Mahabalipuram: महाबलीपुरम- रॉक मंदिरों का शहर, जरूर देखें यहां के प्रमुख रमणीय स्थल
Mahabalipuram: महाबलीपुरम भारत देश के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक छोटा और खूबसूरत शहर है, जिसे मामल्लपुरम के नाम से भी लोग जानते हैं।
Mahabalipuram: महाबलीपुरम भारत देश के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक छोटा और खूबसूरत शहर है, जिसे मामल्लपुरम के नाम से भी लोग जानते हैं। यह स्थान अपनी सांस्कृतिक विविधता और विरासत के साथ कुछ अद्भुत मंदिरों के लिए मशहूर है, इसी कारण इसे ‘समुद्र के किनारे मंदिर शहर’ भी कहा जाता है। यह जगह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। महाबलीपुरम पल्लव साम्राज्य के दो प्रमुख बंदरगाह शहरों में से एक था। इस शहर का नाम महाबली के नाम से जाना जाने वाले पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम के नाम पर रखा गया था। 7वीं शताब्दी के रॉक नक्काशी पर बने अधिकांश मंदिरों, गुफाओं में द्रविड़ स्थापत्य शैली और पल्लव कला की वास्तुकला देखने को मिलती है। महाबलीपुरम के स्मारकों को पांच प्रमुख रूपों में-रथ मंदिर, गुफा मंदिर, चट्टान रहित संरचनाएं, संरचनात्मक मंदिर और उत्खनन में वर्गीकृत किया गया है।
यहां घूमने लायक कई जगहें हैं, जिनमें प्रमुख हैं-
शोर मंदिर
8 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व तमिलनाडु में चेन्नई के पास बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित इस मंदिर का निर्माण पल्लव वंश द्वारा किया गया था। पल्लव शासकों द्वारा निर्मित यह पहली पत्थर की संरचना थी। इस स्मारक के विकास से पहले सभी प्राचीन स्मारक चट्टानों और पत्थरों को तराश कर बनाए गए थे। यूनेस्को द्वारा इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया । दक्षिण भारत के सबसे पुराने संरचनात्मक पत्थर के मंदिरों में से एक इस मंदिर को शुरूआत में सात पैगोडा के हिस्से के रूप में पहचाना जाता था।
महाबलीपुरम बीच
यह बीच चेन्नई शहर से 58 किमी की दूरी पर बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। इस बीच पर कुछ रॉक-कट मूर्तियां शामिल हैं । उसे देखने और धूप सेंकने का आनंद लेने के साथ डाइविंग, मोटर बोटिंग और विंडसर्फिंग सहित रोमांचक पानी के खेलों का आनंद लेने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां आते हैं। सुनहरी रेत और चमकीले तट, उभरती पहाड़ियों और जगमगाते समुद्र से घिरे इस बीच पर पर्यटकों की काफी भीड़ देखने को मिलती है।
पांच रथ
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित यह एक स्मारक परिसर है। बौद्ध मंदिरों और मठों के समान यह मंदिर पगोडा के आकार में बना है। द्रविड़ वास्तुकला में बना यह रथ महान महाकाव्य महाभारत से जुड़ा है। प्रवेश द्वार के ठीक सामने देवी दुर्गा को समर्पित झोपड़ी के आकार का पहला रथ द्रौपदी का रथ है। पोर्टिको और नक्काशीदार स्तंभ पत्थर में बना भगवान शिव को समर्पित छोटा रथ अर्जुन का है। विशाल हाथी की मूर्तियां से सजे भगवान इंद्र को समर्पित अर्जुन के रथ के ठीक सामने नकुल सहदेव का रथ है। 42 फीट लंबा, 24 फीट चौड़ा और 25 फीट ऊंचा और खम्भों में सिंह की नक्काशी वाला भीम रथ है। यह रथ पूरी तरह से अधूरा है। पांच रथों में सबसे बड़ा रथ भगवान शिव को समर्पित धर्मराज युधिष्ठिर का रथ है। सुबह 6 से शाम 6 बजे तक यह स्थल पर्यटकों के लिए यह खुला रहता है।
टाइगर गुफा
महाबलीपुरम के पास बंगाल की खाड़ी के तट के करीब सालुवनकुप्पम गांव स्थित यह एक रॉक-कट हिंदू मंदिर है। इस गुफा के सभी प्रवेश द्वार के चारों ओर उकेरे गए 11 बाघों के सिर के मुकुट के नाम पर इस गुफा का नाम पड़ा। इन बाघों के ऊपर देवी दुर्गा की नक्काशी खास आकर्षण का केंद्र है। इस गुफा के भीतर भगवान शिव के दूसरे नाम सुब्रमण्यम को समर्पित एक छोटा सा मंदिर है। यह गुफा पर्यटकों के लिए सुबह 7 से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।
