Baba Harbhajan Singh Video: बाबा हरभजन सिंह की कहानी, वीडियो में देखें ये बड़ी जानकारी

Baba Harbhajan Singh Interesting Story:;

Update:2023-07-26 19:14 IST

Baba Harbhajan Singh Interesting Story: भारत चीन की सीमा पर भारत की सेना जवाब देने के लिए हमेशा तैयार खड़ी रहती है ।चीन की चतुराई के बाद भी भारत की सेना मुँह तोड़ जवाब देती है ।लाख मुश्किलें आने के बाद यहाँ भारतीय सेना का कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता है ।क्योंकी यहाँ सैंकड़ों सेनिकों के साथ एक ऐसा सैनिक भी मौजद है जो दिखता नहीं है पर मौजद है ।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं बाबा हरभजन की ।बाबा हरभजन का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजराँवाला (जो की अब पाकिस्तान) में हुआ था ।हरभजन सिंह 1966 में भारत की पंजाब रेजिमेंट में एक आम सिपाही की तरह शामिल हुए थे ।
कुछ समय बाद उनकी तैनाती सिक्किम के नाथूँ ला में हुई और तैनाती के दौरान बर्फ़ के तूफ़ान मे दबकर उनकी मृत्यु हो गयी ।
उनके शरीर को ढूँढने की कोशिश दो दिन तक की गयी पर कुछ पता नही चला ।सेना को लगा हरभजन सिंह ऑन ड्यूटी से भाग गए हैं ।पर कुछ दिन बाद वे अपने साथी के सपने में आए और उन्होंने अपनी डेड बॉडी की पता बताया ।अगले दिन हरभजन की डेड बॉडी और राइफ़ल सेम उसी जगह से पायी गयी ।भगोड़े घोषित करने की जो गलती सेना से हुई थी वो सेना ने सुधारी और हरभजन सिंह का अंतिम संस्कार अच्छे से किया गया।

इसके कुछ समय बाद हरभजन अपने साथी के सपने में आए और उन्होंने कहा कि वे अभी भी सेना की रक्षा कर रहे हैं उनका सिर्फ़ शरीर नहीं है बाक़ी उनकी आत्मा आज भी सेना की रक्षा कर रही है ।शुरू -शुरू में इस बात को किसी ने ध्यान न दिया पर इसके बाद सेना के साथ साथ ऐसी -ऐसी घटनाएँ होने लगी ।जैसे -किसी व्यक्ति के साथ यदि अनहोनी घटना होने वाली हो तो उसे पहले ही पता चला जाता था ।इसके आलवा सिक्किम की इतनी कड़ाके की ठंड में भी किसी की आँख नहीं लग सकती थी , और जैसी ही आँख लगने वाली हो तो उसे बाबा जी का थप्पड़ पड़ जाता था ।

ऐसा नहीं था कि सिर्फ़ भारतीय सेनिक को बाबा जी का एहसास हो बल्कि कई चीनी सैनिक भी इस बात को मानते थे ।एक बार चीनी सैनिकों द्वारा कहा गया कि हमारा एक जवान बोर्डर के पास घोड़े पर पहरा देता है उसे हटवा लिजिए ।जिसके बाद यह बात बड़े अधिकारियों तक पता चली कि जंग के बीच हमारा एक ऐसा भी सैनिक है जो दिखता नहीं है पर वो शामिल ज़रूर है ।जिसके बाद हरभजन सिंह को बाबा हरभजन सिंह कहा जाने लगा ।और पास में ख़ाली बंकर में बाबा जी का मंदिर बना दिया गया ।

इस मंदिर में बाबा जी की वर्दी , जूते , बाबा का बिस्तर , बाक़ी सभी समान इसी मंदिर में मौजूद हैं ।सेना ने बाबा जी बाक़ी सैनिकों जैसा ही दर्जा दिया ,जैसे नियम और सैनिकों पर लागू थे वैसे ही बाबा जी पर लागू थे ।तनख्वा से लेकर छुट्टी , प्रमोशन आदि सभी का ज़िम्मा सेना पर था ।बाबा जी को सुबह के नासते से रात के खाने तक का इंतज़ाम किया जाता था ।और रात में मंदिर के दरवाज़े को बंद कर दिया जाता था ।

कभी कभी सुबह मंदिर देखने पर बाबा जी की चादरों में सिलवटें , और जूतों में मिट्टी के निशान पाए जाते थे ।भारतीय सेना हर भारत और चीन के मीटिंग में शामिल किया करती थी उस मीटिंग में उनके नाम की कुर्सी होती थी

इसके अलावा बाबा जी को छुट्टी के लिए घर भी भेजा जाता था , जिसके लिए में उनकी सीट भी बुक की जाती थी और तीन सैनिकों के साथ उनका समान गाँव पहुँचाया जाता था ।और दो महीने बाद छुट्टी पूरे होने पर उन्हें वापस भी बुला लिया जाता है ।

इन दो महीने सैनिकों को अधिक एलर्ट में रहना पड़ता था क्योंकी तब बाबा जी अपने गाँव में होते थे ।2006 में बाबाजी को ससम्मान रेटायअर्ड कर दिया गया ।उसके बाद कहा गया कि बाबा यहीं बंकर में रहते हैं ।भारतीय सैनिकों में बाबाजी की लिए गहरी आस्था है , तभी तो सैनिक ड्यूटी में जाने से पहले मंदिर आना नहीं भूलते हैं ।ऐसा माना जाता है बाबाजी जेलेप दर्रे से नाथूँ ला दर्रे तक भारत की सीमा की रक्षा करते हैं ।

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