Kusum Sarovar History: बहुत प्रसिद्ध है गोवर्धन पर्वत से कुछ ही दूरी पर मौजूद कुसुम सरोवर, यहां है पारस पत्थर और इच्छाधारी नागमणि
Kusum Sarovar History: मथुरा वृंदावन भगवान कृष्ण की लीलाओं से जुड़ी प्रसिद्ध नगरी है। यहां पर कैंसर धार्मिक स्थान मौजूद हैं। चलिए आज यहां की कुसुम सरोवर के बारे में जानते हैं।
Kusum Sarovar History वृंदावन, मथुरा, गोकुल, गोवर्धन पर्वत यह ऐसी चीज हैं जिसे हर कोई वाकिफ है। गोवर्धन पर्वत को स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर ग्राम वासियों की रक्षा के लिए उठा लिया था। इस पर्वत को उठाकर उन्होंने वृंदावन को इंद्रदेव की प्रकोप से बचाया था। गोवर्धन पर्वत के पास ऐसे कई स्थान मौजूद है जहां श्री कृष्णा और राधा रानी के प्रेम और उनके दिव्य स्वरूप का प्रमाण देखने को मिलता है। ऐसे ही एक जगह राधा कुंड और कुसुम सरोवर भी है। ऐसा कहा जाता है कि 5,000 साल पहले गोवर्धन पर्वत करीब 30,000 मीटर ऊंचा हुआ करता था. आज इसकी ऊंचाई सिर्फ 25-30 मीटर रह गई है. ऐसी मान्याताएं हैं कि एक ऋषि के शाप के चलते इस पर्वत की ऊंचाई आज तक घट रही है. एक धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि पुलस्त्य गिरिराज पर्वत के नजदीक से होकर गुजर रहे थे
कहां है कुसुम सरोवर
ब्रिज की परिक्रमा मार्ग पर गोवर्धन पर्वत से 2 किलोमीटर की दूरी पर राधा कुंड के समीप कुसुम सरोवर मौजूद है जो बहुत ही सुंदर है। कुसुम सरोवर के बारे में कहा जाता है कि द्वापर युग में श्री कृष्णा और राधा रानी इसी स्थान पर छुप छुप कर मिलने आते थे। राधा रानी की सखियां भी श्री कृष्ण के लिए फूल लेने यहीं पर आया करती थी। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि इसके नीचे एक पारस पत्थर और नागमणि मौजूद है।
ऐसा है कुसुम सरोवर
सरोवर के चारों तरफ सैकड़ो सीढ़ियां बनी हुई है यह 450 फीट लंबा और 60 फीट गहरा है। यहां पर कदम के कई सारे वृक्ष मौजूद है। इस सरोव और को मध्य प्रदेश के राजा वीर सिंह बुंदेला के द्वारा 1768 में बनवाया गया था। बाद में राजा सूरजमल ने इसका जीर्णोद्धार किया और भव्य रूप प्रदान किया। इसके बाद सूरजमल के बेटे राजा जवाहर सिंह ने अपने पिता और तीनों माता की याद में यहां ऊंचे ऊंचे चबूतरे बनवाए। यहां के सुंदर कलाकृति लोगों का दिल जीत लेती है। यहां के सूर्यास्त के नजारे देखने के लिए लोग अक्सर यहां पहुंचते हैं।