Ghats of Lucknow: क्या आप लखनऊ के इन घाटों के बारे में जानते हैं, सालों पुराने इतिहास से जुड़े यहां के रहस्य
Ghats of Lucknow: लखनऊ में अधिकतर प्रमुख स्मारक गोमती के तट पर बने हैं, जो हिंदू घाटों के साथ सह-अस्तित्व में अवध की समग्र संस्कृति का एक और उदाहरण है।
Ghats of Lucknow: लखनऊ सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक ऐसा एहसास है जिसे आप बहुत नजदीकी से महसूस करेंगे। इस शहर में आपको हर तरफ से एक अपनापन महसूस होता है। यहां की वास्तविक सुंदरता एतिहासिक विरासतों, परिष्कृत संस्कृति यानी तहजीब और मंत्रमुग्ध कर देने वाले स्वादिष्ट व्यंजनों में दिखाई देती है। लेकिन इसके अलावा भी लखनऊ में गोमती नदी राजधानी का एक अलग परिदृश्य दिखाती है। जिसमें दूर-दूर तक फैले घाट आपको शांति की अनुभूति कराते हैं।
लखनऊ में अधिकतर प्रमुख स्मारक गोमती के तट पर बने हैं, जो हिंदू घाटों के साथ सह-अस्तित्व में अवध की समग्र संस्कृति का एक और उदाहरण है। वैसे तो गोमती नदी के किनारे बसे इन घाटों के बारे में ज्यादा कोई नहीं जानता है लेकिन यहां आने पर आपको इन घाटों की खूबसूरती दिखाई देगी। तो बिना देर करते हुए आइए आपको लखनऊ के घाटों के बारे में बताते हैं।
लखनऊ के घाटों के बारे में
About the Ghats of Lucknow
कुड़िया घाट
Kudiya Ghat
लखनऊ के प्राचीन और पवित्र स्थानों में से एक, कुड़िया घाट लखनऊ के सबसे प्रसिद्ध घाटों में से एक है, जो शांतिपूर्ण वातावरण के बीच स्थित है। इस घाट का नाम संत कौंडिल्य के नाम पर रखा गया है। जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने यहां पर अपना आश्रम स्थापित किया था। सन् 1990 में इस घाट का जीर्णोद्धार किया गया था। यहां आप सौ साल पहले बने एक शिव मंदिर में दर्शन कर सकते हैं। घाट के पास कई आकर्षण हैं - जैसे एक पुराना लोहे का पुल - लखनऊ के विरासत स्मारक, क्लॉक टॉवर, रूमी दरवाजा, इमामबाड़ा, जो इस घाट को बहुत अधिक बहुत नजदीक में हैं।
देवराहा घाट
Devraha Ghat
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा हिंदुओं के लिए एक शुभ अवसर है। लखनऊ में, कार्तिक पूर्णिमा के दौरान, विभिन्न घाटों पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है और लखनऊ में जिस घाट को पवित्र डुबकी के लिए सबसे प्रमुख माना जाता है, वह देवराहा घाट है। इस घाट का नाम बाबा देवराहा से लिया गया है जिन्होंने घाट की स्थापना की थी।
करौंदा घाट
Karounda Ghat
शनि देवता और झूलेलाल (भगवान वरुण के अवतार) के मंदिर के लिए प्रसिद्ध, करौंदा घाट देवराहा घाट के बगल में है। लखनऊ में सिंधी समुदाय इस घाट पर चेट्टी चंद, संत झूलेला की जयंती के अवसर पर जश्न मनाते हैं। अनुष्ठान के दौरान, भक्त यहां स्थित झूलेलाल मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
शुक्ल घाट
Shukla Ghat
पतंग पार्क (काइट पार्क) के पास स्थित लखनऊ के एक और पुराने घाट का जीर्णोद्धार राइनी देवी चुन्नी देवी ट्रस्ट द्वारा किया गया था। यहां स्थित सरस्वती मंदिर प्रमुख आकर्षण है, जबकि गंगा स्नान या कार्तिक पूर्णिमा पर डुबकी लगाने के लिए लोगों की भारी भीड़ यहां देखी जाती है। इस अवसर पर कई बार यहां भंडारा भी आयोजित किया जाता है।
पंचवटी घाट
Panchwati Ghat
लेटे हुए हनुमान मंदिर के लिए प्रसिद्ध, इस घाट का नाम रामायण काल की पंचवटी से लिया गया है, जहां सीता वनवास में राम और लक्ष्मण के साथ रहती थीं। इस घाट के आसपास बहुत सारी वनस्पति और हरियाली है क्योंकि सीता की पंचवटी के चारों ओर विशाल वनस्पति थी।
लल्लू मल घाट
Lallu Mal Ghat
