Kanpur Famous Shiv Mandir: कानपुर में महादेव के ये है प्रसिद्ध मंदिर, हर सोमवार यहां करे दर्शन

Kanpur Famous Shiv Mandir: कानपुर में भी महादेव के को कई रूप में पूजा जाता हैं। जिसमे जागेश्वर महादेव, आंदेश्वर महादेव, नागेश्वर महादेव, दूसरे महाकालेश्वर महादेव आदि प्रमुख हैं जो कई वर्षों पुराने है।

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-03-08 14:49 IST

Kanpur Famous Shiv Mandir (Pic Credit-Social Media)

Kanpur Famous Shiv Mandir: जो प्रारंभ से अंत तक है , और अंत से अनंत तक वही शिव है। शिव वो है जो कण कण में विद्यमान है। महादेव को हर भक्त सभी रूपों में पूजता है। 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग के साथ महादेव के स्वरूप से जुड़ी कई मंदिर आज भी है। भारत देश के है राज्य, जिले में महादेव का अलौकिक स्वरूप पूजनीय है। ऐसे ही कानपुर में भी महादेव के को कई रूप में पूजा जाता हैं। जिसमे जागेश्वर महादेव, आंदेश्वर महादेव, नागेश्वर महादेव, दूसरे महाकालेश्वर महादेव आदि प्रमुख हैं जो कई वर्षों पुराने है। आपको अपने नजदीक शिव मंदिर देखकर हर सोमवार आसानी से पूजा अर्चना करने पहुंच सकते है।

श्री जागेश्वर मंदिर, मैनावती मार्ग (नवाबगंज)

लोकेशन: जागेश्वर मंदिर, आज़ाद नगर, ख्योरा, कानपुर, उत्तर प्रदेश 

जागेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराना है। मंदिर अर्द्धगोलाकर शैली में बना हुआ है। भक्तों के मुताबिक, यह प्राचीन मंदिर का निर्माण त्र्यंबकेश्वर धाम की तर्ज पर किया गया है। इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग सुबह के समय स्लेटी रंग, दोपहर के समय भूरा रंग और रात में काले रंग का दिखता है। शिवलिंग के ऊपर प्राचीन काल में मल्लाह द्वारा खोदे जाने के कारण खुरपी का निशाना भी दिखता है।

श्री आनंदेश्वर धाम, परमट

लोकेशन: आनंदेश्वर मंदिर रोड, परमट, कानपुर, कतरिकनपुर कोहना, उत्तर प्रदेश

यदि आप कानपुर में हैं, तो आपको पवित्र गंगा नदी के पास इस सुंदर, सौंदर्यपूर्ण मंदिर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। यह भगवान शिव का मंदिर है और आम तौर पर यहां उनके सभी भक्तों की भीड़ रहती है। आनंदेश्वर मंदिर (परमट मंदिर) भगवान शिव जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो कानपुर के सिविल लाइन्स क्षेत्र में स्थित है। हर हर महादेव! जब भी समय मिले तब यहां जरूर जाओ।नाव की सवारी और प्रकृति का अनुभव लें।

श्री सिद्धनाथ मंदिर, जाजमऊ

लोकेशन: श्री बाबा सिद्धनाथ मन्दिर, जूही नाहेर, ढाका पुरवा, जाजमऊ, कानपुर, उत्तर प्रदेश

सिद्धनाथ मंदिर का इतिहास त्रेतायुग का है। प्राचीन मंदिर भक्तों में द्वितीय काशी के नाम से चर्चित है। प्राचीन काल में यहां लगातार 100 यज्ञ पूरे होने के बाद इस स्थल को काशी का दर्जा मिल जाता, लेकिन 100वें यज्ञ के दौरान एक कौवे ने हवन कुंड में हड्डी डाल दी थी। 99 यज्ञ पूरे होने के चलते यह स्थल द्वितीय काशी के रूप में पहचाना जाने लगा।

श्री पातालेश्वर महादेवन मंदिर

लोकेशन: गंगापुर कॉलोनी, यशोदा नगर, कानपुर, उत्तर प्रदेश

कानपुर के यशोदा नगर के गंगापुर में स्थित पातालेश्वर महादेवन मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां पर दूर-दराज से भक्त महादेव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। पातालेश्वर महादेव मंदिर Kanpur का इतिहास सैकड़ों वर्ष प्राचीन बताया जाता है।

श्री नागेश्वर मंदिर, नयागंज

लोकेशन: पुराना शिवली रोड, जगतपुरी, कल्याणपुर, कानपुर, उत्तर प्रदेश

नागेश्वर बाबा मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह भारत के कानपुर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 500 वर्ष से अधिक पुराना है। यह हिंदुओं का एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। यह सफेद संगमरमर से बना है और इसमें सुनहरा गुंबद है। मंदिर परिसर में अन्य हिंदू देवताओं को समर्पित कई अन्य और मंदिर भी हैं। 

श्री महाकालेश्वर मंदिर, बिठूर

लोकेशन: न्यू आज़ाद नगर, सतबरी रोड, आज़ाद नगर, कानपुर 

अति प्राचीन महाकालेश्वर महादेव मंदिर भक्तों की आस्था व आराधना का केंद्र है। श्रावण माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आकर जलाभिषेक व पूजन करते हैं। अंतिम सोमवार को विशेष पूजन व रुद्राभिषेक में भागीदारी कर मनौतियां भी मानते हैं। लोगों के कहने पर चार सौ साल पहले तत्कालीन शासक गजीउद्दीन हैदर के मंत्री टिकायत राय ने उज्जैन की तर्ज पर यहां भी एक भव्य महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर के अंदर स्थापित शिवलिंग जो पूरी तरह काले पत्थरों से बनाई गई है, उसे उज्जैन से ही मंगवाया था

श्री खेरेश्वर धाम, शिवराजपुर

लोकेशन: गर्ग नरौना कॉम्प्लेक्स, रामनारायण स्ट्रीट, कुर्सावां, पटकापुर, कानपुर, उत्तर प्रदेश 

गुरु द्रोणाचार्य ने यहीं अपने शिष्यों को ब्रह्मास्त्र व शब्दभेदी वाण जैसे अनेक दिव्य शस्त्र प्रदान किए थे. यह स्थान गंगा के तट पर है. प्राचीन किवदंती है कि अश्वत्थामा द्रोपदी के पांच पुत्रों का वध करने के बाद इसी शिवलिंग के सामने हत्यारे की तरह चिल्लाया करते थे. तब खेरेश्वर बाबा ने उन्हें समाधिस्थ होने का आशीष दिया और साथ ही कहा कि तुम सप्तऋषि मंडल में अपना स्थान प्राप्त करोगे। कहते हैं कि अमर अश्वत्थामा आज भी यहां नित्य शिव उपासना करने आते हैं।

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