Piliphit History: पीलीभीत का इतिहास से है गहरा नाता, वन्यजीव क्षेत्र के लिए है प्रसिद्ध
Piliphit History Hindi: उत्तर प्रदेश का पीलीभीत एक प्रसिद्ध जगह है जो मुख्य रूप से जंगलों से घिरा हुआ इलाका है। चलिए आज इसके इतिहास के बारे में जानते हैं
Piliphit History: पीलीभीत भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के पीलीभीत ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। यह हिमालय की निचली शिवालिक श्रेणियों के समीप रुहेलखण्ड के पठार के उत्तरी भाग में उत्तराखण्ड राज्य की सीमा के पास स्थित है। भारत के इंपीरियल गजेटियर के अनुसार, क्षेत्र के रोहिला नेता हाफ़िज़ रहमत खान के नाम पर कभी पीलीभीत को हाफ़िज़ाबाद के नाम से जाना जाता था, लेकिन बाद में इसका वर्तमान नाम पास के एक गाँव के नाम पर पड़ा।
पीलीभीत का इतिहास (Piliphit Ka Itihas)
पीलीभीत उत्तर प्रदेश का उत्तर पूर्वी जिला है। पहले यह रोहिलखंड का हिस्सा था। 1871 में अंग्रेजों द्वारा नया जिला पीलीभीत बनाया गया। इसमें पांच तहसीलें हैं-पीलीभीत, पूरनपुर, बीसलपुर, अमरिया और कलीनगर। यह जिला घने जंगलों से घिरा हुआ है और यहां हिरण, बारासिंघा, भालू और सबसे खतरनाक बाघ जैसे जंगली जानवरों का प्राकृतिक निवास है। 1971 तक, पीलीभीत जिला एक सत्र डिवीजन नहीं था। यह बरेली जिले का हिस्सा था।
क्यों प्रसिद्ध है पीलीभीत
प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्यपशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की भी बहुतायत है। प्राकृतिक संपदा भरपूर होने के कारण यहां वन्यपशुओं, पक्षियों और सरीसृप जाति के प्राणियों की भी बहुतायत है। यह स्थान पीलीभीत से लगभग 50 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है।
पर्यटक स्थल (Piliphit Famous Tourist Places)
ओढ़ाझार मंदिर
ओढ़ाझार मंदिर जनपद पीलीभीत के तहसील कलीनगर के ग्राम ओढ़ाझार में स्थित है | मंदिर में पर्यटक प्रतिदिन प्रातः 6:00 से सायं 8:00 बजे के बीच आगमन कर सकते है।
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले और शाहजहाँपुर जिले में स्थित है, जो ऊपरी गंगा के मैदान बायोग्राफिकल प्रांत में तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है। रिज़र्व से कुछ नदिया, जैसे शारदा, चूका और माला, खाननॉट होकर निकलती है। साल के जंगलों, लंबी घास के मैदानों और नदियों से समय-समय पर बाढ़ द्वारा बनाए गए दलदल यहाँ की विशेषता है। रिजर्व की सीमा पर शारदा सागर बांध है जो 22 किमी (14 मील) की लंबाई तक फैला है। यह भारत-नेपाल सीमा पर हिमालय की तलहटी और उत्तर प्रदेश में तराई के मैदानों के साथ स्थित है। यह तराई आर्क लैंडस्केप का हिस्सा है। यह भारत के 51 प्रोजेक्ट टाइगर टाइगर रिजर्व में से एक है।
गौरी शंकर मंदिर
यह मंदिर 250 वर्ष पुराना है। यह देवहा और खकरा नदी के तट पर मोहल्ला खखरा में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि पुजारी पंडित हर प्रसाद के प्रमुख पुत्र दूसरे संतों के साथ इस स्थान पर आए थे। उस समय यहाँ एक जंगल था। उन्होंने रात में भगवान भगवान शंकर का सपना देखा था, सुबह उन्होंने शंकर भगवान की मूर्ती देखी। धीरे-धीरे एक मंदिर बनाया गया था। हर साल शिवरात्रि, रक्षा बंधन व श्रवण माह के प्रथम सोमवार पर एक मेले का आयोजन किया जाता है। एक मंदिर के बाहरी हिस्से में एक धरमशाला स्थित है, जो द्वारिका दास बंजारा द्वारा दान किया गया था। मंदिर के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में दो बड़े प्रवेश द्वार हैं, जिन्हें हाफिज रहमत खान द्वारा बनवाया गया था।
राजा वेणु का टीला
जिला पीलीभीत के पूरनपुर तहसील में, रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर शाहगढ़ में एक टीला स्थित है, इस टीले में राजा वेणु का एक महल था। आजकल इस महल के अवशेष और खंडहर बताते हैं उस समय राजा की उन्नति किस प्रकार हुई थी।
छटवी पादशाही गुरुद्वारा
शहर के पकडिया इलाके में यह 400 वर्षीय गुरुद्वारा है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ गुरु गोविन्द सिंह जी ने नानकमत्ता जाते समय आराम किया था। उन्होंने यहां छटवे गुरु श्री हर गोविंद जी के नाम पर एक गुरुद्वारा स्थापित किया और इसका नाम छटवी पादशाही गुरुद्वारा रखा। 1983 में क्षेत्र के प्रसिद्ध सामाजिक सेवक श्री बाबा फौज सिंह ने इस खूबसूरत तीर्थ का पुनर्गठन किया।