Kailash Shiv Mandir History: इस मंदिर से जुड़ा रहस्य आपको कर देगा आश्चर्यचकित, जानिए कैलाश मंदिर का इतिहास
Kailash Shiv Mandir History: कैलाश मंदिर महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक अद्भुत प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है, जो वर्ष 1983 से एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
Kailash Shiv Mandir History: सावन, जिसे श्रावण भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण माह होता है। यह माह आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच में आता है। इस माह को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
सावन मास में, भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं। कई लोग उपवास रखते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न धार्मिक रस्में आयोजित करते हैं। खासकर सोमवार को सावन में बहुत ही पवित्र माना जाता है और इसे "श्रावण सोमवार" कहा जाता है। भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, और शिवलिंग पर पानी या दूध चढ़ाते हैं जैसे कि पूजा का एक रूप होता है। सावन के दौरान एक और महत्वपूर्ण परंपरा है कांवड़ यात्रा। भक्त, जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है, गंगा, यमुना या अन्य पवित्र जलधाराओं में पवित्र यात्रा पर निकलते हैं जहां से पानी इकट्ठा करते हैं। वे कांवड़ नामक एक लाठी को अपनी कंधे पर रखते हैं और शिव भगवान के लिए भक्ति गानों का जाप करते हुए बिना जूते चलते हैं। इकट्ठा किया गया पानी उन्हें अपने स्थानीय मंदिरों में शिवलिंग के अभिषेक (धार्मिक स्नान) के लिए उपयोग होता है। आइए सावन के इस पावन माह में आपको सैर कराते है कैलाश मंदिर महाराष्ट्र की।
कैलाश मंदिर महराष्ट्र
भगवान शिव का यह मंदिर सभी शिव भक्तो के बीच बेहद प्रिसिद्ध है। कैलाश मंदिर महाराष्ट्र, भारत में स्थित एक अद्भुत प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर एलोरा की गुफाओं में स्थित है, जो वर्ष 1983 से एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। इस अद्भुत मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम के द्वारा सन् 756 से सन् 773 के दौरान बनवाया गया था। एलोरा में केवल 35 गुफाये खुली है बाकी में जाना वर्जित है। यहाँ बसे प्राचीन कैलाश शिव मंदिर में दर्शन करने लाखों श्रद्धालु आते है। यह एक 90 फ़ीट ऊंचा भव्य शिव मंदिर है।
कैलाश शिव मंदिर का इतिहास
कैलाश मंदिर एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो भारत के महाराष्ट्र राज्य में एलोरा की गुफाओं में स्थित है। यह मंदिर राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण I (756–773 ई) के शासनकाल के दौरान निर्मित हुआ था। यह मंदिर कारिगरों और शिल्पकारों के द्वारा शिविरियों तथा पत्थर को नुकीला करके बनाया गया है जिससे इसका नाम "कैलाश मंदिर" पड़ा। इस शिव मंदिर का निर्माण रत्नगिरि पर्वत पर भव्य माउंट कैलाश की नकल करने के लिए किया गया है, जिसे हिंदू धर्म में भगवान शिव के प्रमुख आवास के रूप में माना जाता है।
कैलाश मंदिर का निर्माण गुफाओं में पत्थर के अंदर से किया गया था, जो इसे एक अद्भुत और अद्भुत कला की रचना बनाता है। इस मंदिर के विभिन्न भागों में विशालकाय स्तंभ, नागरा, गणेश, भक्ति और भक्तियाँ के स्केचर और अन्य धार्मिक दृश्यों के सुंदर नक्काशी शामिल हैं। यह मंदिर भारतीय धरोहर का महत्वपूर्ण अंश है और विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसके नक्काशी और वास्तुकला ने लोगों को अपने समय की महानता और कला शैली के प्रति समर्पित किया है। कैलाश मंदिर का निर्माण रचनात्मकता, शिल्पकारी, और धार्मिकता के संगम के रूप में एक महत्वपूर्ण प्रमाण देता है।
