Duniya Ka Sabse Khubsurat Desh: इस खूबसूरत देश में है सिर्फ एक ही सड़क, नहीं आता कोई भी, आइए जानते हैं इस अनोखे देश को

Duniya Ka Sabse Khubsurat Desh Tuvalu History: टुवालू नौ द्वीपों से मिलकर बना है। इसकी जनसंख्या केवल 11,000 है, जो इसे सबसे कम आबादी वाले स्वतंत्र देशों में शामिल करती है। आइए जानते हैं इस देश के बारे में खास बातें।;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-02-02 11:58 IST

Duniya Ka Sabse Khubsurat Desh Tuvalu History (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Duniya Ka Sabse Khubsurat Desh Tuvalu History: टुवालू दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीपीय देश (Island Nation) है। यह राष्ट्र नौ प्रवाल द्वीपों (Atolls) से मिलकर बना है। अपने अनूठे भौगोलिक एवं सांस्कृतिक महत्व के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। टुवालू का कुल क्षेत्रफल मात्र 26 वर्ग किलोमीटर है, जो इसे दुनिया के सबसे छोटे देशों में से एक बनाता है। इसकी जनसंख्या लगभग 11,000 (Tuvalu Population) है, जो इसे सबसे कम आबादी वाले स्वतंत्र देशों में शामिल करती है।

टुवालू, जिसे पहले एलिस द्वीपसमूह (Ellice Islands) के नाम से जाना जाता था, दक्षिण प्रशांत महासागर में हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित है। यह नौ द्वीपों (चार रीफ द्वीप और पाँच प्रवाल एटोल) से मिलकर बना है। जिसमें लगभग आधे लोग राजधानी फनाफूती एटोल (Funafuti Atoll) में निवास करते हैं।

टुवालू का निर्माण और भूगोल (Formation And Geography Of Tuvalu)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टुवालू का निर्माण प्रवाल द्वीपों से हुआ है, जो समय के साथ ज्वालामुखी गतिविधियों और प्रवाल भित्तियों (coral reefs) के विकास से निर्मित हुए हैं। यह द्वीप मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में विभाजित हैं:-

फनाफूती– यह टुवालू की राजधानी और सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप है।

नानुमेआ

नानुमांगा

निउताओ

नुकुफेताऊ

नुकुलाएलाए

वैतुपु

फनाफुती (मुख्य प्रशासनिक केंद्र)

निउलाकिता (सबसे कम आबादी वाला द्वीप)

यह द्वीप निम्न समुद्र तल वाले हैं, जिससे यह जलवायु परिवर्तन और समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं। यदि समुद्र का जलस्तर बढ़ता है, तो टुवालू के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है।

टुवालू की विशेषताएँ (Tuvalu Ki Khasiyat)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टुवालू की निम्नलिखित विशेषताएँ इसे अद्वितीय बनाती हैं:

छोटा क्षेत्र और कम जनसंख्या– विश्व में सबसे छोटे स्वतंत्र देशों में से एक।

समुद्री जीवन और प्राकृतिक सुंदरता– टुवालू का समुद्री जीवन अत्यंत समृद्ध है, जहाँ प्रवाल भित्तियाँ और उष्णकटिबंधीय मछलियाँ पाई जाती हैं।

पर्यावरण संकट का सामना– यह देश जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने वाला प्रमुख देश है।

अनोखी पारंपरिक संस्कृति– यहाँ की भाषा, संगीत और नृत्य अन्य प्रशांत द्वीप समूहों से भिन्न है।

टुवालू का इतिहास (Tuvalu Ka Itihas In Hindi)

टुवालू का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। यह माना जाता है कि इस द्वीप पर सबसे पहले पोलिनेशियाई लोग आकर बसे। 16वीं सदी में, यूरोपीय खोजकर्ताओं ने इस द्वीप को खोजा। 1568 में स्पेनिश खोजकर्ता ‘अलवारो दे मेंडाना’ ने इस क्षेत्र का अन्वेषण किया। 1892 में ब्रिटिश साम्राज्य ने टुवालू को अपने नियंत्रण में लिया और इसे ‘एलिस द्वीप समूह’ कहा जाने लगा। 1978 में टुवालू ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त की और एक संप्रभु राष्ट्र बना।

सरकार और शासन प्रणाली (Tuvalu Government And Governance System)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टुवालू एक संवैधानिक राजतंत्र (Constitutional Monarchy) है, जिसका प्रमुख ब्रिटिश सम्राट (King Charles III) है। हालाँकि, वास्तविक शासन एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में चलता है। इसमें प्रधानमंत्री – सरकार के प्रमुख होते हैं, जो संसदीय चुनावों द्वारा चुने जाते हैं। गवर्नर जनरल – यह ब्रिटिश सम्राट का प्रतिनिधित्व करता है।

संसद– टुवालू की संसद (Fale I Fono) में 15 सदस्य होते हैं।टुवालू में कोई संगठित राजनीतिक दल नहीं हैं। आमतौर पर सांसद अनौपचारिक समूहों के साथ जुड़कर कार्य करते हैं। संसद सदस्यों के अपने द्वीपीय निर्वाचन क्षेत्रों के साथ घनिष्ठ संबंध होते हैं।

2024 का आम चुनाव (Tuvalu General Elections 2024)

