India Unique Temple: ऐसे दो मंदिर जो ग्रहण के वक्त भी रहते है खुले
India Unique Temple: भारत में ऐसे दो मंदिर है, इन मंदिर में ग्रहण के सूतक काल के दौरान भी उनके पट खुले रहते है।
India Unique Temple: भारत के साथ पूरे दुनिया भर में समय - समय पर ग्रहण की विपदा आती रहती है। कभी सूर्य देवता पर ग्रहण का प्रकोप पड़ता है तो कभी चंद्र देव पर। कई बार ऐसा होता है कि ग्रहण का असर भारत में नहीं दिखता। ग्रहण के समय को सूतक काल कहा जाता है। इस काल में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। साथ ही पूजा पाठ, भगवान को स्पर्श करना और दीप, आरती जलाना भी माना होता है। जिस कारण सभी मंदिर और पूजा स्थल के कपाट बंद कर दिए जाते है। सभी धार्मिक स्थानों पर भक्तों को जाना माना होता है। लेकिन भारत में ऐसे दो मंदिर है, इन मंदिर में ग्रहण के सूतक काल के दौरान भी उनके पट खुले रहते है। यह दोनों मंदिर को अपने आप में काल का संचालक माना जाता है। चलिए जानते है, इन दो विशेष मंदिरों के बारे में हम आपको बताते है...
इन दो मंदिरों का कपाट नहीं होता है बंद
ये दोनों मंदिर में पहला मंदिर बाबा महाकाल का है, वहीं दूसरा मंदिर मां कालका जी का है। आखिर क्या कारण है कि ये दोनो मन्दिर के कपाट खुले रहते है। हर रोज की तरह यहां पर पूजा पाठ, और भक्तों का आवागमन लगा होता है। जहां मन्दिर में घंटियों के बीच जयकार की आवाज सुनाई देती हैं।
कालकाजी मंदिर(Kalka Ji Mandir)
कालकाजी मंदिर एक ऐसा स्थान है जो देवी काली को समर्पित है। यह मंदिर दक्षिणी दिल्ली, कालकाजी में स्थित है - इस इलाके का नाम मंदिर के नाम पर ही रखा गया है। कालकाजी मंदिर दिल्ली के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक है। देवी के दर्शन के लिए प्रतिदिन हजारों लोग आते हैं। माना जाता है कि कालकाजी मंदिर 3000 साल से भी ज्यादा पुराना है। महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण के साथ पांडवों ने देवी काली की पूजा करने के लिए इस मंदिर का दौरा किया था। कालका देवी को काल चक्र स्वामिनी के नाम से भी जाना जाता है। कालकाजी मंदिर को 'मनोकामना सिद्ध पीठ' और 'जयंती पीठ' के नाम से भी जाना जाता है। मनोकामना सिद्ध का अर्थ है 'वांछित इच्छा पूर्ति', और पीठ का अर्थ है 'मंदिर'। आरती दिन में दो बार की जाती है, और शाम की आरती को तांत्रिक आरती भी कहा जाता है।
लोकेशन: मेट्रो स्टेशन, निकट, मां आनंदमयी मार्ग, एनएसआईसी एस्टेट, ब्लॉक 9, कालकाजी, नई दिल्ली
समय: सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक, फिर शाम 4-11:30 बजे तक
बाबा महाकाल (Baba Mahakal)
भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, महाकाल का लिंग स्वयंभू माना जाता है (स्वयं से उत्पन्न) जो स्वयं के भीतर से शक्ति की धाराएँ प्राप्त करता है, जबकि अन्य छवियों और लिंगों की तुलना में जो अनुष्ठानिक रूप से स्थापित और मंत्र-शक्ति के साथ निवेशित हैं। बाबा महाकाल की महाकालेश्वर मंदिर का कपाट ग्रहण के समय बंद नहीं किया जाता है। चलिए हम आपको बताते है इसके पीछे की महिमा आखिर क्या है? उज्जैन में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के धाम पर ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे लेकर यहां के पुजारी का कहना हैं कि ग्रहण के दौरान मंदिर में प्रत्येक परंपरा का निर्वहन प्रतिदिन की तरह किया जाता है। ग्रहण के दौरान मंदिर में सूतक काल का भगवान पर कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि बाबा महाकाल सरकार खुद काल के स्वामी है वे काल के नियंत्रक है। उनपर किसी का भी नियंत्रण नहीं हो सकता हैं।