भारत में लांच हुईं 10 घटिया कारें, कहीं आपके पास तो नहीं
इन कारों का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है। इन्हें आप फ्लॉप कारें भी कह सकते हैं। इनमें से कुछ को लोगों ने नकार दिया तो कुछ बीच रास्ते पर खड़ी हो जाती थीं। इनकी कोई रिसेल वेल्यू नहीं रही।
आज हम आपको पिछले एक दशक में भारत में लॉंच हुई 10 घटिया कारें इस विषय पर जानकारी देने जा रहे हैं। इन कारों का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा है। इन्हें आप फ्लॉप कारें भी कह सकते हैं। इनमें से कुछ को लोगों ने नकार दिया तो कुछ बीच रास्ते पर खड़ी हो जाती थीं। इनकी कोई रिसेल वेल्यू नहीं रही।
ये तो आप जानते ही हैं कि कार आज रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है। कार का इस्तेमाल लोग लग्जरी आइटम के तौर पर नहीं रुटीन वर्क के लिए ट्रांसपोर्ट के इजी होने के लिए करते हैं। तेजी से डेवलप होते कार मार्केट में कपड़ों की तरह कारों के भी डेली अट्रैक्टिव मॉडल आ रहे हैं। कोई भी उसकी ब्यूटी और क्वालिटीज जानकर उसे लेने के लिए मचल उठता है। लेकिन प्राब्लम तब शुरू होती है जब पर्चेज करने के बाद एक कार आप पर बोझ बन जाती है। जैसे फ्रूट मार्केट से परचेज किया गया खूबसूरत सेव कई बार अंदर से सड़ा निकल जाता है। आपकी लाइकिंग और नॉलेज के लिए ये एक झटका होता है। सेम पैटर्न पर जब एक घटिया कार लॉंच हो जाती है तो आप भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं।
महिंद्रा क्वांटो
एक असफल मॉडल को ज्यादा रद्दोबदल की गुंजाइश नहीं होती है, इसे बेचने की उम्मीद होती है। क्वांटो में कई विशेषताएं थीं और इसमें एक बेहतर इंजन था, लेकिन लोगों ने इसे पसंद नहीं किया महिंद्रा ने बाद में इसमें कुछ सुधार की कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी।
डीसी अवंती
दिलीप छाबड़िया भारत के लिए एक सुपर कार बनाना चाहते थे, हालांकि लोगों ने इसे सिरे से नकार दिया। यह सक्सेसफुल नहीं हुई।
प्रीमियर रियो
प्रीमियर ऑटो में हारने के बाद प्रीमियर रियो को चाइनीज तकनीक के जरिये तैयार किया गया। इस मॉडल के सफल होने की पूरी उम्मीद थी लेकिन उपभोक्ताओं को ये कार नहीं भाई।
रियो बुरी तरह फ्लॉप हुई। इसके इंटीरियर को लेकर जहां शिकायत थी, वहीं भारतीय सड़कों के लिए यह फिट नहीं बैठी।
डैट्सन गो प्लस
डैट्सन गो प्लस के लांच से उम्मीद की गई थी कि भारतीय बाजार में जो सस्ता है वह बिकता है। इसलिए बिकेगा लेकिन यह भी सफल नहीं हुई।
अशोक लेलैंड स्टिल
एक ट्रक बनाने वाली कंपनी ने कार बाजार में उतरने का आसान रास्ता चुना लेकिन यह प्रयास मुंह के बल गिरा।
इन्होंने एक फ्लॉप कार निसान एवेलिया की नकल करने की कोशिश की असफल रहने पर इन्होंने बड़े ट्रक के साथ इस कार को फ्री में देने की कोशिश भी की।
इसुजु एमयू-7
इसुजु को डी मैक्स पिकअप ट्रक बनाने वाली कंपनी ने लांच किया। उन्होंने भी एमयू-7 एसयूवी के चलन से बाहर हो चुके वर्जन की नकल कर इसुजु लाने की कोशिश की। यह कार भी फ्लॉप हुई इसकी कोई रिसेल वेल्यू नहीं।
इसका इंटीरियर भी बाबा आदम के जमाने का था। इस कंपनी ने 2013 के इस अनुभव से कोई सबक नहीं लिया और 2017 में एमयू एक्स लांच की। यह कार भी बुरी तरह फ्लॉप हुई। दोनो ही कारें डूब गईं।
महिंद्रा वेरिटो वाइब
महिंद्रा का वेरिटो वाइब भी फ्लॉप कारों में गिनी जाती है। इस मॉडल ने कंपनी को हंसी का पात्र बना दिया। एक पुराना डिज़ाइन, बेसिक इंटीरियर और इस मॉडल को लेकर लोग कतई गंभीर नहीं हुए। ये बुरी तरह फ्लॉप हुई।
फोर्स वन
फोर्स मोटर्स एसयूवी के क्रेज को भुनाना चाहती थी, लेकिन सही मॉडल नहीं ला पाए। यह मॉडल न खरीदने वालों के अच्छा रहा जिन्होंने खरीदने की भूल कर दी उनके लिए खराब था। इसके ब्रांड एम्बेस्डर अमिताभ बच्चन थे। वह भी इसे नहीं बचा पाए।
शेवरलेट सेल / यू-वीए
बहुत धूमधाम से लांच हुए इस मॉडल को लोगों ने एक शब्द में उबाऊ करार दिया और यह फ्लॉप हो गया।
रेनॉल्ट कोलेओस
कोलेओस के भारत में लॉन्च किए गए रेनॉल्ट को सबसे खराब उत्पादों में से एक गिना गया। 2011 में इसे 23 लाख में लॉन्च किया गया था, यह फार्च्यून व एंडेवर की तुलना में अधिक महंगा था। इसकी कीमत बीएमडब्ल्यू एक्स 1 से भी कुछ ही कम थी। बावजूद इसमें तमाम खामियां थीं जिसके चलते भारतीय सड़कों पर इसे बहुत कम देखा गया।