एलोरा कैलाश मंदिर का रहस्य
एलोरा का कैलाश मंदिर भगवन शिव को समर्पित है। इस मंदिर से कई मान्यताएं जुडी हुई है। लोग मानते है की 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम एक बार बहुत बीमार पड़ गए थे तो रानी ने उनके स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भगवन शव की पूजा अर्चना की थी और यह मन्नत मांगी थी की राजा साहब के ठीक होते ही वह एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाएगी। रानी मंदिर को देखने के बाद ही अपना व्रत खोलेगी। जब राजा सही हो गए तो मंदिर के निर्माण पर चर्चा हुई और रानी को बताया गया की मंदिर का निर्माण कई वर्षो बाद पूरा होगा। ऐसे में इतने लम्बे वक्त तक व्रत रखना असंभव है। कहा जाता है की भगवान शिव ने रानी की तपस्या देखने के बाद उन्हें भूमिअस्त्र दिया और इस अस्त्र की विशेषता यह थी कि यह पत्थर को भी भांप बना सकता था।
एलोरा कैलाश मंदिर के निर्माण का रहस्य
कैलाश मंदिर के निर्माण से संबंधित कुछ रहस्यमय अंश हैं, जिन्हें अभी तक विज्ञान या अर्थशास्त्र के द्वारा समझा नहीं जा सका है। हालांकि, यहां रहस्य के एक-एक प्रमुख पक्षों को उजागर किया जा सकता है:
1) विशालकाय रचना: कैलाश मंदिर के निर्माण में इस भव्य और विशालकाय संरचना को बनाने के लिए कई लाख टन वन्दर वन्दर संरचना के खुदाई का उपयोग किया गया था। यह इतने बड़े वजन के पत्थरों को उठाने और समर्थन करने के लिए उस समय के उपलब्ध तकनीक के साथ संभव नहीं था। इससे संबंधित रहस्यमय तत्व यह है कि कैसे ऐसे भव्य मंदिर का निर्माण इस दृढ़ समर्थन और संरचना तकनीक के बिना संभव हुआ था?
2) शिल्पकारता: कैलाश मंदिर की रचनाकारता और शिल्पकारता भी रहस्यमय है। इसके निर्माण में लगे शिल्पियों का विशेष कुशलता से उस समय के सांस्कृतिक और वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग किया गया था। यहां यह प्रश्न उठता है कि कैसे उस समय के शिल्पियों ने इतनी सटीकता और रचनाकारता के साथ इस विशालकाय मंदिर का निर्माण किया था? इस मंदिर का निर्माण ७००० मजदूरों द्वारा १८ वर्षों तक चला था। इस बार पर विश्वास कर पाना बेहद मुश्किल है की इतने काम समय में बिना किसी मशीन के इतनी कुशलता से इतने भव्य मंदिर का निर्माण कैसे हुआ था।
3) अद्भुत समानता: कैलाश मंदिर की एक रोचक बात यह है कि यह हिंदू धर्म के अन्य प्रमुख मंदिरों से अद्भुत समानता रखता है। यह ऐसे दिखता है कि विश्वास किया जाता है कि यह संरचना कभी पूर्व में बनी हुई थी और इसे दोहराने का प्रयास किया गया था। कुछ लोग इसे भारत के अलावा और भी प्राचीन सभ्यताओं के साथ जोड़कर देखते हैं, जो इसे और भी रहस्यमय बना देता है।
4) निर्माण करने और करवाने वाले के बारे में भी अभी तक कोई सबूत प्राप्त नहीं हुए है। किसदिन और किस समय इस भव्य मंदिर का निर्माण संपन्न हुआ इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। एक ही पत्थर को काटकर इस मंदिर को बनाये जाने के कारन इसकी कार्बन डेटिंग करके इसके निर्माण का समय निकल पाना भी कोई संभव कार्य नहीं है।
5) इस मंदिर के निर्माण के बाद उस तरह के पत्थर की दूर दूर तक खोज होने के बाद भी नहीं मिला जो एक बहुत बड़ा रहस्य ही की 4 लाख टन पत्थर आखिर आया कहा से।
6) इस मंदिर के निर्माण में लगे पत्थर को तोडा नहीं जा सकता। औरनग्ज़ेब ने इस मंदिर को तुड़वाने के लिए 1000 सिपाही लगाए थे। तीन वर्षों के प्रयास के बासद भी सभी कामयाब नहीं हो पाए। तोपों की मदद से भी इस मंदिर को नहीं तोडा जा सका।