Bhadrachalam Tourist Place: दक्षिण की अयोध्या, यहां भगवान का सबसे खुबसूरत मंदिर और घूमने की शानदार जगह

Bhadrachalam Top Tourist Places: भद्राचलम से करीब 32 किलोमीटर दूर पर्णशाला नमक तीर्थस्थल है। कहते हैं कि इसी स्थल पर भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष वनवास के कुछ दिन व्यतीत किए थे। यह भी माना जाता है कि इसी स्थान से रावण ने सीता का अपहरण किया था।

Written By :  Sarojini Sriharsha
Update:2023-10-31 16:37 IST

Bhadrachalam Top Tourist Places (Photo - Social Media)

Bhadrachalam Top Tourist Places: भारत के तेलंगाना राज्य के खम्मम जिला के गोदावरी तट पर स्थित भद्राचलम भगवान राम के भद्राचलम मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। यह हिन्दुओं का एक महत्वपूर्ण तीर्थ शहर है, जिसे मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। वैसे तो यहां कई मंदिर हैं लेकिन श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर सबसे मशहूर है, जिसकी वजह से इस शहर को ' दक्षिण की अयोध्या ' के नाम से भी जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम अपने भक्त भद्र को आशीर्वाद देने के लिए खुद स्वर्ग से उतरकर नीचे आए थे और भद्र को आश्वासन दिया था कि वे इसी जगह पर अपने श्रद्धालुओं के बीच हमेशा मौजूद रहेंगे। तभी से इस जगह का नाम भद्राचलम पड़ गया।

प्राचीन कथाओं के अनुसार, यह स्थान दंडकारण्य वन का एक भाग था, जहां भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के कुछ दिन बिताए थे।ऐसी ही एक कथा के अनुसार पोकल्ला दम्मक्का नामक एक महिला को स्वयं भगवान श्रीराम ने सपने में भद्रागिरि पहाड़ियों पर विग्रह के अस्तित्व के बारे में बताया था। पोकल्ला वहां विग्रह को देखकर आश्चर्यचकित रह गई। बाद में उस जगह पर राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित कर पूजा करना शुरू कर दिया गया । वर्तमान मंदिर भक्त रामदास द्वारा बनवाया गया है।

दरअसल रामदास गोलकुंडा के क़ुतुबशाही नवाब अबुल हसन तानाशाह (1672-1687 ई.) के तहसीलदार नियुक्त थे , जिन्हें कंचली गोपन्ना के नाम से जाना जाता था। उन्होंने उस दौरान बांस के बने मंदिर के स्थान पर भव्य मंदिर बनाकर उस क्षेत्र का धार्मिक उत्थान किया। कर वसूली से प्राप्त धन से उन्होंने एक विशाल परकोटे के भीतर भव्य राम मंदिर बनवाया और उसमें राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित की। उन्होंने राम की भक्ति में कई भजन भी लिखे जिसके बाद लोग उन्हें रामदास के नाम से पुकारने लगे।रामदास देश में ‘भक्ति आंदोलन’ से जुड़े हुए थे। कबीर रामदास के आध्यात्मिक गुरु थे । रामदास के कार्य से नाखुश होकर विदेशी हुकूमत ने उन्हें गोलकुंडा क़िले में क़ैद कर दिया।

पर्यटक यहां भद्राचलम-राजमुंद्री की क्रूज यात्रा का भी आनंद ले सकते हैं। गोदावरी नदी राजमुंद्री से भद्राचलम की ओर बहती है, जिस पर लगभग 100 किमी की दूरी तक एक क्रूज चलता है। इस क्रूज़ में 12 घंटे का समय लगता है। आप यह यात्रा राजमंड्री या भद्राचलम कहीं से भी शुरू कर सकते हैं। क्रूज की यात्रा बारिश के मौसम में गोदावरी नदी में बढ़े जलस्तर के कारण राज्य सरकार द्वारा बंद करा दी जाती है। इसलिए इस सुहावने यात्रा का आनंद लेने अक्टूबर से मार्च तक आप आ सकते हैं।

भद्राचलम में कई अन्य दर्शनीय स्थल भी हैं जिन्हें पर्यटक देख सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं :

पर्णशाला :

