Jethournath Temple Amarpur : अमरपुर भारत के बिहार राज्य के बाँका ज़िले में स्थित एक नगर है। बांका जिले के अमरपुर प्रखंड क्षेत्र के सुप्रसिद्ध जेठौरनाथ मंदिर में भगवान शिव की एक अद्भुत प्रतिमा भी है जिसे करीब चार वर्ष पूर्व पहचान मिली। इस मंदिर में करीब 14 सौ वर्ष पुराना एकमुखी शिवलिंग सदियों से है। ज्येष्ठ गौर नाथ महादेव मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर बांका जिले का एक मुख्य आकर्षण स्थल है। इस मंदिर में आपको शिव भगवान जी के दर्शन करने के लिए मिलते हैं। यह मंदिर बांका जिले में चंदन नदी के किनारे बना हुआ है।
प्रसिद्ध है जेठौरनाथ मंदिर (Jethour Nath Temple Information)
इस शिवलिंग की पूजा तो होती थी परंतु श्रद्धालु की नजर में यह सिर्फ एक प्रतिमा थी। यह मूर्ति जेठौरनाथ मुख्य मंदिर के उत्तर में स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में स्थापित है। अमरपुर के तात्कालीक अंचल निरीक्षक एवं वर्तमान में फुल्लीडुमर में सीओ के पद पर पदस्थापित सतीश कुमार ने जेठौर में इस प्रतिमा की पहचान की थी। उन्होंने बताया कि यह एकमुखी शिवलिंग शशांक गौर के शासनकाल का है एवं करीब 14 सौ वर्ष पुराना है।
सदियों पुराना है जेठौरनाथ मंदिर का शिवलिंग (Shivlinga of Jethornath Temple is Centuries Old)
पुरातत्वविदों के अनुसार, यह एक मुखी शिवलिंग सदियों पुरानी है। इस शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु सालों भर दूर-दूर से आते हैं। वैसे तो इस मंदिर में आसपास सहित दूर-दूर से श्रद्धालु प्रत्येक सोमवार को पूजा-अर्चना करने के लिए आते है, लेकिन शिवरात्रि एवं सावन मास में यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है। अंग क्षेत्र का यह मंदिर शिव, शैव और शक्ति का अनूठा संगम माना जाता है। कहा जाता है कि बाबा ज्येष्ठगौर नाथ महादेव मंदिर में मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती है। मान्यताओं के अनुसार, पूरी पृथ्वी पर यह पहला शिवलिंग है, जिस कारण से इन्हें ज्येष्ठ अर्थात सबसे बड़े शिवलिंग के नाम से जाना जाता है।
1400 वर्ष पूर्व शशांक गौर ने कराया था शिवलिंग की स्थापना (Shashank Gaur had Established Shivalinga 1400 Years ago.)
बताया जाता है कि करीब 1400 वर्ष पूर्व हर्षवर्धन के समकालीन एवं उनके प्रतिद्वंदी शशांक गौर ने अपने प्रदेश में 108 विभिन्न रूप के शिवलिंग की स्थापना कराई थी, जिसमें संभवत: जेठौरनाथ का शिवलिंग सबसे बड़ा है, इसलिए इसे ज्येष्ठगौर नाथ कहा गया है। स्थानीय डीएन सिंह महाविद्यालय भुसिया, रजौन के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर प्रताप नारायण सिंह एवं इसी महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य सह इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. प्रोफेसर जीवन प्रसाद सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि ऐसा ही शिवलिंग भागलपुर जिले के शाहकुंड की पहाड़ी पर बने मंदिर में भी मिला है। उन्होंने आगे बताया कि अंग दशाष्टक श्लोक में भी शशांक गौर द्वारा स्थापित 108 शिवलिंग की चर्चा की गई है। जेठौर नाथ में मिले शिवलिंग में तीन भाग स्पष्ट हैं, पहला भाग भोग बीच में भद्रपीठ या विष्णु पीठ एवं नीचे ब्रह्म पीठ, रूद्रभाग पर भगवान शिव का चेहरा उकेरा गया है। आमतौर पर भगवान शिव की प्रतिमा में त्रिनेत्र दिखता है, लेकिन इस शिवलिंग में त्रिनेत्र नजर नहीं आ रहा है, जटाजूट धारी इस शिवलिंग के गले में ग्लाहार बना हुआ है एवं कान में कुंडल भी है जो संभवत: उस समय प्रचलन में होगा।