Bermuda Triangle Mystery: आखिर क्यों गायब होते है यहाँ से गुजरने वाले जहाज, क्या है बरमूडा ट्रायंगल का रहस्य

Bermuda Triangle Ka Rahasya: बरमूडा ट्रायंगल 'अटलांटिक महासागर' में स्थित है, जहां जहाजों और विमानों के गायब होने की घटनाएं आज भी एक अनसुलझी पहेली हैं।;

Written By :  Shivani Jawanjal
Update:2025-01-10 17:50 IST

Bermuda Triangle Ka Rahasya Kya Hai 

Bermuda Triangle Ka Rahasya: रहस्यों से भरी इस पृथ्वी पर अनगिनत ऐसी घटनाएं दर्ज हैं, जो आज भी मानव इतिहास में एक अनसुलझी पहेली बनी हुई हैं। इन घटनाओं के पीछे छिपे कारणों को समझने की कोशिश सदियों से की जा रही है।लेकिन इनमें से कई घटनाएं आज भी वैज्ञानिकों, इतिहासकारों और अन्वेषकों के लिए चुनौती बनी हुई हैं। इन रहस्यों का न तो कोई पुख्ता ऐतिहासिक आधार है और न ही कोई ठोस वैज्ञानिक व्याख्या।

एक ऐसी ही पहेली अटलांटिक महासागर की गहराइयों में छिपी हुई है, जिसे हम बरमूडा ट्रायंगल के नाम से जानते हैं। यह स्थान विश्व के सबसे रहस्यमय क्षेत्रों में से एक है। बरमूडा ट्रायंगल 'अटलांटिक महासागर' में स्थित, मियामी (फ्लोरिडा), बरमूडा और प्यूर्टो रिको को जोड़ने वाले क्षेत्र का नाम है।जहां जहाजों और विमानों के गायब होने की घटनाएं आज भी एक अनसुलझी पहेली हैं। तो हम इसी अनसुलझी और अविश्वसनीय घटना के बारे में विस्तार से जानने का प्रयास करेंगे।

क्या है बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle Ke Bare Mein Jankari)

उत्तर अटलांटिक महासागर में स्थित त्रिकोणीय आकार के इस रहस्यमय क्षेत्र को 'बरमूडा ट्रायंगल' या 'डेविल्स ट्रायंगल' कहा जाता है। यह क्षेत्र मियामी (फ्लोरिडा), बरमूडा और प्यूर्टो रिको को जोड़ने वाले त्रिभुज के रूप में स्थित है। बरमूडा संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी तट पर, मियामी (फ्लोरिडा) से लगभग 1770 किलोमीटर (1100 मील) की दूरी पर स्थित है। यह स्थान हैलिफैक्स, नोवा स्कोटिया (कनाडा) के दक्षिण में 1350 किलोमीटर (840 मील) की दूरी पर स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 54 वर्ग किलोमीटर (500,000 वर्ग मील) है और इसकी राजधानी हैमिल्टन है।


यहाँ पिछले करीब 100 सालों में 75 हवाई जहाज और 100 से भी छोटे-बड़े जहाज़ (यह संख्या निश्चित नहीं है और अलग-अलग स्रोतों में इसके भिन्न-भिन्न दावे किए गए हैं) रहस्यमय तरीके से गायब हो चुके है, जिनका आज तक मलबा भी नहीं मिल पाया है। इस क्षेत्र में अनसुलझी घटनाओं की रिपोर्टें 19वीं सदी के मध्य में दर्ज हुईं है।कुछ जहाज बिना किसी स्पष्ट कारण के पूरी तरह से खाली पाए गए।


तो कुछ ने कोई संकट संकेत (डिस्ट्रेस सिग्नल) नहीं भेजा और फिर उन्हें कभी देखा या सुना नहीं गया। कुछ विमान गायब हो गए, तो वही बचाव मिशन के भी इस क्षेत्र में उड़ान भरते समय गायब होने की घटनाएं दर्ज हैं। हालांकि इन रहस्यमयी घटनाओं को समझाने के लिए जो सिद्धांत प्रस्तुत किए गए हैं, वे अक्सर काल्पनिक और अवास्तविक लगते हैं।

