Omkareshwar Mandir Shayan Aarti: खास महत्व से जुड़ी है ओंकारेश्वर मंदिर की शयन आरती, जहां शिव पार्वती की उपस्थिति का होता है आभास

Omkareshwar Mandir Shayan Aarti: ओंकारेश्वर मंदिर की शयन आरती को लेकर मान्यता है कि इस आरती के बाद महादेव देवी पार्वती के साथ रात्रि विश्राम करने प्रतिदिन आते हैं। उनके शयन के लिए खास तरह के इंतजाम भी किए जाते हैं। आइए जानते हैं इस ज्योतिर्लिंग की खासियत के बारे में।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-02-16 17:25 IST

Omkareshwar Mandir Shayan Aarti (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Omkareshwar Mandir Shayan Aarti: शिवरात्रि जैसे-जैसे करीब आ रही है शिव मंदिरों (Shiv Temple) की रौनकों बढ़ती जा रहीं हैं। वैसे तो देश में अनगिनत शिव मंदिर मौजूद हैं लेकिन इनमें से कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिन्हें अपनी विशेषताओं के चलते पूरी दुनिया में लोकप्रियता हासिल है। ये ऐसे मंदिर हैं जो 12 ज्योतिर्लिंग में आते हैं। हर ज्योतिर्लिंग का अपना अलग महत्व होते हैं। इनमें से एक ज्योतिर्लिंग भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है, जिसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) के नाम से जाना जाता है। जहां रोज की अपेक्षा सावन और शिवरात्रि जैसे खास मौकों पर हजारों संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए एकत्र होते हैं।

इस मंदिर की शयन आरती को लेकर मान्यता है कि इस आरती के बाद महादेव देवी पार्वती के साथ रात्रि विश्राम करने प्रतिदिन आते हैं। उनके शयन के लिए खास तरह के इंतजाम किए जाते हैं। आइए जानते हैं ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में जहां पर भगवान के लिए सजाया जाता है विश्राम गृह।

गर्भग्रह में भगवान शिव और माता पार्वती के लिए लगता है बिस्तर

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उज्जैन स्थिति महाकालेश्वर की भस्म आरती की भव्यता के बारे में तो देश क्या पूरी दुनिया में चर्चा है। जिसे देखने के लिए हर कोई सुबह चार बजे स्नान करके मंदिर में इस आरती में मौजूद रहते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर की शयन आरती विश्व प्रसिद्ध है। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि रात्रि के समय भगवान शिव यहां रोजाना विश्राम करने आते है। इसलिए वहां के गर्भ ग्रह में भगवान शिव और माता पार्वती के लिए बिस्तर लगाया जाता है। साथ ही, चौपड़ बिछाई रखा जाता है, ताकि वो इसे खेल सके।

रात के समय इस मंदिर में कोई नहीं रुकता है। जब सुबह के समय द्वार खोले जाते हैं, तो सारा सामान अपनी जगह से बिखरा हुआ दिखाई देता है। कहा जाता है कि ये एकमात्र शिव मंदिर है जहां पर भगवान रात्रि शयन के लिए आते हैं।

शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ यहां करते हैं निवास

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के इंदौर शहर से लगभग 78 किमी दूरी पर स्थित है। इसशिव 33 करोड़ देवताओं के साथ यहां रहते है मंदिर के आसपास नर्मदा नदी का जल बहता है। ऐसा कहा जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं जहां भगवान शिव 33 करोड़ देवताओं के साथ यहां रहते है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। इसलिए ये मंदिर 24 घंटे खुला रहता है, ताकि हर कोई भक्त भगवान के दर्शन कर सके। भगवान शिव के ऐसे कई सारे मंदिर हैं, जिसकी कई सारी कहानियां और कथाएं हैं। इन कथाओं के कई सारे तथ्य हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक पौराणिक काल से एक खास कहानी भी है, जो कि वहां के पुजारियों द्वारा बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि वहां पर एक राजा राज्य करता था। उन्होंने भगवान शिव की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वर मांगने को कहा, जिसके बाद राजा ने पहले वर में भगवान शिव से हमेशा इसी स्थान पर रहने को कहा। वहीं भगवान के नाम के साथ उसका नाम जुड़े ऐसा वर मांगा। यही वजह है कि इस क्षेत्र को मांधाता के नाम से जाना जाता है। अब जहां भगवान शिव का वास माना जाता है। इसलिए श्रद्धालुओं के बीच ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को लेकर खास महत्ता है। लोग इस मंदिर में दूर दूर से दर्शन करने आते हैं। शयन आरती के पीछे ऐसी कई मान्यताएं प्रशिक्षित हैं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

