Maharashtra Famous Temple: महाराष्ट्र के इस मंदिर में मिलते है सभी सवालों के जवाब, मां तुलजा भवानी की ये कहानी

Famous Mata Mandir: चलिए आज हम जानते हैं, भारत के सबसे रहस्य मंदिर की चौकाने वाली कहानी। साथ ही इस मंदिर तक कैसे पहुंचे?

Written By :  Yachana Jaiswal
Update:2024-05-16 15:15 IST

Maa Tulja Bhavani Mandir (Pic Credit-Social Media)

Maharashtra Famous Mata Mandir: भारत में मंदिरों की उपस्थिति बहुतायत है। यहां आपको कई चमत्कारिक मंदिर भी मिलेंगे। जिसको लेकर अलग - अलग मान्यताएं हैं। तो चलिए आज हम जानते हैं, भारत के सबसे रहस्य मंदिर की चौकाने वाली कहानी। साथ ही इस मंदिर तक कैसे पहुंचे? और मंदिर की क्या है मान्यता ? तुलजा भवानी मंदिर के कुछ रहस्य के बारे में जिसका रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है।

शिवाजी महाराज के कुलदेवी का मंदिर(Maa Tulja Bhavani Mandir)

महाराष्ट्र में एक प्राचीन मंदिर है, जिसका नाम मां तुलजा भवानी माता मंदिर है। मां तुलजा भवानी छत्रपति शिवाजी महाराज की कुलदेवी है। महाराष्ट्र के लोगो की मां तुलजा भवानी के प्रति बहुत आस्था है। मां तुलजा भवानी महाराष्ट्र के प्रमुख तीन शक्ति पीठो में से एक है। माता का मंदिर देश के 51 शक्ति पीठो में से एक देवी मंदिर माना जाता है। माँ तुलजा भवानी महिषासुर मर्दनी का ही एक रूप है। माँ तुलजा भवानी मंदिर का निर्माण 17वीं सदी का है। मंदिर के गुम्बद पर अद्भुत नक्काशी की गई है।

नाम: मां तुलजा भवानी मंदिर(Maa Tulja Bhavani Mandir)

लोकेशन: उस्मानाबाद, महाराष्ट्र

मंदिर के अंदर खूबसूरत सजावट

 मंदिर में प्रवेश करते वक्त 2 विशालकाय महाद्वार है। इसके आगे जाने पर आपको सबसे पहले कलोल तीर्थ मिलता है। जिसमें 108 तीर्थ का पवित्र जल मिला हुआ है। उसके आगे थोड़ी ही दूर पर गौमुख तीर्थ है, जहां पर जल तेज गति से बहता हुआ दिखता है। फिर उसके आगे सिद्धिविनायक भगवान गणेश का मंदिर स्थापित है।आगे एक द्वार है, उसमें प्रवेश करने के बाद मुख्य कक्ष में माता की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। गर्भगृह के पास ही एक चांदी का पलंग स्थित है, जो माता के आराम के लिए है। इस पलंग के उल्टी तरफ शिवलिंग स्थापित है जिसे दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि मां भवानी और शिवशंकर आमने-सामने ही बैठे हुए हैं।

छत्रपति शिवाजी के लिए खास है मंदिर

आपको जानकर हेरानी होगी कि छत्रपति शिवाजी महाराज अपने हर युद्ध के पहले माता का आशीर्वाद लेने यहां जरूर आते थे। माँ ने प्रसन्न होकर धर्म की रक्षा करने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज को माँ भवानी के नाम की तलवार दी थी। इसे तलवार के दम पर ही शिवाजी महाराज ने बहुत युद्ध जीता है। अब ये तलवार लंदन के म्यूजियम में रखी है।



शारीरिक समस्या से मिलता है निजात

इस मंदिर में एक चांदी के छल्ले वाला स्तंभ है। जिसके बारे में लोगों का विश्वास है कि अगर कोई भी व्यक्ती को किसी भी प्रकार की शारीरिक पीड़ा है। वह अगर 7 दिन तक इस छल्ले को स्पर्श करता है, तो बड़े हैरान करने वाले तरीके से उनकी सभी शाररिक पीड़ा दूर हो जाती है।



मंदिर का यह रहस्यमय पत्थर कर देगा हैरान(Temple Story)

इस मंदिर के बारे में एक ऐसा रहस्य है, जो सभी वैज्ञानिक के तर्क को पीछे छोड़ देता है। इसके रहस्य का राज कोई भी नहीं बता पाया था। इस मंदिर के ठीक पीछे एक पत्थर रखा हुआ है, जिसका नाम है चिंतामणि पत्थर। ये पत्थर आपके सारे सवालों का जवाब देता है। सिर्फ आपको इस पत्थर पर सिक्का रख के और दोनों हाथों को बड़े धीरे से इस पत्थर पर रखना है। फिर आपका सवाल जो मन में है, इस पत्थर से पूछना है। उसके बाद जो होता वह उसे देखकर आप दंग रह जाओगे। होता ये है कि अगर सवालो का उत्तर हा में रहेगा, तो ये पत्थर दाईं तरफ घुमता है। अगर उत्तर न में है तो ये पत्थर बाईं तरफ घुमता है। अगर ये पत्थर न घूमे तो इसका मतलब ये है कि उत्तर आने में विलंब है। जब छत्रपति शिवाजी महाराज किसी युद्ध में जाते थे या उन्हें कोई दुविधा होती थी तो वो भी इस पत्थर से अपने सारे सवाल पूछते थे।



ऐसे पहुंचे मंदिर:(How to Reach)

यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। देवी माँ के रूप में उन्हें तुलजा भवानी और दिव्य शक्ति के रूप में सती के नाम से जाना जाता है। वह सफलता प्राप्त करने के लिए पुरुषों के डर और असुरक्षाओं पर विजय पाने की क्षमता को बढ़ाती है।

हवाई मार्ग द्वारा: तुलजापुर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डे पुणे और हैदराबाद हैं, जहां से बस या निजी वाहन द्वारा इस स्थान तक पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन द्वारा: तीर्थयात्री रेल द्वारा सोलापुर तक पहुंच सकते हैं जो तुलजापुर से केवल 44 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सड़क मार्ग द्वारा: दक्षिण से आने वाले यात्री सड़क मार्ग द्वारा नालदुर्ग तक आसानी से पहुंच सकते हैं। उत्तरी और पश्चिमी राज्यों से आने वाले तीर्थयात्री सोलापुर के रास्ते तुलजापुर पहुँच सकते हैं। जबकि पूर्वी राज्यों से आने वाले यात्री नागपुर या लातूर के रास्ते यहां आ सकते हैं।

Tags:    

Similar News