बरमूडा ट्रायंगल से जुड़ी कुछ घटनाये जिनका आज तक कोई सुराग नहीं

स्प्रे जहाज का गायब होना :- स्प्रे जहाज, जिसे कप्तान जोशुआ स्लोकम द्वारा संचालित किया जा रहा था, 1909 में गायब हो गया था। यह जहाज एक साहसिक यात्रा पर था, जिसमें स्लोकम अकेले न्यूयॉर्क से लेकर ब्रिटिश वेस्ट इंडीज तक की यात्रा कर रहे थे। हालांकि, इसके गायब होने का मामला विवादास्पद रहा है, कुछ लोग इसे बरमूडा ट्रायंगल से जोड़ते हैं।


HMS अटालांटा (1880) :- मूल रूप से HMS जूनो नामक यह ट्रेनिंग जहाज 31 जनवरी, 1880 को बरमूडा से फालमाउथ, इंग्लैंड के लिए रवाना हुआ और अपने पूरे क्रू के साथ गायब हो गया। माना जाता था कि जहाज एक शक्तिशाली तूफान में डूब गया। हालांकि, 1997 में डेविड फ्रांसिस रेन की शोध ने इस घटना को बरमूडा ट्रायंगल से जोड़ने वाली धारणाओं को खारिज कर दिया।


USS साइकलोप्स (1918) :- USS साइकलोप्स एक अमेरिकी जहाज था, जो 300 से अधिक लोगों के साथ बिना कोई संकेत दिए गायब हो गया। यह जहाज 4 मार्च, 1918 को ब्राजील से वापस अमेरिका की ओर यात्रा कर रहा था। लेकिन इसके मलबे का कोई निशान नहीं मिला और न ही इसके डूबने का कोई ठोस कारण पता चल पाया। यह घटना अब तक रहस्यमय मानी जाती है।

कैरोल ए. डीरिंग (1921) :- यह पांच-मस्त वाला स्कूनर 31 जनवरी, 1921 को कैप हैटरस, नॉर्थ कैरोलिना के पास डायमंड शोल्स में बिना किसी क्रू के मेंबर के साथ मिला था। पायरेसी और सबोटेज़ जैसी कई थ्योरीज़ की जांच की गई। लेकिन कोई स्पष्ट कारण नहीं मिला।

फ्लाइट 19 (1945) :- अमेरिकी नौसेना के पांच बमवर्षक विमान, फ्लाइट 19, 5 दिसंबर, 1945 को अभ्यास के दौरान अचानक गायब हो गए। विमान चालकों ने नेविगेशन सिस्टम खराब होने की सूचना दी थी। जब इनकी खोज के लिए एक अन्य विमान भेजा गया, तो वह भी लापता हो गया।


स्टार टाइगर और स्टार एरियल (1948-1949) :- G-AHNP स्टार टाइगर 30 जनवरी, 1948 को अज़ोरेस से बरमूडा के लिए उड़ान भरते हुए गायब हो गया था, G-AGRE स्टार एरियल 17 जनवरी, 1949 को बरमूडा से किंग्सटन, जमैका के लिए उड़ान भरते हुए गायब हो गया था। दोनों ब्रिटिश साउथ अमेरिकन एयरवेज़ के विमान थे |

डगलस DC-3 (1948) :- 28 दिसंबर,1948 को, डगलस DC-3 विमान संख्या NC16002, सैन जुआन, प्यूर्टो रिको से मियामी के लिए उड़ान भरते हुए गायब हो गया। विमान या उसके 32 यात्रीयों का कोई पता नहीं चला।


कॉनिमारा IV (1955) :- 26 सितंबर,1955 को, अटलांटिक महासागर में, बरमूडा के दक्षिण में एक लग्जरी यॉट बहती हुई पाई गई। कहानियों में यह कहा जाता है कि यॉट का चालक दल गायब हो गया, जबकि यॉट तीन तूफानों का सामना करने के बावजूद सुरक्षित थी।

KC-135 स्ट्रैटोटैंकर्स (1963): दो अमेरिकी एयर फोर्स के रिफ्यूलिंग विमान बर्मूडा से 300 मील दूर टकरा गए और दुर्घटनाग्रस्त हो गए। हालांकि, खोज और बचाव ने दूसरे ‘क्रैश साइट’ की जांच की, तो वह केवल समुद्री शैवाल और तैरते हुए लकड़ी का ढेर था।

