से लशकर-ए- तैय्यबा के वो आतंकवादी भारत और फिर मुंबई में आये थे।

कहाँ-कहाँ से होकर मुंबई में दाखिल हुए थे 26/11 के हमलावर

आज 26/11 को पूरे 16 साल वक़्त बीत गया है लेकिन आज भी उस समय को याद करके न सिर्फ मुंबई वासी बल्कि हर भारतीय आक्रोश से भर जाता होगा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे और कहाँ-कहाँ से लशकर-ए- तैय्यबा के वो आतंकवादी भारत और फिर मुंबई में आये थे।

आज मुंबई हमले को भले ही सालों बीत गए हों लेकिन उसकी धमक आज भी मुंबई के लोगों के कानों में है। एक पाकिस्तानी अमेरिकी शख्स जिसका नाम डेविड कोलमैन हेडली था वो 20 मार्च से लेकर 7 जून 2007 तक मुंबई में ही रहा था। उसने हमले के लिए कुछ स्थानों को चिन्हित किया था और साल 2011 में पूछताछ के दौरान उसने अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी एफबीआई को ये भी बताया कि उसने पुणे में स्थित जर्मन बेकरी की रेकी भी की थी। आइये जानते हैं आखिर इस हमले को अंजाम देने के लिए कहाँ-कहाँ से लशकर-ए- तैय्यबा के वो आतंकवादी मुंबई में घुसे थे।

आपको बता दें कि आज भी दो ऐसे शख्स हैं जो भारत के हाथ नहीं आये हैं और आज भी उनकी तलाश की जा रही है। उनका नाम है आतंकी डेविड कोलमैन हैडली और उसके एक सहयोगी तहव्वुर राणा।

लेखक एस हुसैन जैदी ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम है 'हेडली एंड आई', जिसमे काफी चीज़ों का ज़िक्र किया गया है। वहीँ इसमें लिखा है कि हेडली ने बताया कि मुझे कोलाबा में एक चर्चित बेकरी मिली, जहां मैं रोज़ाना जाने लगा। वहीँ उस काउंटर पर मुझे करीब 20 साल की एक खूबसूरत लड़की मिली, जिससे मैं नजरें नहीं हटा पा रहा था। उसने वहां लड़की को इम्प्रेस करने की कोशिश की और इस चक्कर में उसने 2000 की पेस्ट्री ले डाली। ऐसे दोनों की दोस्ती की शुरुआत भी हो गयी।

इसके बाद हेडली ने बताया कि जुलाई 2008 तक ये तय ही गया था कि उन्हें हमले कहाँ करने हैं। उसे दक्षिण मुंबई और पुणे की जर्मन बेकरी इसके लिए सबसे सही जगह लगी। प्राप्त जानकारी से ये भी पता चला कि यहूदी और अमेरिकी नागरिको के जर्मन बेकरी जैसी जगहों पर ज़्यादा आने की वजह से ही यहाँ ज़्यादा हमले होते हैं। जिससे ज़्यादा से ज़्यादा यहूदी मारे जाएं।

26 नवंबर, 2008 को भूल पाना किसी भी भारतीय के लिए मुमकिन नहीं होगा। इस दिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस 10 आतंकियों ने मुंबई आतंकी हमले को अंजाम दिया था। आपको बता दें कि ये आतंकी कराची से अल हुसैनी नौका से मुंबई आने के लिए निकले थे। इसके बाद इन्होने एमवी कुबेर नाम की एक भारतीय नौका पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद ये मुंबई पहुंचे और इन आतंकियों ने मिलकर मुंबई व पुणे के कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था। इस हमले में 160 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवा दी थी।

आज मुंबई हमले को भले ही सालों बीत गए हों लेकिन उसकी धमक आज भी मुंबई के लोगों के कानों में है। एक पाकिस्तानी अमेरिकी शख्स जिसका नाम डेविड कोलमैन हेडली था वो 20 मार्च से लेकर 7 जून 2007 तक मुंबई में ही रहा था। उसने हमले के लिए कुछ स्थानों को चिन्हित किया था और साल 2011 में पूछताछ के दौरान उसने अमेरिकी संघीय जांच एजेंसी एफबीआई को ये भी बताया कि उसने पुणे में स्थित जर्मन बेकरी की रेकी भी की थी। आइये जानते हैं आखिर इस हमले को अंजाम देने के लिए कहाँ-कहाँ से लशकर-ए- तैय्यबा के वो आतंकवादी मुंबई में घुसे थे।

आपको बता दें कि आज भी दो ऐसे शख्स हैं जो भारत के हाथ नहीं आये हैं और आज भी उनकी तलाश की जा रही है। उनका नाम है आतंकी डेविड कोलमैन हैडली और उसके एक सहयोगी तहव्वुर राणा। लेखक एस हुसैन जैदी ने एक किताब लिखी थी जिसका नाम है 'हेडली एंड आई', जिसमे काफी चीज़ों का ज़िक्र किया गया है। वहीँ इसमें लिखा है कि हेडली ने बताया कि मुझे कोलाबा में एक चर्चित बेकरी मिली, जहां मैं रोज़ाना जाने लगा। वहीँ उस काउंटर पर मुझे करीब 20 साल की एक खूबसूरत लड़की मिली, जिससे मैं नजरें नहीं हटा पा रहा था। उसने वहां लड़की को इम्प्रेस करने की कोशिश की और इस चक्कर में उसने 2000 की पेस्ट्री ले डाली। ऐसे दोनों की दोस्ती की शुरुआत भी हो गयी। 

इसके बाद हेडली ने बताया कि जुलाई 2008 तक ये तय ही गया था कि उन्हें हमले कहाँ करने हैं। उसे दक्षिण मुंबई और पुणे की जर्मन बेकरी इसके लिए सबसे सही जगह लगी। प्राप्त जानकारी से ये भी पता चला कि यहूदी और अमेरिकी नागरिको के जर्मन बेकरी जैसी जगहों पर ज़्यादा आने की वजह से ही यहाँ ज़्यादा हमले होते हैं। जिससे ज़्यादा से ज़्यादा यहूदी मारे जाएं।

26 नवंबर, 2008 को भूल पाना किसी भी भारतीय के लिए मुमकिन नहीं होगा। इस दिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षित और भारी हथियारों से लैस 10 आतंकियों ने मुंबई आतंकी हमले को अंजाम दिया था। आपको बता दें कि ये आतंकी कराची से अल हुसैनी नौका से मुंबई आने के लिए निकले थे। इसके बाद इन्होने एमवी कुबेर नाम की एक भारतीय नौका पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद ये मुंबई पहुंचे और इन आतंकियों ने मिलकर मुंबई व पुणे के कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था। इस हमले में 160 से अधिक लोगों ने अपनी जान गवा दी थी। 

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