यह लगभग सौ साल पुराना घाट है, जो गोमती नदी पर डालीगंज पुल के बगल में स्थित है। कार्तिक पूर्णिमा, छठ पूजा, पितृ पक्ष और अमावस्या को इस घाट पर भारी भीड़ उमड़ती है। अच्छी तरह से संरक्षित इस लल्लू मल घाट में बरामदे, अलमारियां और एक धर्मशाला (तीर्थ लॉज) है जहां तीर्थयात्री रह सकते हैं। लल्लू मल भगवान दास उमर वैश्य द्वारा निर्मित इस स्थान पर अस्सी साल पुराना महादेव नर्मदेश्वर मंदिर है।
विसर्जन घाट
Visarjan Ghat
लखनऊ विश्वविद्यालय के पास स्थित इस घाट का उपयोग मुख्य रूप से देवी दुर्गा और गणेश की मूर्तियों के विसर्जन के लिए किया जाता है। लेकिन अब मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही छठ पूजा, मकर संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा या गंगा स्नान भी इस घाट पर भारी भीड़ देखने को मिलती है। वहीं अब लखनऊ नगर निगम ने घाट पर झूलेलाल पार्क विकसित किया है। जहां पर अब बड़े-बड़े मेलों का आयोजन आमतौर पर होता रहता है।
पिपरा घाट
Pipra Ghat
गोमती के दूसरी ओर स्थित पिपरा घाट को शहर का पुराना श्मशान घाट माना जाता है। छावनी द्वारा प्रबंधित वर्तमान श्मशान घाट 1960 में बना, जिसे बैकुंठ धाम या भैंसा कुंड के नाम से जाना जाता है। अब यहां महीने में केवल 10-15 दाह संस्कार ही किए जाते हैं, क्योंकि बहुत सारी गतिविधियां नए श्मशान केंद्रों में स्थानांतरित हो गई हैं, जिनमें बेहतर सुविधाएं हैं और विद्युत शवदाहगृह भी हैं। भारत माता के सम्मान में 1950 में निर्मित एक मंदिर की एक और विशिष्ट विशेषता है।
भैंसा कुंड या बैकुंठ धाम घाट
Bhainsa Kund or Baikunth Dham Ghat
बैकुंठ धाम घाट को भैंसा (जल भैंस) कुंड के रूप में भी जाना जाता है। इसके पीछे एक कथा है। जो इस प्रकार है- लड़ाई के दौरान पानी के भैंसे यहां एक तालाब में गिर गए और इस जगह को अपना नाम दिया, जबकि कुछ कहानियां कहती हैं, कि गोमती तट का यह इलाका भैंसों के लिए चरागाह था और यहां की नदी उथली थी, जो भैंसों के स्नान करने के लिए उपयुक्त थी। इसलिए इस नाम पड़ा। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि भैंसा जोकि यमराज (मृत्यु के देवता) का परिवहन है, इस प्रकार इस श्मशान घाट को भैंसा कुंड के रूप में जाना जाता है।
गुलाल घाट
Gulala Ghat
मुक्तिधाम के रूप में भी जाना जाता है, गुलाला घाट दाह संस्कार और दफनाने के लिए एक और पुराना स्थान है। इस घाट में हिंदू भगवान महाकाल, भगवान शिव और भगवान भैरों के मंदिर हैं। अंतिम संस्कार करने के लिए आवश्यक सामग्री की व्यवस्था और उपलब्धता इसके भीतर उपलब्ध है।
काला कोठी घाट
Kala Kothi Ghat
शनि मंदिर के लिए प्रसिद्ध, काला कोठी घाट कुड़िया घाट के पास स्थित है। भगवान हनुमान, देवी काली और भगवान काल कुटेश्वर महादेव को समर्पित मंदिर यहाँ स्थित हैं। घाट का नाम कला (कला) के नाम से पास में स्थित एक इमारत के नाम पर रखा गया है, जो पहले किला कोठी (महल) के नाम से प्रसिद्ध थी। नवाबों के जमाने में इस कोठी में नियमित रूप से संगीत और नृत्य की प्रस्तुति होती थी। उत्तर प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद द्वारा यहां एक शिव मंदिर की स्थापना की गई थी।
चाट मेला घाट
Chat Mela Ghat
ये घाट लखनऊ में प्रसिद्ध लक्ष्मण मेला मैदान का एक हिस्सा है। यह वह घाट है जहां छठ पर दो दिवसीय मेला लगता है। छठ पूजा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वी भाग और पूरे बिहार के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है।
गोमती रिवर फ्रंट, लखनऊ
Gomti River Front, Lucknow
शहर में एक आधुनिकता का परिचय देने वाला गोमती रिवर फ्रंट लखनऊ में घूमने की बेस्ट जगहों मे से एक है। गोमती रिवरफ्रंट में पार्क, साइकिलिंग ट्रैक और नदी के किनारे के सुंदर-मनोरम दृश्यों को देखने का अवसर मिलता है। ये जगह अपने शांत वातावरण के कारण शहर में एक पसंदीदा जगह बन गई है।