भद्राचलम से करीब 32 किलोमीटर दूर पर्णशाला नमक तीर्थस्थल है। कहते हैं कि इसी स्थल पर भगवान श्रीराम ने 14 वर्ष वनवास के कुछ दिन व्यतीत किए थे। यह भी माना जाता है कि इसी स्थान से रावण ने सीता का अपहरण किया था। यहां सैलानी सीता के चरण चिह्न, मारीच का स्वर्णमृग रूप और संन्यासी भेष में रावण की मूर्तियां देख सकते हैं। इसी स्थल के पास एक धारा है, जिसे 'सीतावागु' कहा जाता है और लोगों का मानना है कि देवी सीता इसमें स्नान किया करती थीं। l आज के समय यह एक मशहूर हरा भरा पिकनिक स्थल है, जहां सैकड़ों की तादाद में लोग यहां आते हैं।


पर्णशाला में आकर लोगों को रामयुग में उपस्थित होने का एहसास होता है। यहां के दर्शनीय स्थल में छोटी-छोटी झोपड़ियों में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण तथा रावण की रंग-बिरंगी मूर्तियां सजाई गई हैं।

रामायण काल से जुड़ी चीजों को दिखाकर लोगों को रामयुग में ले जाने के मकसद से यहां देवी सीता के पैरों के निशान, स्वर्ण हिरण बनकर आए मारीछ की तस्वीर और भिक्षाटन के लिए संन्यासी बनकर आए रावण की भी तस्वीरें मौजूद हैं।

पापी कोंडालू हिल्स: (Papi Kondalu Hills)

इन पहाड़ियों का आनंद गोदावरी नदी में क्रूज़ के दौरान लिया जा सकता है। हवाई दृश्य से ये पहाड़ियां किसी महिला के बालों में बनाए गए दो भाग से प्रतीत होते हैं इसलिए इनका नाम तेलुगु शब्द पर पापी कोंडालू रखा गया है।


इस जगह की तुलना कश्मीर के मनमोहक हरे भरे प्राकृतिक पर्वत श्रृंखलाओं वाले दृश्य से की जाती है। झरनों से घिरी इन छोटी और मामूली पहाड़ियों का आनंद गोदावरी नदी के माध्यम से नाव या क्रूज़ से लिया जा सकता है।

श्री सीता रामचंद्र स्वामी मंदिर : (Sri Sita Ramachandra Swami Temple)

17 वीं शताब्दी में बना सीता-रामचंद्र मंदिर भद्राचलम में भगवान राम का एक भव्य मंदिर है। इस मंदिर के दीवारों में भगवान विष्णु के सभी अवतारों को दर्शाया गया है।


इस मंदिर में कुछ ऐसी मूर्तियाँ भी पाई जाती हैं, जिन्हें कोई हर दिन नहीं देख सकता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां स्वयं प्रकट हुई थीं।

अभय आंजनेय स्वामी मंदिर : (Shri Veera Abhaya Anjaneya Hanuman Swamy Temple)


यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है । इस मंदिर के दर्शन के लिए भी पर्यटक भारी संख्या में आते हैं। स्थानीय लोगों के लिए यह मंदिर श्रद्धा का केंद्र है।

कैसे पहुंचें भद्राचलम ? (How To Reach Bhadrachalam)

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद से भद्राचलम की दूरी 312 किलोमीटर है। जबकि आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से यहां की दूरी 182 किलोमीटर है, यहां पहुंचने के लिए देश के अन्य भागों से निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद और विजयवाड़ा है।

खम्मम से करीब 115 किमी की दूरी पर है। यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन कोठुगुडेम करीब 40 किमी है। खम्मम और हैदराबाद से यहां आप बस या टैक्सी की मदद से सड़क मार्ग से यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।

कब जाएं भद्राचलम (Bhadrachalam Visit Timing)

यहां जाने के लिए अक्टूबर से मार्च के तक का समय सबसे अच्छा रहता है। हालांकि मार्च और अप्रैल के समय राम नवमी के दौरान यहां देशभर से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसके अलावा बैकुंठ एकादशी और कार्तिक पूर्णिमा के दौरान भी इस मंदिर में खास पूजा आयोजन किया जाता है।

( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)

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