Jizya Tax Collection History: भारत में कैसे हुई जजिया कर वसूली की शुरुआत, किनसे वसूला था जजिया कर

Jajiya Kar Kya Hai Aur Kisne Lagaya Tha: क्या आप जानते हैं कि जजिया कर क्या था क्यों वसूला जाता था और किसके शासन काल में इसे लिया जाता था। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।;

Report :  Jyotsna Singh
Update:2025-01-17 20:10 IST

Jajiya Kar Kya Hai Aur Kisne Lagaya Tha (Image Credit-Social Media)

Jajiya Kar Kya Hai Aur Kisne Lagaya Tha: मुग़ल साम्राज्य भारतीय इतिहास के उन साम्राज्य में से एक था जिसने भारत पर लगभग 300 वर्षो तक शासन किया। मुगलो का शासन 1526 से शुरू और 1857 को इसका अंत हुआ। भारत में मुग़ल वंश का संस्थापक जहीरुद्दीन मुहमद बाबर था। जिन्होंने 1526 में दिल्ली सल्तनत के शासक इब्राहिम लोदी को हरा कर दिल्ली में मुग़ल साम्राज्य की स्थापना की थी। मुगलकाल के दौरान भारत में बाबर, अकबर, औरंगजेब और शाहजहां सबसे ज्यादा लोकप्रियता हासिल करने वाले शासकों में शामिल है। जिसमें से हिंदुस्तान में बाबर को मुगल सल्तनत की नींव रखने जाना गया और वहीं सर्वधर्म संभाव की भावना रखने वाले अकबर को मुगलों की विवादित जजिया कर प्रणाली को समाप्त करने के लिए जाना जाता है। जबकि औरंगजेब को मुगलों के इतिहास के सबसे क्रूर शासक के तौर पर जाना जाता है। मुगलों के इतिहास में दर्ज विवादित ‘जजिया कर’ जिसे अकबर ने खत्म किया और औरंगजेब ने जिसे दोबारा लागू कराया था। भारत में मुस्लिम शासकों का दायरा बढ़ने के साथ ही जजिया कर प्रणाली ने गैर मुस्लिम लोगों का जीवन प्रताड़ना से भर दिया था। गैर मुस्लिम समुदाय की खून पड़ने की कमाई के एक भाग जजिया कर के जरिए मुस्लिम शासकों के खजाने भरने में इस्तेमाल होने लगा।

क्या थी जजिया कर प्रणाली

  • एक दौर ऐसा भी था जब जजिया को इस्लाम में सुरक्षा के लिए एक शुल्क के रूप में लिया जाता था। जिसे मुस्लिम शासक गैर-मुस्लिम लोगों से वसूलते थे। जिसे मुस्लिम राज्य में गैर-मुस्लिमों के अपमान के तौर पर भी माना गया। यह एक सालाना कर था। इसे देने के बाद गैर-मुस्लिम लोग अपने धर्म का पालन कर सकते थे।
  • भारत में जज़िया कर सबसे पहले मुहम्मद बिन कासिम ने लगाया था। इसके बाद, दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोज़ तुगलक ने भी जज़िया कर लगाया। मुगल साम्राज्य के दौरान, कुतुबुद्दीन ऐबक ने भी जज़िया कर लगाया था।
  • मुगल शासक औरंगज़ेब ने 17वीं शताब्दी में जज़िया कर दोबारा लागू कर दिया था। अकबर ने सर्वधर्म समभाव की नीति अपनाई थी, इसलिए मुगल शासक अकबर ने 16वीं शताब्दी में जज़िया कर को समाप्त कर दिया था।

How Jizya Tax Collection Started in India (Image Credit-Social Media)

इस तरह करते थे जजिया कर से वसूले धन का इस्तेमाल

मुगलों काल में जजिया एक सालाना कर व्यवस्था थी। इस कर को सिर्फ गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता था। मुगलों में इसको लेकर सख्त नियम थे। दुनिया के कई देशों में जजिया कर वसूलने की परंपरा रही है। शुरुआती दौर में इसे ईसाई और यहूदियों से वसूला जाता था, जैसे-जैसे इस्लाम का दायरा बढ़ता गया भारत में भी इसकी शुरुआत हुई। भारत में जजिया कर लागू होने पर इसे हिन्दुओं से वसूला जाने लगा। कर देने वालों की क्षमता के आधार पर इसकी एक निश्चित दर तय की गई। इसके जरिए आने वाली रकम को मुगल दान, तनख्वाह और पेंशन बांटने के लिए करते थे। कई मुगल इसका इस्तेमाल अपने सैन्य खर्चों और इसकी शक्ति को बढ़ाने के लिए करते थे।

