Most Dangerous Desert Rub Al Khali : यह है दुनिया का सबसे खतरनाक रेगिस्तान, यहां से जिंदा लौटना है मुश्किल
Most Dangerous Desert Rub Al Khali : दुनिया भर में एक से बढ़कर एक हैरान कर देने वाले स्थान मौजूद है। आज हम आपको सऊदी अरब में मौजूद एक खतरनाक रेगिस्तान के बारे में बताते हैं।
Most Dangerous Desert Rub Al Khali : हाल ही में तेलंगाना के करीमनगर जिले से तालुका रखने वाले 27 वर्ष भारतीय युवक मोहम्मद शहजाद खान की सऊदी अरब के रूब अल खली रेगिस्तान में जान चली गई है। शहजाद 3 साल से सऊदी अरब की टेलीकम्युनिशन कंपनी में नौकरी कर रहा था और सेल फोन टावर ठीक करने के लिए 19 अगस्त को रेतीले रेगिस्तान में गया था। चलिए आज हम आपको इस जानलेवा रेगिस्तान की कहानी बताते हैं।
रूब अल खली रेगिस्तान से जिंदा लौटना मुश्किल (Difficult To Return Alive from Rub al Khali Desert)
यह रेगिस्तान काफी बड़ा है और यहां से जिंदा लौट पाना बहुत मुश्किल है। यहां पर कोई भी रास्ता भटक सकता है और इसके बाद कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यहां जीपीएस सिगनल भी फेल हो जाते हैं और रेगिस्तान की गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन किसी की भी जान ले सकता है। यह 650 किलोमीटर तक फैला दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है।
कैसा है रूब अल खली रेगिस्तान (What Is The Rub al Khali Desert Like?)
सऊदी अरब के दक्षिणी क्षेत्र में 650 किलोमीटर तक फैल ही रेगिस्तान कठोर परिस्थितियों के लिए पहचाना जाता है। इस दुनिया का सबसे खतरनाक रेगिस्तान कहा जाता है क्योंकि यहां पर रेत के अलावा कुछ भी नहीं है। यह सऊदी अरब, ओमान, यमन और यूएई में फैला हुआ है। यहां पर पानी और खाने की कमी है और जहरीले सांप और बिच्छू यहां रहते हैं। यहां बिशन गर्मी पड़ती है जिससे कोई भी रास्ता भटक सकता है। इस रेगिस्तान में पहचान का कोई निशान नहीं है जिस वजह से एक बार भड़काने के बाद रास्ता ढूंढना मुश्किल हो जाता है।
दुनिया की सबसे लंबी सड़क (World's Longest Road)
सऊदी अरब का हाईवे 10 भी इसी रेगिस्तान से गुजरता है जिसे दुनिया की सबसे लंबी सीधी सड़क होने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्राप्त है। इस रेगिस्तान से 256 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क होकर गुजरती है जिसमें कोई भी मोड नहीं है और ना ही कोई ढलान आती है।
एडवेंचर और ट्रेवल के शौकीन यात्री आते हैं (Travelers Fond Of Adventure And Travel Come)
यह रेगिस्तान खतरों से भरा हुआ है इसके बावजूद भी एडवेंचर और ट्रेवल की शौकीन लगातार यहां की और आकर्षित होते हैं। ब्रिटिश खोजकर्ता विल्फ्रेड द फिगर ने 1940 में इस रेगिस्तान को पार किया और इस पर एक किताब भी लिखी। उन्होंने जो जिक्र किया है उसके मुताबिक यहां से लौटना बहुत चुनौती पूर्ण है। खुद को आखिरी सीमा तक परखना पड़ता है।