रहस्यमय घटनाओं का जिक्र

  • मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, बरमूडा ट्रायंगल में जहाजों के डूबने और अजीब घटनाओं की जानकारी सबसे पहले क्रिस्टोफर कोलंबस ने दी थी। उन्होंने अपनी लॉग बुक में इसका जिक्र किया था। कोलंबस ने लिखा था, 1492 में वह यात्रा कर रहे थे, उन्होंने अपने जहाजों को कुछ अजीब घटनाओं का सामना करते हुए महसूस किया। उन्होंने और उनके चालक दल ने क्षितिज पर अद्भुत रोशनी देखी और आकाश में आग की लपटें देखी थीं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनके कंपास की दिशा विचलित हो गई थी, जो एक असामान्य घटना थी। कोलंबस के इन विवरणों से इस क्षेत्र की रहस्यमय घटनाओं का जिक्र पहली बार हुआ।
  • इसके अलावा बरमूडा क्षेत्र में असामान्य घटनाओं का जिक्र 17 सितंबर,1950 को एडवर्ड वैन विंकल जोन्स द्वारा लिखे गए एक लेख में भी किया गया , जो मियामी हेराल्ड में प्रकाशित हुआ था और एसोसिएटेड प्रेस के द्वारा विभिन्न अमेरिकी समाचार पत्रों में वितरित किया गया था।

  • दो साल बाद, फेट मैगजीन में जॉर्ज एक्स. सैंड द्वारा ‘सी मिस्ट्री एट अवर बैक डोअर’( Sea Mystery at Our Back Door)नामक एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें उस रहस्यमय त्रिकोणीय क्षेत्र का जिक्र किया गया। इस लेख में सैंड ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद कई विमानों और जहाजों के गायब होने की घटनाओं का विवरण दिया। इनमें "सांद्र नामक एक ट्रम्प स्टीमर का गायब होना, दिसंबर 1945 में फ्लाइट 19 , जनवरी 1948 में स्टार टाइगर नामक एक ब्रिटिश साउथ अमेरिकन एयरवेज (BSAA) यात्री विमान, मार्च 1948 में एक मछली पकड़ने वाली नौका, दिसंबर 1948 में एक एयरबोर्न ट्रांसपोर्ट DC-3 चार्टर फ्लाइट और जनवरी 1949 में स्टार एरियल" जैसे जहाजों के गायब होने का उल्लेख था |
  • फ्लाइट 19 की घटना को फिर से अप्रैल 1962 में ‘ द अमेरिकन लेगोइन मैगजीन’( The American Legion Magazine) में कवर किया गया। मैगजीन के लेखक एल्लन डब्ल्यू. एकर्ट ( Allan W. Eckert) ने लिखा कि फ्लाइट के लीडर ने कहा था, "हम किसी भी दिशा को लेकर निश्चित नहीं हैं, सब कुछ गलत लग रहा है, अजीब सा महसूस हो रहा है, समुद्र वैसे नहीं दिख रहा जैसा होना चाहिए।"

  • फरवरी 1964 में, विंसेंट गैडिस ( Vincent Gaddis) ने ‘द डेडली बरमूडा ट्रायंगल’ ( The Deadly Bermuda Triangle)नामक लेख में लिखा कि "फ्लाइट 19 और अन्य जहाजों के गायब होने की घटनाएं, इस क्षेत्र के एक पैटर्न का हिस्सा थीं, जो कम से कम 1840 से शुरू हो चुकी थीं।इसके बाद, गैडिस ने अपने इस लेख को विस्तृत रूप में अपनी किताब ‘इनविजिबल होराइजन्स’( Invisible Horizons) में 1965 में प्रकाशित किया।
  • अन्य लेखकों ने गैडिस के विचारों को और विस्तार से प्रस्तुत किया। लेखक जॉन वालस स्पेंसर ने 1969 में प्रकाशित ‘लिंबो ऑफ द लॉस्ट’ ( Limbo of the Lost) को 1973 में पुनः प्रकाशित किया। 1974 में लेखक चार्ल्स बर्लिट्ज़ ने ‘द बरमूडा ट्रायंगल’ ( The Bermuda Triangle) और रिचर्ड वाइनर ने ‘द डेविल्स ट्रायंगल’ (The Devil's Triangle) लिखी। इन सभी लेखकों द्वारा इस रहस्यमय क्षेत्र से संबंधित विचारों और घटनाओं का विस्तार से वर्णन करते हुए परलौकिक (सुपरनेचुरल) तत्वों का भी समावेश किया।