क्रूर शासक औरंगजेब ने इसे 1679 में वापस कर दिया था लागू

अलाउद्दीन खिलजी ने जब दिल्ली का तख्त संभाला तो इस कर प्रणाली को लागू किया। इसे एक कानून में तब्दील करके अनिवार्य कर दिया गया।। सल्तनत के अधिकारियों से जबरन कर वसूलना शुरू कर दिया गया। जब मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना, तो पूरे भारत में आक्रमण करने के लिए शाही खजाना खाली कर दिया। प्रयास विफल होने पर इसकी भरपाई हिन्दुओं से जजिया कर के रूप में की। कर की यह व्यवस्था मुगलों के शुरुआती दौर में भी जारी रही।

भारत में इसकी शुरुआती 11वीं सदी से हुई थी। छठे सबसे शक्तिशाली और क्रूर शासक औरंगजेब ने इसे 1679 में वापस लागू कर दिया था।

How Jizya Tax Collection Started in India (Image Credit-Social Media)

इस तरह बढ़ता गया कर वसूली का शिकंजा

गैर मुस्लिम समुदाय से वसूला जाने वाला जजिया कर मुगल शासन काल में एक स्याह हर्फ में लिखी जाने वाली घटना है।

कुछ चुनिंदा मुस्लिम बादशाह में शामिल अकबर ने इस कर को खत्म करने का आदेश भी दिए थे। मुस्लिम शासकों ने जजिया कर वसूलने की जिम्मेदारी कुछ खास लोगों को दे रखी थी, जिन्हें जिम्मी कह कर संबोधित किया जाता था। इतिहासकारों के अनुसार शुरुआती दौर में यह कर उन गैरमुस्लिमों से वसूला जाता था जो स्वस्थ होते थे और कर देने में सक्षम होते थे। लेकिन धीरे-धीरे ये शिकंजा कसता चला गया। जिसके चलते इस कर की जबरन एकतरफा वसूली शुरुआत की गई।

इस कर में कुछ खास लोगों के लिए थी छूट

गरीब मजलूमों के लिए रहमदिल मुगलों की तीसरी पीढ़ी के अकबर ने इस कर पर रोक लगा दी थी। लेकिन क्रूर शासक औरंगजेब ने इसे वापस लागू कर दिया था। उस दौरान हिन्दू शासकों ने औरंगजेब के इस निर्णय घोर विरोध करने के साथ जमकर इसकी आलोचना की थी। लेकिन शक्तिशाली औरंगजेब के इस फैसले को बदलने में नाकामयाब थे। औरंगजेब के शासनकाल में दोबारा लागू किए गए जजिया कर के लिए कई नियम भी बने थे। जिसमें बेरोजगारों, ब्रह्माण्ड, पुरोहितों, महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, विकलांगों के साथ रोगग्रस्त लोगों के लिए इसमें छूट थी वहीं महामारी या सूखा आदि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वालों से भी ये कर नहीं वसूला जाता था। हालांकि सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने अपने क्षेत्र में शरिया की स्थापना की। उसने ब्राह्मणों पर जजिया लगाया और इसे एक अलग कर बना दिया।

How Jizya Tax Collection Started in India (Image Credit-Social Media)

जजिया कर वसूली में हिंदुओं पर होते थे कई तरह के अत्याचार

  • औरंगज़ेब के शासनकाल में हिंदुओं पर कई तरह के अत्याचार किए गए। जिसके अंतर्गत औरंगज़ेब ने हिंदू धार्मिक मेलों पर रोक लगा दी थी।
  • औरंगज़ेब ने हिंदुओं के त्योहारों के सार्वजनिक उत्सवों पर भी रोक लगा दी थी। औरंगज़ेब ने महिलाओं को ’तंग कपड़े’ पहनने का अधिकार नहीं दिया था।
  • औरंगज़ेब ने हिंदू पुरुषों की दाढ़ी की लंबाई निर्धारित कर दी थी।
  • औरंगज़ेब ने मूंछें हटाने का कानून बनाया था। औरंगज़ेब के शासनकाल में हिंदुओं के ख़लिफ़ कई अमानवीय विद्रोह किए गए थे।
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