टुवालू ने 26 जनवरी, 2024 को आम चुनाव आयोजित किया। 16 सीटों के अंतिम चुनाव परिणाम 27 जनवरी 2024 को घोषित किए गए। माननीय प्रधानमंत्री फेलेटी टेओ (Feleti Teo OBE) ने 28 फरवरी, 2024 को टुवालू सरकार का गठन किया।

मुद्रा और अर्थव्यवस्था (Tuvalu Currency And Economy)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टुवालू की आधिकारिक मुद्रा ‘टुवालू डॉलर (TVL)’ है, लेकिन यहाँ ‘ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (AUD)’ का भी उपयोग किया जाता है। इसकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से निम्नलिखित गतिविधियों पर निर्भर करती है:

मत्स्य उद्योग– समुद्री मछली पकड़ना और निर्यात करना प्रमुख व्यवसाय है।

डोमेन बिक्री (.tv)– टुवालू का इंटरनेट डोमेन ‘tv’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय है, जिससे सरकार को आय होती है।

विदेशी सहायता– ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों से आर्थिक सहायता प्राप्त होती है।

कृषि और नारियल उत्पादन– यहाँ मुख्य रूप से नारियल, तारो और केले की खेती होती है।

पर्यटन– सीमित मात्रा में लेकिन पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता देखने आते हैं।

टुवालू में शिक्षा व्यवस्था (Tuvalu Education System)

टुवालू में शिक्षा अनिवार्य और मुफ्त है।प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय – प्रत्येक द्वीप पर स्कूल उपलब्ध हैं।टुवालू समुद्री प्रशिक्षण संस्थान समुद्री उद्योग में रोजगार के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है। यहाँ कोई विश्वविद्यालय नहीं है, लेकिन छात्र फिजी और न्यूजीलैंड के संस्थानों में पढ़ाई के लिए जाते हैं।

स्वास्थ्य और जीवनशैली (Tuvalu Health and Lifestyle)

टुवालू में स्वास्थ्य सुविधाएँ सीमित हैं। यहाँ का मुख्य अस्पताल ‘प्रिंसेस मार्गरेट अस्पताल’ है, जो फनाफूती में स्थित है।

टुवालू का पर्यटन (Tuvalu Tourism)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टुवालू में होटल और रेस्तरां सीमित संख्या में हैं। वाइगोटेल– राजधानी फनाफूती में स्थित प्रमुख होटल है। एस्केप होटल – छोटा लेकिन सुविधाजनक होटल है। स्थानीय लोग पर्यटकों को होमस्टे का विकल्प भी प्रदान करते हैं।

प्रमुख रेस्तरां: फनाफूती लैगून रेस्तरां– समुद्री भोजन के लिए प्रसिद्ध।

टुवालू कैफे– स्थानीय व्यंजन और पेय पदार्थ उपलब्ध।

टुवालू की प्रमुख चुनौतियाँ (Tuvalu Major Challenges)

टुवालू को कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:-

जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर वृद्धि– वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि समुद्र स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो टुवालू का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।

आर्थिक निर्भरता– इसकी अर्थव्यवस्था विदेशी सहायता और इंटरनेट डोमेन से होने वाली आय पर निर्भर करती है।

सीमित संसाधन– यहाँ स्वच्छ पानी, चिकित्सा सुविधाएँ और आधुनिक बुनियादी ढाँचे की कमी है।

क्या है देश के गायब होने के पीछे का सच

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आज तक पर्यटकों ने इस सुन्दर देश की बेहद अनदेखी की है। लेकिन ऐसा हो सकता है कि कुछ समय बाद इस देश में वास्तव में कोई भी न जा पाए। ऐसा इसलिए क्योंकि बताया जा रहा है कि यह देश पूर्ण रूप से दुनिया से गायब होने वाला है। यहाँ की आबादी क्षेत्र समुद्र से सिर्फ 2 मीटर की ऊंचाई पर बताया जाता है। साथ ही देश का सबसे ऊँचा हिस्सा समुद्रतल से करीब 4-5 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जानकारों कि मानें तो समुद्र हर साल 3.9 मिमी की दर से बढ़ रहा है। इसी वजह से यह देश पूर्ण रूप से कुछ वर्षों बाद समुद्र में समां सकता है।

देश के डूबने का खतरा और भी अधिक महसूस लगने लग गया है, क्योंकि तुवालु के 9 में से 2 द्वीप पहले से ही समुद्र के स्तर के बढ़ने और तटीय कटाव से समुद्र द्वारा निगलने के कगार पर हैं। इन्हीं वजहों से तुवालु देशवासियों को भी बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ता है खास तौर पर तूफान के समय समुद्री लहरों द्वारा देश पर खतरनाक हमला होता है। शायद इसी वजह से पर्यटक भी यहाँ आने के कम ही इच्छुक रहते हैं।

टुवालू अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक धरोहर और शांतिपूर्ण जीवनशैली के लिए जाना जाता है। हालाँकि, यह देश जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। यदि इसे बचाने के लिए वैश्विक प्रयास नहीं किए गए, तो यह द्वीप आने वाले दशकों में जलमग्न हो सकता है।टुवालू की कहानी हमें पर्यावरण संरक्षण और छोटे द्वीपीय राष्ट्रों के अस्तित्व की लड़ाई की याद दिलाती है।

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