Nainital Ke Famous Mandir: नैनीताल के ये मंदिर हैं बेहद भव्य और दिव्य, पर्यटकों के लिए भी हैं ये बेस्ट डेस्टिनेशन
Nainital Ke Famous Mandir Kaun Kaun Se Hai: क्या आप जानते हैं कि नैनीताल के ये मंदिर अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए जाने जाते हैं आइये जानते हैं कौन से हैं ये मंदिर जो पर्यटकों के लिए हैं बेस्ट डेस्टिनेशन प्लेस।;
Beautiful and Divine Temples of Nainital: इस देश में पहाड़ों की सैर के दौरान आपको कोई न कोई प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मिलना तो तय है। अक्सर लोग लोग पहाड़ों पर जाते तो हैं एंजॉय करते हैं ।लेकिन यहां के मंदिरों में दर्शन करने के बाद उनको अपनी यात्रा फलित सी महसूस होती है। इसी तरह यदि आप नैनीताल घूमने का प्लान बना रहें हैं तो यहां के कुछ चर्चित मंदिरों के बारे में भी आपको जरूर जानकारी होना चाहिए। यहां मौजूद मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच हरी-भरी पहाड़ियों, झीलों और शांत वातावरण से घिरे होते हैं।मंदिरों के आसपास के दृश्यों में सूर्योदय, सूर्यास्त, झील और घाटियां शामिल होती है, जो फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए भी शानदार जगह हैं। यहां के वातावरण में इतनी ज्यादा शांति है कि लोग अक्सर मेडिटेशन करते हुए नजर आते हैं। साथ ही कभी यात्रा कर थक चुके पर्यटकों के लिए इन मंदिरों के पास का मनोरम स्थल घंटों समय बिताने के लिए एक आरामगाह के तौर पर बेहतरीन विकल्प साबित होता है। आइए जानते हैं नैनीताल के चर्चित मंदिरों के बारे में -
मुक्तेश्वर मंदिर (Mukteshwar Mandir Kaha Hai)
नैनीताल शहर से 51 किलोमीटर की दूरी पर मुक्तेश्वर धाम स्थित है। यह धार्मिक स्थल होने के साथ ही एक अद्भुत पर्यटन स्थल भी है माना जाता है कि यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शिवलिंग की स्थापना की थी। इस शिवलिंग की आयु 5350 वर्ष है, जिसकी काफी मान्यता है। वहीं, यह मंदिर भारत का एक बेहद प्राचीन मंदिर है, जो हिंदू धर्मग्रंथ में भगवान शिव को समर्पित 18 सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक के रूप में जाना जाता है। मुक्तेश्वर धाम मंदिर में सफेद संगमरमर का शिवलिंग भी मौजूद है। शिवलिंग के अलावा यहां पर भगवान गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी सहित अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने यहां एक राक्षस का वध कर उसे मोक्ष (मुक्ति) प्रदान किया था। इसलिए इसका नाम मुक्तेश्वर पड़ा। मान्यता है कि जो भी दंपति निसंतान होते हैं, उन्हें यहां आकर संतान की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मुक्तेश्वर साधु संतों का निवास स्थल भी रहा है। मुक्तेश्वर धाम सबसे ऊंची चोटी पर बसा हुआ है, जिसकी ऊंचाई 2312 मीटर है। बता दें कि मुक्तेश्वर धाम संत श्री मुक्तेश्वर महाराज जी का निवास स्थान था। मुक्तेश्वर महाराज बंगाली मूल के थे, जो मौनी बाबा के नाम से प्रसिद्ध थे।वह कुटिया में रहते थे। उनकी मन्दिर में समाधि बनी हुई है। वहीं, उनके एक शिष्य स्वामी संशुधानन्द जी अब भी मन्दिर में बने आश्रम में ही ध्यान करते हैं। 5350 वर्ष पुराने इस शिवलिंग में सच्चे मन से बेलपत्र और जल चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रिटिश वैज्ञानिक रोबट कोच भी इस मुक्तेश्वर मंदिर की यात्रा कर चुके हैं। आप यहां सुबह 5 बजे से शाम 7.30 बजे के बीच जा सकते है। नैनीताल से मुक्तेश्वर मंदिर पहुंचने में भी 2 घंटे का समय लग सकता है। दोनों की बीच दूरी लगभग 51 किमी है।
कैंची धाम (Kainchi Dham Kaha Hai)
कैंची धाम के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में है। बाबा के भक्तों का मानना है कि बाबा हनुमान जी के अवतार थे। नैनीताल से लगभग 65 किलोमीटर दूर कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता। यहां पर मांगी गई मनौती पूर्णतया फलदायी होती है। नैनीताल के पास विश्व प्रसिद्ध नीम करौली महाराज के कैंची धाम में 15 जून को हर साल की तरह प्रसिद्ध भंडारे का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि भोजन ग्रहण करने वालों कि संख्या अधिक होने पर भी यहां कभी भोजन की कमी नहीं होती। अल्मोड़ा मार्ग पर नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कैंची धाम एक ऐसी सुंदर जगह पर स्थित है।
यहां जाने का समय- नैनीताल से कैंची धाम पहुंचने में 1 घंटे का समय लग सकता है। दोनों की बीच दूरी लगभग 19 किमी है।इस मंदिर तक पहुंचने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, क्योंकि सुंदरता के साथ-साथ यह गहरी आस्था का प्रतीक माना जाता है।
गिरिजा देवी मंदिर (Garjiya Devi Mandir Kaha Hai)
यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित हैं। माता पार्वती के इस मंदिर को स्थानीय लोग गर्जिया माता के मंदिर के रूप में जानते हैं। भक्तों को माता के दरबार में पहुंचने के लिए 90 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।इस मंदिर की संरचना इतनी अलग और अनोखी है कि आपको ऐसा नजारा और कहीं नहीं देखने को मिलेगा। यह मंदिर देवी गर्जिया को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती का अवतार माना जाता है। आध्यात्मिक महत्व के अलावा, मंदिर का खूबसूरत स्थान भी इसकी लोकप्रियता में योगदान देता है। बहती नदी के किनारे, हरियाली के बीच और दूर-दूर तक फैली पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। इस मंदिर में आपको 4.5 फीट की गिरिजा माता की मूर्ति भी देखने को मिलेगी। यह मंदिर कोसी नदी के बीच में एक चट्टान पर स्थापित है, इसलिए यह और भी ज्यादा खूबसूरत लगता है। इसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों के पास स्थित लोकप्रिय मंदिर माना जाता है।अपने पूरे इतिहास में, यह भक्तों के लिए एक पवित्र शरणस्थल और आध्यात्मिक भक्ति के लिए एक केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता रहा है।