Shakti Peeth Temple History: जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के शक्ति पीठ
Shakti Peeth Mandir Ka Itihas: शक्ति पीठ के दर्शन कड़ी में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के उन इलाकों की जानकारी देंगे जहां शक्ति पीठ स्थापित हैं
Shakti Peeth Temple: पौराणिक कथा के अनुसार जब माता सती ने अपने पिता के व्यवहार से अपमानित होकर आत्मदाह कर लिया था। उसके बाद क्रोध में आकर शिवजी उनके शव को लेकर रुद्र रूप में पृथ्वी पर भ्रमण करने लगे थे। तब देवताओं के आग्रह पर भगवान विष्णु ने माता सती के शरीर के अपने सुदर्शन चक्र से 51 टुकड़े कर दिए। जहां-जहां माता सती के अंग और आभूषण गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। शक्ति पीठ के दर्शन कड़ी में जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के उन इलाकों की जानकारी देंगे जहां शक्ति पीठ स्थापित हैं।भारत देश के जम्मू कश्मीर प्रांत में दो शक्ति पीठ हैं।
महामाया शक्ति पीठ
कश्मीर के पहलगांव जिले के अमरनाथ में माता सती का कंठ गिरा था। इसे महामाया शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। इसकी शक्ति को महामाया और भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं।अपने पौराणिक महत्व, दिव्य आभा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के कारण यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष स्थान रखता है। ऐसा मानते हैं कि इसके दर्शन करने से सब पाप दूर हो जाते हैं। बाबा अमरनाथ के दर्शन के साथ इसके दर्शन भी कर सकते हैं। कश्मीर के मनमोहक दृश्यों में श्रद्धालु महामाया शक्तिपीठ का एक आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं
।कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से आने के लिए श्रीनगर पहुंचकर सड़क मार्ग से पहलगांव आ सकते हैं।
जम्मू और श्रीनगर सड़क के माध्यम से देश के अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं। बस और टैक्सी के द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।
श्रीपर्वत - श्रीसुंदरी
कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में स्थित श्रीपर्वत पर माता सती के दाएं पैर की पायल गिरी थी। इस शक्तिपीठ की शक्ति है श्रीसुंदरी और शिव सुंदरानंद के नाम से पूजे जाते हैं।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा लेह में है।
रेल मार्ग से यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मूतवी है, जो लद्दाख से 700 किमी दूर है।
सड़क मार्ग से यहां जाने के लिए जुलाई से सितंबर तक का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है।
हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठ
ज्वालामुखी - सिद्धिदा (अंबिका)
भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा जिले में माता सती की जीभ गिरी थी, जिसे ज्वालाजी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वाला शक्तिपीठ में देवी को अग्नि के रूप में पूजा जाता है। पूरे विश्व में मशहूर इस मंदिर को जोता वाली मां का मंदिर और नगरकोट के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ा से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में मूर्ति की जगह धरती से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है। इन नौ ज्वालाओं या ज्योतियों को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।कहा जाता है कि इस मंदिर की खोज पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान की थी। इस मंदिर के निमार्ण का कार्य राजा भूमि चंद ने शुरू करवाया । लेकिन पूर्ण काम सन् 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने कराया।
कर्णाट जयदुर्गा
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित कर्णाट शक्तिपीठ में माता सती के दोनों कान गिरे थे। यहां देवी की पूजा जयदुर्गा या जयदुर्ग और भगवान शिव की अबिरू के रूप में की जाती है।
नयना देवी
ऐसा कहा जाता है कि हिमाचल के नैनी झील से पहले उस जगह पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इस कारण इस मंदिर का नाम नयना या नैना देवी पड़ा। इस मंदिर के अंदर नैना देवी के साथ गणेशजी और मां काली की भी पूजा होती है।15वीं शताब्दी का यह मंदिर नेपाल की पगोडा और गौथिक शैली में बना है। नैना देवी मंदिर में मां के दो नेत्र बने हैं, जिसके दर्शन से मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसी भी मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति आंखों की समस्या से परेशान है और वह नैना मां के दर्शन कर ले तो उसकी आंखें जल्दी ठीक हो जाएंगी ।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से कांगड़ा पहुंचने के लिए निकटतम गगल हवाई अड्डा है, जो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में स्थित है। यहां से कांगड़ा की दूरी 18 किलोमीटर है।
यह हिमाचल प्रदेश की कांगड़ा घाटी से 30 किमी दक्षिण में स्थित है, धर्मशाला से 60 किमी की दूरी पर है।
सड़क मार्ग से मनाली, देहरादून और दिल्ली से धर्मशाला के लिए कई बसें भी चलती हैं।
पंजाब और हरियाणा के शक्तिपीठ
जालंधर - त्रिपुरमालिनी
51 सिद्ध शक्तिपीठों में से भारत के पंजाब राज्य में एकमात्र शक्तिपीठ जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर में स्थित है। इसके पास माता सती का बायां वक्ष (स्तन) गिरा था।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से निकटतम हवाई अड्डा जालंधर का आदमपुर हवाई अड्डा है। यह मंदिर सिटी में स्थित है , वहां पहुंचने के लिए टैक्सी से जा सकते हैं।रेल मार्ग से यह जालंधर रेलवे स्टेशन से लगभग 1 किलोमीटर दूर है ।
कुरुक्षेत्र - सावित्री
भारत के हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी। इसकी शक्ति को सावित्री और भैरव को स्थाणु नाम से पूजते हैं। इस मंदिर को सावित्री पीठ, देवी पीठ, कालिका पीठ या आदी पीठ भी कहा जाता है। महाभारत युद्ध से पहले श्रीकृष्ण के कहने पर अर्जुन ने यहां देवी माता की पूजा की थी। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में श्री कृष्ण और बलराम के सिर का मुंडन हुआ था। इस कारण यहां लोग अपने शिशुओं का भी मुंडन करवाते हैं।
कैसे पहुंचें ?
यहां पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डे दिल्ली और चंडीगढ़ में हैं। दिल्ली कुरुक्षेत्र से 160 किलोमीटर और चंडीगढ़ 90 किलोमीटर दूर है। यहां टैक्सी या अन्य स्थानीय साधन के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।रेल मार्ग से पहुंचने के लिए कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन जिसे कुरुक्षेत्र जंक्शन भी कहा जाता है, मुख्य दिल्ली-अंबाला रेलवे लाइन पर स्थित है।सड़क मार्ग से भी कुरुक्षेत्र देश के सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)