अर्जुन तपस्या
बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर मामल्लापुरम में स्थित इस स्मारक को ‘गंगा का अवतरण’ के रूप में भी जाना जाता है। एक पैर पर खड़े दिखाए गए ऋषि पांडवों के भाई अर्जुन हैं, जो महाभारत का एक प्रमुख पात्र था। यह संरचना चट्टानों पर नक्काशी और तराशी गई कला का एक अनूठा रूप है जिसे 7वीं शताब्दी के दौरान पल्लव वंश के राजाओं ने बनवाया था।
भारत सीशेल संग्रहालय
यह देश का पहला और एशिया का सबसे बड़ा संग्रहालय है। इसमें एक एक्वेरियम भी है जिसमें विभिन्न प्रकार के समुद्री जीव जैसे मछलियाँ, तारामछली, शार्क आदि देख सकते हैं। इस संग्रहालय में करीब 40,000 से अधिक विभिन्न प्रकार के समुद्री खोल पर्यटकों के ज्ञान को बढ़ा सकती है। इस जगह माया बाज़ार नामक बाज़ार से आकर्षक मोती, सुंदर गहने और सीपियों से बनी अन्य आकर्षक कलाकृतियाँ पर्यटक खरीद सकते हैं।
कृष्णा बटर बॉल
तमिलनाडु के मामल्लापुरम में एक छोटी ढलान पर टिकी हुई एक विशाल ग्रेनाइट बोल्डर है जिसे 8वीं शताब्दी में पल्लव वंश राजा चोल ने इस विशाल पत्थर के शिलाखंड के संतुलन से प्रेरित होकर बनवाया था । यह एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। तैरता हुआ प्रतीत होता यह बोल्डर करीब 6 मीटर ऊंचा और 5 मीटर चौड़ा और लगभग 250 टन वजन वाला है। ऐसा माना जाता है कि यह 1200 वर्षों से एक ही स्थान पर है और 1.2 मीटर ऊंचे चबूतरे की चोटी पर एक ढलान पर खड़ा है। पर्यटकों का यह एक खास आकर्षण केंद्र रहता है । ऐसा भी कहा जाता है की इस चट्टान को स्थानांतरित करने के लिए सात हाथियों को लगाया गया था। लेकिन यह हिला तक नहीं। लोग ऐसा भी कहते हैं कि यह भगवान कृष्ण द्वारा चुराए गए मक्खन का एक टुकड़ा है जिसे भगवान ने बालकाल में धरती पर गिरा दिया था।
कृष्णा गुफा मंदिर
कांचीपुरम जिले में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित इस स्मारक में भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत को उठाने और गोपियों के साथ उनकी मस्ती की कहानी को दर्शाया गया है। यह भी महाबलीपुरम में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल का एक हिस्सा है। 7वीं शताब्दी की चट्टानों पर बनी संरचना की सतहों पर नक्काशीदार बनाकर 16 वीं शताब्दी में नवीनीकृत किया गया था। यह स्थल सुबह 8 से शाम 6 बजे तक दर्शकों के लिए खुला रहता है।
मगरमच्छ बैंक
पशु चिकित्सक रोमुलस व्हिटेकर द्वारा स्थापित यह बैंक महाबलीपुरम से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां एक सांपों का भी फार्म है जहां पर्यटक सांप का ज़हर निकालने की प्रक्रिया देख सकते हैं। यहां के लेब्रोटरी में विषरोधी उत्पादन होता है। तटीय जंगल से ढका हुआ यह जगह कई देशी वन्यजीवों को आश्रय प्रदान करता है। यहां दुनिया के लुप्त होते मगरमच्छों और घड़ियालों का सबसे बड़ा संग्रह है ।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए चेन्नई हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है जो महाबलीपुरम से करीब 40 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से टैक्सी के द्वारा मंदिर तक जा सकते हैं। रेलवे मार्ग द्वारा चेन्नई, एग्मोर रेलवे स्टेशन पहुंचकर महाबलीपुरम पहुंचा जा सकता है, जहां से यह करीब 55 किमी की दूरी पर है। बस, टैक्सी या लोकल साधन से मंदिर तक पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से महाबलीपुरम देश के कई बड़े शहरों चेन्नई, बैंगलोर, कोयंबटूर, त्रिची और मदुरै से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बस या टैक्सी जैसे साधन की सहायता से यहां पहुंच सकते हैं। अक्टूबर से मार्च के बीच मौसम अच्छा होता है और इस समय पर्यटकों की काफी भीड़ देखी जा सकती है। गर्मी के दौरान यहां बहुत अधिक तापमान के कारण महाबलीपुरम की यात्रा न करने की सलाह दी जाती है।