Coorg Scotland of India: कूर्ग: भारत का स्कॉटलैंड

Coorg Scotland of India: भारत के कर्नाटक राज्य में समुद्री तल से 1525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुर्ग अपने खूबसूरत वादियों, मसालों, चाय और कॉफी बागानों, घने जंगलो के लिए मशहूर है। कर्नाटक के इस हिल स्टेशन को कोडागु नाम से भी जाना जाता है।

Update:2023-11-12 16:38 IST

कूर्ग: भारत का स्कॉटलैंड: Photo- Social Media

Coorg Scotland of India: भारत के कर्नाटक राज्य में समुद्री तल से 1525 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुर्ग अपने खूबसूरत वादियों, मसालों, चाय और कॉफी बागानों, घने जंगलो के लिए मशहूर है। कर्नाटक के इस हिल स्टेशन को कोडागु नाम से भी जाना जाता है। कुर्ग शब्द की उत्पत्ति कोडगु से हुई, जिसका मतलब माता का आना होता है जो कावेरी माता को समर्पित था। 8 वीं शताब्दी में बसे इस शहर पर गंगा वंश द्वारा शासन किया गया, इसके अलावा यह चोल, चालुक्य और पांडव जैसे शासकों की राजधानी भी रहा।

कूर्ग अपने उत्तम जलवायु, पहाड़ी श्रृंखलाओं और कॉफी बागानों के लिए प्रसिद्ध है यहां की जलवायु , वास्तुकला, झरने, पहाड़ और इलाके स्कॉटलैंड जैसे दिखते हैं, इसलिए इसे भारत का स्कॉटलैंड भी कहा जाता है। यहां कई देखने लायक प्राकृतिक चीजें हैं जो सैलानियों को आकर्षित करता है। यहां के खास घूमने वाली जगहें हैं :

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एबी फॉल्स:

करीब 70 फीट की ऊंचाई से नीचे की ओर गिरते पानी का यह खूबसूरत झरना “अब्बी फॉल्स” के नाम से भी जाना जाता है। इस झरने की वजह से कुर्ग का यह हिल स्टेशन ज्यादा लोकप्रिय है। माना जाता है कि इस झरने का नाम इस क्षेत्र के पहले ब्रिटिश पादरी ने अपनी बेटी की याद में रखा था । हरे-भरे कॉफी और मसालों के बागानों के बीच इस झरने को देख सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इस जगह घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का मौसम है।

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मंडलपट्टी व्यूपॉइंट :

करीब 4050 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह व्यू पॉइंट पुष्पगिरी रिजर्व फ़ॉरेस्ट का एक भाग है। मंडलपट्टी का अर्थ है 'बादलों का बाजार', जहां से पर्यटक इस क्षेत्र के सबसे खूबसूरत नजारे को देख सकते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं - पहला एबी फॉल्स जंक्शन और दूसरा मक्कंदुरु के माध्यम से। सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे के बीच इस जगह को देख सकते हैं।

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नामद्रोलिंग मठ :

कूर्ग से लगभग 34 किमी दूर स्थित इस मठ को स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटकों की आस्था का यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म संबंधित स्कूलों का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र भी है। सुबह 7 बजे से रात के 8 बजे के बीच इस जगह को घूम सकते हैं। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी तिब्बती बस्ती बाइलाकुप्पे में स्थित है। यहां पर तिब्बत की वास्तुकला और संस्कृति को करीब से देखने का मौका मिलता है।

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पुष्पगिरी वन्यजीव अभयारण्य :

इस वन्यजीव अभयारण्य में आप ग्रे हॉर्नबिल, नीलगिरी फ्लाईकैचर और ग्रे-ब्रेस्टेड लाफिंग थ्रश जैसे कई लुप्त और दुर्लभ पक्षी प्रजातियों को देख सकते हैं । यह जगह भारतीय विशालकाय गिलहरी, ब्राउन पाम सिवेट, चित्तीदार हिरण और एशियाई हाथी का भी घर है।

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राजा की सीट :

कूर्ग जिले के मदिकेरी में स्थित इस जगह पर राजा बाग़ में बैठा करते थे और मनोरंजन के लिए अपना समय यहां बिताते थे , इसलिए यह जगह राजा की सीट के नाम से जाना जाता है। लोग खासकर फोटो लेने के लिए इस जगह आते हैं। यहां सैलानी उगते सूरज और सनसेट का भी खूबसूरत नजारा देख सकते हैं। इस उद्यान में खूबसूरत फूलों, आर्टिफिशियल फाउंटेन फव्वारे का आनंद भी ले सकते हैं।

