Yum Temple In Mathura: दीवाली में मथुरा के यम मंदिर में दीपक जलाने देश ही नहीं विदेश से भी आते हैं लोग, रोमांचक है इसका इतिहास

Yum Temple In Mathura: यम-यमुना मंदिर का प्रवेश द्वार एक छोटे दरवाजे से होकर गुजरता है जिसके कारण यहाँ आने वाले भक्त मुख्य कक्ष तक जाने के लिए झुक कर जाते हैं । बता दें कि यम-यमुना मंदिर का प्रवेश द्वार के दरवाजे पर चांदी की परत चढ़ी हुई है।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2023-11-08 17:44 IST

Yum Temple In Mathura (Image credit: social media)

Yum Temple In Mathura: कृष्ण नगरी मथुरा अपने प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण विश्व प्रसिद्ध है। बांके बिहारी के मंदिर के अलावा भी यहाँ बहुत से ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जिनका हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व माना गया है। इनमें से ही एक मथुरा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक यम-यमुना मंदिर (यमुना-धर्मराज मंदिर भी) है जो विश्व में एकमात्र यम का मंदिर माना जाता है। यह ख़ास मंदिर विश्राम घाट से कुछ मीटर की दूरी पर स्थित है। ख़ास बात यह है कि यह मंदिर मुख्य सड़क की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर स्थित होने के कारण यहाँ से आप सीधे भव्य द्वारकाधीश मंदिर तक जा सकते हैं।

मंदिर का प्रवेश द्वार

यम-यमुना मंदिर का प्रवेश द्वार एक छोटे दरवाजे से होकर गुजरता है जिसके कारण यहाँ आने वाले भक्त मुख्य कक्ष तक जाने के लिए झुक कर जाते हैं । बता दें कि यम-यमुना मंदिर का प्रवेश द्वार के दरवाजे पर चांदी की परत चढ़ी हुई है। इस मंदिर का मुख्य मंदिर कक्ष के मध्य में काले पत्थर में यम और यमुना की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे भाव और श्रद्धा से मांगता है उसकी इच्छा जरूर पूर्ण होती है।


बेहद प्राचीन इस मंदिर का प्रेम से भरपूर है इतिहास

यम-यमुना मंदिर बेहद प्राचीन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में देवताओं की स्थापना वज्रनाभ ने लगभग 4900 साल की थी। भाई -बहन की जोड़ी को समर्पित यह मंदिर का इतिहास बेहद गौरवपूर्ण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यम-यमुना मंदिर भाई- बहन के आपसी प्रेम का मिशाल है। कहा जाता है कि भाईदूज के दिन यमुना ने अपने भाई यम को भोजन पर बुलाया था।

भोजन करने के बाद भाई यम ने हिंदू परंपरा निभाते हुए यमुना को भाई -दूज के लिए कुछ भेंट मांगने को कहा। बहन यमुना ने संसार की किसी भी भौतिक चीज की इच्छा ना जताते हुए अपने भाई से आशीर्वाद मांगा जो जन्मजन्मांतर तक भाई बहन का अटूट प्रेम बना रहे और सदा इस पावन दिन उनके घाटों पर इस प्रेम की रौशनी चमचमाती रहे। आज भी भाईदूज वाले के दिन यमुना के घाटों पर आपको भाई -बहन की जोड़ी अपने प्रेम और विश्वास का दीया रोशन करते हुए दिख जाएंगे।


दिवाली के समय ख़ास है मान्यता

दिवाली के समय यम - यमुना मंदिर का बेहद ख़ास महत्त्व होता है। दिवाली के दिन यम के मंदिर में दीया जलाने के परंपरा कहते हैं परिवार में अकाल मृत्यु से बचाती है। साथ ही भाई -दूज वाले दिन यमुना जी के घाट पर अपने भाई के साथ डुबकी लगाने से जीवन के कई तरह के पाप धूल जाते हैं और आप यमराज (मृत्यु के देवता) के कठोर निर्णयों से हमेशा के लिए मुक्त हो जाते हैं। हालाँकि इस वक्त यहाँ लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं जिसके कारण यहाँ भारी भीड़ होती है। इसलिए अगर आप इस साल अपने भाई के साथ यहाँ आने की योजना बना रहे हैं तो भारी भीड़ के साथ दर्शन के लिए खुद को पहले से तैयार कर लें।

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