बरमूडा ट्रायंगल के रहस्यों लेकर अलग-अलग तर्क और दावे

  • सैंड के लेख में इस क्षेत्र को ‘एक जलमय त्रिकोण’ के रूप में बताया गया था, जिसकी सीमाएं फ्लोरिडा, बर्मूडा और प्यूर्टो रिको के बीच हैं। गैडिस के लेख में इस त्रिकोण के बिंदुओं को मियामी, सैन जुआन और बर्मूडा बताया गया। लेकिन बाद में कुछ लेखकों ने इस त्रिकोण की सीमाएं अलग-अलग दीं, जिससे इसका आकार 1.3 मिलियन से 3.9 मिलियन वर्ग किमी (0.50 से 1.51 मिलियन वर्ग मील) तक हो सकता है। कुछ लेखकों ने इसे आयरिश तट तक भी बढ़ा दिया। इसलिए, यह तय करना कि कौन सी घटनाएं इस त्रिकोण में हुईं, इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा लेखक उन घटनाओं को रिपोर्ट कर रहा है।
  • लैरी कुशे ने ‘द बरमूडा ट्रायंगल मिस्ट्री: सॉल्वड’( 1975) में बरमूडा ट्रायंगल की घटनाओं को लेकर अन्य लेखकों के परलौकिक दावों को चुनौती देते हुए लिखा की, बहुत सी घटनाएं त्रिकोण के बाहर हुईं और कई बार मौसम जैसी महत्वपूर्ण जानकारी गायब रही, जिसे लेखकों ने नजरअंदाज किया। कुशे ने निष्कर्ष निकाला कि इस क्षेत्र में लापता जहाजों और विमानों की संख्या अन्य महासागरों के मुकाबले अधिक नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि इन घटनाओं के पीछे का कारण अक्सर ख़राब मौसम होता है, जिन्हें लेखकों ने सही से नहीं बताया। कुशे के अनुसार, बरमूडा ट्रायंगल की किंवदंती एक काल्पनिक रहस्य है, जिसे लेखकों ने गलत धारणाओं और सनसनीखेज तरीके से फैलाया।

  • 1992 में ब्रिटिश चैनल 4 के ‘द बरमूडा ट्रायंगल’ कार्यक्रम के दौरान लॉयड्स ऑफ लंदन से यह सवाल पूछा गया था कि क्या इस क्षेत्र में जहाजों के डूबने की संख्या असामान्य है। लॉयड्स ने बताया कि इस क्षेत्र से गुजरने वाले जहाजों और विमानों की संख्या को देखते हुए, यहाँ असामान्य रूप से अधिक जहाज नहीं डूबे और वे इस क्षेत्र से गुजरने के लिए उच्च शुल्क भी नहीं लेते। इसके अलावा, संयुक्त राज्य कोस्ट गार्ड के रिकॉर्ड ने भी इस बात की पुष्टि की कि यहाँ लापता होने की घटनाएँ बहुत कम हैं।
  • अमेरिकी तट रक्षक (कोस्ट गार्ड) बरमूडा ट्रायंगल की घटनाओं की पुष्टि नहीं करते, उनके अनुसार , उनके द्वारा की गई जांच में कई ऐसे सबूत पाए हैं जो उन घटनाओं से मेल नहीं खाते जो बरमूडा ट्रायंगल के बारे में बताई जाती हैं।
  • 27 जून, 1976 को ‘नोवा/होराइजन’ के ‘द केस ऑफ़ द बरमूडा ट्रायंगल’ एपिसोड में बरमूडा ट्रायंगल की रहस्यमय घटनाओं पर चर्चा की गई थी। इस एपिसोड में यह बताया गया कि जहाज और विमान इस क्षेत्र में उसी तरह व्यवहार करते हैं जैसे वे दुनिया के किसी अन्य हिस्से में करते हैं। इसका मतलब था कि बरमूडा ट्रायंगल में होने वाली घटनाएं खासतौर पर असामान्य नहीं थीं और यह संभव था कि इन घटनाओं को अन्य प्राकृतिक कारणों से समझा जा सकता था।