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ताडियांदामोल पीक :

लगभग 5724 फीट की ऊंचाई पर स्थित कूर्ग की यह सबसे ऊंची चोटी है और कर्नाटक राज्य में दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। घने जंगलों से घिरे यहां के पहाड़ ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग समान है। जीप के माध्यम से भी इस पहाड़ी के दो-तिहाई क्षेत्र तक पहुंचा जा सकता है।

इस पर्वत चोटी पर चढ़ कर प्राकृतिक सौंदर्य का नज़ारा कुछ और ही होता है। यहां की कठिन चढ़ाई के बाद खूबसूरत नजारा आपकी थकान दूर कर देगा। यहां घूमने का समय सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच है।

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इरुप्पु फॉल्स :

यह कूर्ग जिले में ब्रह्मगिरी पर्वत श्रृंखला पर स्थित एक खूबसूरत झरना है जिसे लक्ष्मण तीर्थ वाटरफॉल के नाम से भी जाना जाता है। करीब 170 फीट की ऊंचाई से गिरते हुए इस झरने के पानी को देखने पर्यटक एक बार जरूर आना चाहता है। बरसात के समय में यहां का दृश्य और भी रोचक हो जाता है और हरे भरे वादी में एक सुरम्य वातावरण का एहसास होता है। इस झरने के पास ही भगवान शिव का रामेश्वर मंदिर भी है। ऐसा माना जाता है कि इस झरने का संबंध रामायण काल से है।

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नीलकंडी झरना :

यह झरना हनी वैली के नाम से भी जाना जाता है। करीब 50 फीट से अधिक की ऊंचाई से नीचे गिरते पानी का हरे-भरे जंगलों में इस झरने का पर्यटकों को एक खूबसूरत नजारा मिलता है। इस झरने को देखने हर साल लाखों की तादाद में देशी विदेशी पर्यटक आते हैं। बारिश के समय में झरने के पानी का बहाव और हरियाली देखने के लिए लोग यहां ज्यादा आते हैं।

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मोदिकेरी किला :

भारत के कई राज्य किले और दुर्ग के लिए मशहूर हैं कुछ ऐसा ही किला कर्नाटक के कुर्ग जिले में है जिसे मोदिकेरी किला के नाम से जाना जाता है। हजारों साल पुराने इस किले को मर्करा किला के नाम से भी जानते हैं , लेकिन मैसूर सरकार द्वारा इस किले के नाम को बदलकर मोदिकेरी किला कर दिया गया। कुर्ग घूमने गए सैलानियों के लिए यह एक बेहतरीन पर्यटक स्थल है।

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ओंकारेश्वर मंदिर:

कर्नाटक राज्य अपने पहाड़ी वादियों के अलावा देश में अपने मंदिरों के लिए भी विख्यात है । लोकप्रिय हिल स्टेशन कुर्ग का ओंकारेश्वर मंदिर भी पर्यटकों के लिए आस्था और पर्यटक का केंद्र है।

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भागमंडला मंदिर :

यह मंदिर तीन नदियों के संगम पर स्थित है। कावेरी , कनिका और सुज्योति नदियों के संगम पर स्थित यह मंदिर पर्यटकों के लिए एक अच्छे नजारे के साथ दर्शन का भी स्थान बन जाता है। ऐसा माना जाता है कि कावेरी नदी कावेरा ऋषि को भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद के रूप में मिली थी।

कैसे पहुंचें ?

हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए नजदीकी एयरपोर्ट मैसूर और मैंगलोर है। मैसूर हवाई अड्डे से 121 किमी दूर और मैंगलोर से 168 किमी की दूरी पर यह स्थित है। यहां से टैक्सी द्वारा आप कूर्ग पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग द्वारा मैसूर और मैंगलोर तक पहुंच कर वहां से आप टैक्सी या बस द्वारा कूर्ग पहुंच सकते हैं। केरल का थालस्सेरी शहर भी कुर्ग के नजदीक है। सड़क मार्ग से आने के लिए हर मशहूर शहर से कूर्ग के लिए बसें उपलब्ध हैं। बंगलौर, मैंगलोर , मैसूर, हसन से कुर्ग जाने वाली बसें आसानी से मिल जायेंगी। इसके अलावा अपनी गाड़ी या टैक्सी के जरिए भी यहां आ सकते हैं।

कूर्ग में घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से अप्रैल तक का होता है। इस दौरान पहाड़ों और झरनों का सुनहरा दृश्य देखकर पर्यटक भरपूर आनंद ले सकते हैं। मॉनसून के दौरान अत्यधिक बारिश होने की वजह से घूमने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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