Famous Tourist Place: रावण ने बनाई थी स्वर्ग तक जाने के लिए 4 सीढियां, जानें कहां है ये जगह
Famous Tourist Place: रावण एक ऐसा व्यक्ति था जिसे स्वर्ग तक जाने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया था। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि यह सीढ़ियां कहां पर है।
Famous Tourist Place Haridwar: हिंदू धर्म में स्वर्ग लोक नरक लोक जैसी जगह का जिक्र किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ग लोक में देवी देवता निवास करते हैं और जो मनुष्य अच्छे कर्म करता है मृत्यु के बाद उसे स्वर्गलोक में जगह मिलती है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके कर्मों को देखकर यह तय किया जाता है कि उसे कहां भेजा जाएगा। स्वर्ग लोक हमेशा से ही मानव जाति के बीच को कोतुहुल का विषय रहा है। आपको बता दें कि बहुत से लोगों ने स्वर्ग तक जाने का रास्ता खोजने की कोशिश की है। रावण एक विद्वान पंडित था हालांकि उसे अपने कर्मों की वजह से रावण कहा जाने लगा। आपको बता दें कि रावण ने खुद भी स्वर्ग तक जाने के लिए सीढियों का निर्माण किया था। चलिए आज आपको यह कहानी और सीढ़ियां कहां पर है यह बताते हैं।
ऐसी है कहानी
दरअसल, रावण ने भगवान शिव को खुश करने के लिए अपना सर काटकर उन्हें चढ़ा दिया था। जिसके बाद भगवान शिव धरती पर आए थे। कहते हैं जिस स्थान पर भगवान शिव ने उस समय निवास किया था। वहां से ही स्वर्ग जाने का रास्ता था। ये मंदिर हिमाचल प्रदेश से 70 कि.मी से दूर सिरमौर नामक जिले में स्थित है। जिसका नाम पौड़ीवाला शिव मंदिर है। प्राचीन कथाओं की मानें तो जब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न किया तो बदले में शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि, अगर रावण 5 सीढियों का निर्माण कर देता है तो वो अमर हो जाएगा, लेकिन जब रावण सीढ़ियां बनाने लगा तो उसकी आंख लग गई। इसलिए उसका स्वर्ग जाने का सपना पूरा नहीं हुआ और शरीर में अमृत रखे हुए भी उसे अपनी देह को त्यागना पड़ा।
कहा है सीढियां
मान्यता के अनुसार, रावण ने स्वर्ग के लिए पहली सीढ़ी हरिद्वार में बनाई थी, जिसे हर की पौड़ी कहा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने दूसरी पौड़ी वाला में, तीसरी पौड़ी चुडेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई थी। वहीं पांचवी पौड़ी बनाने के दौरान रावण की आंख लग गई और वो जागा तो सुबह हो गई थी। कहा जाता है कि पौड़ीवाला यानि दूसरी पौड़ी में स्थापित शिवलिंग में भगवान शिव आज भी साक्षात विद्यामान हैं, लेकिन उनके दर्शन सिर्फ सच्चे भक्तों को ही होते हैं।