  • संदेहास्पद शोधकर्ताओं, जैसे 'एर्नेस्ट टैव्स' और 'बैरी सिंगर' के अनुसार, रहस्यमय और पारलौकिक (परानॉर्मल) विषय बहुत लोकप्रिय और लाभकारी होते हैं, जिसके कारण बरमूडा ट्रायंगल जैसे विषयों पर बहुत सारी सामग्री का उत्पादन हुआ है। उन्होंने यह दावा किया कि बाज़ार में उपलब्ध किताबें, टीवी विशेष कार्यक्रम और अन्य मीडिया जो ट्रायंगल रहस्य का समर्थन करते हैं, वे पक्षपाती हैं। वहीं, जो सामग्री संदेहास्पद दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, उसे इनका विरोध है।
  • लेखक और वैज्ञानिक पारलौकिक अनुसंधानकर्ता, बेंजामिन रैडफोर्ड के अनुसार समुद्र में खोए हुए विमान को ढूंढना बहुत मुश्किल होता है और हालांकि गायब होना रहस्यमय लगता है, इसका मतलब यह नहीं कि यह पारलौकिक है। उन्होंने यह भी बताया कि बरमूडा ट्रायंगल से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएं गलत जानकारी के कारण फैल गई हैं।
  • वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर द्वारा 2013 में किए गए अध्ययन में भी बरमूडा ट्रायंगल को दुनिया के सबसे खतरनाक जलमार्गों में शामिल नहीं किया गया।

बरमूडा ट्रायंगल से जुड़ी घटनाओं के कुछ काल्पनिक कारण

  1. बरमूडा ट्रायंगल से जुड़ी घटनाओं की व्याख्या करने के लिए कई काल्पनिक (hypothetical) प्रयास किए गए हैं।
  2. भौतिक और मौसम संबंधी कारण :- एक सामान्य व्याख्या यह है कि ट्रायंगल क्षेत्र में तेज हवाएँ, समुद्री तूफान, घने बादल और अचानक मौसम परिवर्तन जहाजों और विमानों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। विशेष रूप से, समुद्र की गहरी स्थिति और अचानक मौसम में बदलाव, नेविगेशन के लिए समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
  3. चुम्बकीय विचलन :- कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र का विचलन होता है, जिससे कंपास की सटीक दिशा बदल जाती है। इससे पायलट और नाविक गुमराह हो सकते हैं और अपनी दिशा खो सकते हैं।
  4. गहरे समुद्र में गैस विस्फोट :- एक और काल्पनिक व्याख्या यह है कि समुद्र के गहरे हिस्सों में मीथेन गैस जमा हो सकती है, जो अचानक उभरने पर पानी के घनत्व को कम कर देती है। इससे जहाज डूब सकते हैं, क्योंकि उनका वजन पानी में तैरने के लिए आवश्यक घनत्व से अधिक हो सकता है।
  5. मानव त्रुटियाँ और दुर्घटनाएँ :- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बरमूडा ट्रायंगल में हुई घटनाओं का कारण मानव त्रुटियाँ और दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। जटिल जलवायु स्थितियों और आपातकालीन स्थितियों में, यदि चालक दल सही निर्णय नहीं ले पाता, तो दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।
  6. परलौकिक सिद्धांत :- कुछ लोग मानते हैं कि बरमूडा ट्रायंगल में अज्ञेय शक्तियाँ या परलौकिक घटनाएँ होती हैं, जो जहाजों और विमानों को गायब कर देती हैं। इसमें अंतरिक्ष, समय, या अन्य आयामों का हस्तक्षेप भी माना गया है।

हमारे चारों ओर ऐसी अनगिनत घटनाएँ और स्थान मौजूद हैं, जो अपने आप में एक गहरा रहस्य समेटे हुए हैं। जो वैज्ञानिक खोजों और तर्कों के बावजूद आज भी अनसुलझी हैं।बरमूडा ट्रायंगल भी उन्ही घटनाओं में से एक है । जिसका रहस्य समय-समय पर लोगों के बीच चर्चा का विषय बना रहा है। कुछ लोग इसे मौसम, तकनीकी समस्याएं और मानवीय गलतियां मानते हैं, तो कुछ लोग आज भी इसे एक रहस्यमय और परलौकिक क्षेत्र मानते हैं। हालांकि बरमूडा ट्रायंगल आज भी एक रहस्यमय और अनसुलझी पहेली है। 

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