MP Famous Temple: महाराष्ट्र के कैलाश मन्दिर जैसे मध्य प्रदेश में भी है कुछ खास, यहां देखें डिटेल्स
Madhya Pradesh Famous Temple: महाराष्ट्र का श्री कैलाश मन्दिर वस्तुकला का एक अनूठा उदाहरण है। इसी स्थापत्य कला से प्रेरित एक और प्रतिरूप भारत में है, जो महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में स्थित हैं, चलिए जानते है इस खास मंदिर के बारे में...
Dharmarajeshwara Mandir Details: भारत में कई खूबसूरत और प्राचीन जगह है जो आपको अपनी सुंदरता से चौकने पर मजबूर कर देती है। यहां पर भी हम आपको भारत के ऐसे ही आश्चर्य के बारे में बताने जा रहे है, आपने महाराष्ट्र के एलोरा में श्री कैलाश मंदिर के बारे में सुना होगा यह मन्दिर अपनी अनोखी वास्तुकला के लिए जानी जाती है। विश्व प्रसिद्ध होने के साथ साथ हेरिटेज साइट भी है, लेकिन आपको पता है एक और ऐसा मंदिर है, जो बिल्कुल कैलाश मंदिर जैसे ही बनाया गया है। जो महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य में स्थित है। चलिए जानते हैं इस विशेष मंदिर के बारे में..
मध्य प्रदेश का अनोखा मंदिर (Famous Temple Of Madhya Pradesh)
भारत के मध्य प्रदेश में स्थित धर्मराजेश्वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक पूजनीय प्राचीन हिंदू मंदिर है। 9वीं शताब्दी में निर्मित यह मंदिर चंदेला राजवंश की वास्तुकला और कलात्मक कौशल का प्रमाण है, जो इस क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट मंदिर परिसरों के लिए जाना जाता है।
यहां है भारत का दूसरा एलोरा(Elora Cave and Shri Kailash Mandir)
चंदवासा, मंदसौर में श्री धर्मराजेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक सुंदर और ऐतिहासिक मंदिर है। मंदिर का रखरखाव बहुत अच्छा है और इसकी वास्तुकला बहुत ही प्रभावशाली है, जिसमें जटिल नक्काशी और मूर्तियां हैं। मंदिर के अंदर का वातावरण बहुत ही सुंदर है ।
नाम: श्री धर्मराजेश्वर मंदिर (Shree Dharmarajeshwara Mandir)
लोकेशन: 5FVX+HHQ, चंदवासा, मध्य प्रदेश
बौद्ध गुफाओं के दर्शन के लिए प्रवेश टिकट: 20/- रूपए
पहले नहीं था शिव मंदिर
धर्मराजेश्वर एक ब्राह्मण मन्दिर है जो पूर्ण रूप से पहाड़ी को काटकर बनाया गया है । इसमें गर्भगृह , सभामण्डप तथा अर्द्धमण्डप हैं , इस मन्दिर का शिखर उत्तर भारतीय शैली का है। शुरुआत में यह मन्दिर विष्णु जी को , जिनकी प्रतिमा गर्भगृह में आज भी विद्यमान है उन्हें समर्पित था। बाद में यह शिव मन्दिर में परिवर्तित किया गया। गर्भ गृह में शिवलिंग भी विराजमान है।
मन्दिर की सुन्दर स्थापत्य कला
मंदिर परिसर जटिल नक्काशीदार मूर्तियों और अलंकृत वास्तुशिल्प विवरणों से सुसज्जित है, जो उस युग के कारीगरों के कौशल और शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है। मुख्य गर्भगृह में भगवान शिव का प्रतीक एक लिंगम है, और यह विभिन्न देवताओं को समर्पित छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है।धर्मराजेश्वर मंदिर की सबसे खास विशेषताओं में से एक इसकी वास्तुकला शैली का अनूठा मिश्रण है। जिसमें नागर और द्रविड़ वास्तुकला के तत्वों का संयोजन है। शैलियों का यह मिश्रण मध्यकालीन भारत में हुए सांस्कृतिक और कलात्मक आदान-प्रदान का संकेत है।
मंदिर का पौराणिक और धार्मिक महत्व
एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में, धर्मराजेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत में योगदान देता है और भारत की समृद्ध वास्तुकला और आध्यात्मिक परंपराओं की याद दिलाता है। भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसकी विरासत को संजोने और सराहने के लिए इसका संरक्षण और संरक्षण आवश्यक है। मंदिर भक्तों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है, जो भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए इस स्थल पर आते हैं। यह विभिन्न धार्मिक समारोहों और त्योहारों के लिए एक स्थल के रूप में भी कार्य करता है, जो दूर-दूर से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
एलोरा के कैलाश मंदिर जैसी है बनावट
धर्मराजेश्वर मंदिर और बौद्ध गुफाएं एक ही बस्ती में लगभग 100 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। जो अद्भुत और अत्यंत प्राचीन हैं, मंदिर की स्थापना के अनुसार महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर के अनुज महाबली भीम ने की थी। इस मंदिर में आपको हरि और नारायण यानी देवो के देव महादेव और विष्णु भगवान की प्रतिमा मिलती है। जो अन्य मंदिरों से दुर्लभ हैं। इस मंदिर और इसके शिखर की भव्यता वैसी ही दिखती है, जिस प्रकार के एलोरा में कैलाश मंदिर का है, ठीक वैसा ही धर्मराजेश्वर मंदिर भी बनाया गया है। प्राचीन भारत के इतिहास से जुड़े कई अनोखे चिन्ह यहां मौजूद हैं।इस स्थान का प्रचार ठीक से नहीं हुआ है, जो कि अब तक इस स्थान को दर्शाता है।