यह आरती भगवान शिव को रात्रि विश्राम के लिए समर्पित होती है और इसे विशेष विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता है। इसके पीछे मुख्य रूप से निम्नलिखित मान्यताएँ हैंः

1. भगवान शिव के विश्राम की परंपरा

हिंदू धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में से एक माना जाता है, जो संपूर्ण सृष्टि के पालन और संहार के कारक हैं। शयन आरती की मान्यता यह है कि दिनभर भक्तों के दर्शन और पूजा-अर्चना के बाद रात में भगवान शिव को विश्राम दिया जाता है, जिससे वे अगले दिन फिर से भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए ऊर्जा संचित कर सकें।

2. साकार और निराकार शिव की उपासना

ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की ओंकार स्वरूप में आराधना की जाती है, जो निराकार ब्रह्म का प्रतीक है। शयन आरती इस भाव को प्रकट करती है कि भगवान दिनभर भक्तों के साथ रहने के बाद रात्रि में शयन करते हैं, जो भक्तों को सेवा और भक्ति का अवसर प्रदान करता है।

3. पंचामृत और विशेष श्रृंगार की परंपरा

शयन आरती के दौरान भगवान शिव का पंचामृत (दूध, दही, घी,6 शहद और शक्कर) से अभिषेक किया जाता है और उन्हें चंदन, पुष्प, रेशमी वस्त्र और आभूषणों से सजाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह सेवा करने से भक्तों के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

4. नर्मदा नदी और शिव की विशेष कृपा

ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के पवित्र तट पर स्थित है, जिसे स्वयं भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त है। मान्यता है कि शयन आरती के समय नर्मदा नदी की लहरों में भी दिव्य ऊर्जा प्रवाहित होती है, जिससे संपूर्ण वातावरण पवित्र और सकारात्मक बन4 जाता है।

5. शिवपुराण में उल्लेखित महत्व

शिवपुराण और स्कंदपुराण में उल्लेख है कि जो भक्त श्रद्धा से भगवान शिव की शयन आरती में भाग लेते हैं, वे समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करते हैं। साथ ही, इस आरती को देखने और इसमें भाग लेने से जीवन में शांति, सुख, और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

ओंकारेश्वर की शयन आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्तों को शिव के प्रति समर्पण, सेवा और भक्ति का दिव्य अनुभव प्रदान करती है। इस आरती में शामिल होकर भक्त भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके जीवन में आध्यात्मिक जागृति आती है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन और आरती के समय निम्नलिखित हैंः

दर्शन का समय-

सुबहः 5ः00 बजे से दोपहर 3ः50 बजे तक

दोपहर विश्रामः 3ः50 बजे से 4ः15 बजे तक (इस दौरान दर्शन बंद रहते हैं)

शामः 4ः15 बजे से रात 9ः30 बजे तक

आरती का समय (Omkareshwar Mandir Aarti Time)

मंगला आरतीः सुबह 5ः00 बजे

रुद्राभिषेकः दोपहर 12ः00 बजे

संध्या आरतीः शाम 6ः00 बजे

शयन आरतीः रात 9ः00 बजे

कृपया ध्यान दें कि शयन श्रृंगार पूजन व्यवस्था फिलहाल बंद है।

दर्शन के लिए समय स्लॉट बुकिंग की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें विभिन्न समयों के लिए बुकिंग की जा सकती है। नर्मदा आरती में भाग लेने के लिए संध्या 6ः00 बजे से पहले मंदिर काउंटर पर रिपोर्ट करनी होती है। यह आरती मंदिर के नीचे कोटि तीर्थ घाट पर होती है। अधिक जानकारी और बुकिंग के लिए, मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं। अगर आप ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए यात्रा की तैयारी कर रहें हैं तो ध्यान रखें कि यहां दी गई समय-सारणी में परिवर्तन संभव है, इसलिए यात्रा से पहले आधिकारिक स्रोतों से जानकारी जरूर हासिल कर लें।

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