Kanpur Famous Park: पुराने टायर से बना डाला शानदार पार्क, बच्चों के साथ आप भी आएं कानपुर में इस जगह
Kanpur Famous Tyre Park: डी'डज़ाइन्स (De’Dzines) ने IIT कानपुर के साथ मिलकर एक ऐसा ही पार्क बनाया है जो पुराने टायरों से बना है। यह पर्यावरण स्थिरता की दिशा में एक कदम है।
Tyre Park in Kanpur: जापान की राजधानी टोक्यो में एक पार्क है जिसे निशिरोकुगो कोएन, या टायर कोएन के नाम से जाना जाता है। इस पार्क की खास बात यह है कि यहाँ सब कुछ पुराने टायरों से बना हुआ है। इस पार्क में गॉडज़िला, रॉकेट जहाज और विशाल रोबोट हैं, लेकिन सबकुछ टायरों के बने हुए। अब अगर आपको भी टायर पार्क देखना हो तो तैयार हो जाइये। घबराइए नहीं। आपको जापान नहीं जाना होगा। अब अपने यूपी के कानपुर शहर में भी ऐसा एक टायर पार्क है।
डी'डज़ाइन्स (De’Dzines) ने IIT कानपुर के साथ मिलकर एक ऐसा ही पार्क बनाया है जो पुराने टायरों से बना है। यह पर्यावरण स्थिरता की दिशा में एक कदम है। आईआईटी कानपुर और डी'डज़ाइन्स द्वारा परिकल्पित संयुक्त परियोजना न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि एक विस्मयकारी शो-ग्राउंड बनाती है जो छात्रों और आगंतुकों को समान रूप से आकर्षित करेगी।
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क्या खास है कानपुर टायर पार्क में?
पार्क 5 टन से ज्यादा पुराने टायरों को इस्तेमाल कर के बनाया गया है। नाना राव पार्क के नाम से जाने जाना वाला यह पार्क कानपुर के फूलबाग में स्थित है। यहाँ प्रति व्यक्ति 25 रुपये एंट्री चार्ज है। पार्क में टायर से बने तरह-तरह के जानवर दिख जायेंगे। यही नहीं पार्क में जो झूला लगा है उस पर बैठने के लिए भी पुराने टायरों का ही इस्तेमाल किया गया है। पार्क में पुरानें टायरों से बने बन्दर, अजगर, कछुवा और इंसान के पुतले देखने लायक हैं। टोक्यो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में बना यह पार्क लगभग 40,000 वर्ग फुट जमीन पर बना है।
कैसा है जापान का टायर पार्क
टायर पार्क जापान की राजधानी टोक्यो में स्थित है। यहाँ जाना हर बच्चे का सपना होता है। टोक्यो में सबसे बढ़िया खेल का मैदान बनाने के लिए 3,000 से अधिक टायर (और बहुत सारी रेत) का उपयोग किया गया था। यह रोबोट, डायनासोर, रॉकेट जहाज और बहुत कुछ से भरा हुआ है। इसका नाम निशिरोकुगो कोएन है।
क्या होता है पुराने टायरों का
एक अध्ययन के अनुसार, 40% से अधिक इस्तेमाल किए गए टायरों को लैंडफिल में फेंकने के अलावा जला दिया जाता है। De'Dzines पुराने, प्रयुक्त या जले हुए टायरों को फिर से उपयोग में लाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ काम करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आईआईटी कानपुर के टायर पार्क के विचार की कल्पना डी'डज़ाइन्स की संस्थापक वैशाली बियानी ने की थी, जब उन्होंने कानपुर की गलियों में अपनी एक यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर टायर जलाए जाते हुए देखा और उपचारात्मक कार्रवाई करने का फैसला किया। बता दें कि उपयोग किए गए टायरों को फर्नीचर, प्लांटर्स, खेलने के उपकरण, मूर्तियां, बैग, जूते आदि जैसी विभिन्न वस्तुओं के लिए पुन: उपयोग किया जा सकता है।