लखनऊ. मिस्त्र के पिरामिड़ों में अंदर रखी गई लाशों, जिन्हें ममी कहा जाता है उनके बारे में सबने काफी कुछ पढ़ा और सुना होगा। शवों पर कई तरह के लेप लगाकर उन्हें सालों तक सुरक्षित रखा जाता है, लेकिन क्या आपने कभी एनिमल ममीज़ देखी हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको तस्वीरों के जरिए बताएंगे कि कैसे एक झील में बन गई पक्षियों और जानवरों की ममीज़। कुछ लोग उस झील को श्रापित मानते हैं और सोचते हैं कि श्राप की वजह से उन पक्षियों और जानवरों की ममी बन गईं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
नॉर्थ तंजानिया की नेट्रॉन लेक अफ्रीका की शांत और साफ झीलों में से एक है, लेकिन इसमें कई राज भी छिपे हुए हैं। कुछ साल पहले इस झील की कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं थी, जिन्होंने दुनिया को हैरत में डाल दिया था। ये तस्वीरें उन पक्षियों की थी, जो झील के पानी के संपर्क में आते ही पत्थर बन गए थे। सालों उस झील में पड़े रहने की वजह से उनके शव खुद ममी में बदल गए थे।
आखिर ये हुआ कैसे?
इस झील के खारे पानी का ph(एल्काइन वॉटर की क्षारीयता का नापने का पैमाना) 10.5 है, जो सामान्य से कहीं ज्यादा है। इतने ph पानी में जो जानवर रहने के आदि नहीं होते हैं, उनकी त्वचा और आंखें तक जल जाती हैं। इस झील की क्षारीयता की वजह सोडियम कॉर्बोनेट और बाकी मिनरल्स हैं, जो आसपास की पहाड़ियों से बहकर इस झील में आते हैं। झील में जमा सोडियम कॉर्बोनेट एक अच्छे प्रिजर्वेटिव की तरह काम करता है। इसी की वजह से झील में मर जाने वाले जानवरों के ढांचे आज भी हूबहू उनके जिंदा होने का अहसास कराते हैं। सोडियम कॉर्बेनेट का इस्तेमाल एक बार मिस्त्र में ममी बनाने में भी गया था। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, झील के पानी के संपर्क में आने से पक्षी और जानवर पत्थर में तब्दील नहीं हुए थे। उनका कहना था कि नेट्रॉन झील के एल्काइन (क्षारीय) वॉटर की वजह से यहां का इकोसिस्टम हरा-भरा था। साल्ट मार्श, साफ गीली जमीन, फ्लेमिंगोस (एक तरह की लाल चिड़िया) और दूसरी पानी में रहने वाली चिड़ियों के लिए ये झील स्वर्ग की तरह थी।
यूएस के फोटोग्राफर ने खींची तस्वीरें
इन तस्वीरों को यूएस के रहने वाले फोटोग्राफर निक ब्रेंडेट ने खींचा था। इसका ज्रिक उन्होंने अपनी एक किताब 'एक्रॉस द रेवेज्ड लैंड' में किया है। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है, ''मुझे अचानक ही नेट्रॉन झील के किनारे पत्थर बन चुके ये पक्षी और जानवर मिले। किसी को नहीं पता कि इनके मौत के पीछे की असली वजह क्या है, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि पानी में सोडा और नमक की ज्यादा मात्रा होने की वजह से ऐसा हुआ होगा। मैंने फोटोग्राफी के जरिए इस क्रिएचर्स को दोबारा लिविंग पोजिशन में रख दिया। साथ ही पत्थर बन चुके इन क्रिएचर्स में फिर से जान फूंक दी।''
ईस्ट अफ्रीका में है एक और एल्काइन लेक
ईस्ट अफ्रीका में नेट्रॉन लेक के अलावा बाही दूसरी एल्काइन लेक है। ये दोनों टर्निमल लेक्स हैं और किसी भी समुद्र या नदी में नहीं गिरती हैं। गर्मियों में इन उथली झीलों के पानी का तापमान 106 डिग्री फारनेहाइट (41 डिग्री सेल्सियस) और 60 डिग्री सेल्सियस भी पहुंच जाता है। ब्रेंडेट की इन पिक्चर्स को साल 2012 की बेस्ट वाइल्ड एनिमल फोटोज एनाउंस किया गया था। उन्होंने ये सारी तस्वीरें 2010 से 2012 के बीच खींची थीं।
क्यों है ये झील इतनी टॉक्सिक?
नेट्रॉन झील के पास में पाए जाने वाले ol doinyo ज्वालामुखी की वजह से इसके पानी में असामान्य तौर पर पाए हार्श कम्पोजिशन पाया जाता है। इस ज्वालामुखी से क्षार और काफी मात्रा में नेट्रोकॉर्बोनेटाइटस पाया जाता है, जो बारिश के पानी के साथ झील में आकर मिल जाता है। जियोलॉजी और जियोफिजिक्स के प्रोफेसर thure cerling के मुताबिक, ब्रेंडेट की तस्वीरों में दिखाए गए पक्षी और जानवर पूरी तरह से कैल्सिफाइड नहीं हैं, बल्कि उनके ऊपर सोडियम कॉर्बोनेट और सोडियम बाइकॉर्बोनेट की कोटिंग है। ब्रेंडेट ने माइकल जैक्सन के लिए ईस्ट अफ्रीका में 1995 में एर्थ सॉग भी डायरेक्ट किया था।