सावधान पुजारियों : चढ़ावे का पैसा इन जगहों पर लगाया तो जाओगे लंबी जेल

हाल ही में पूजास्थलों में भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की है। देश की सबसे बड़ी अदालत की ये राय काफी अहमियत रखती है कि चढ़ावे का पैसा यदि आतंकवाद या जुआ खेलने में इस्तेमाल होता है तो सरकार इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून बना सकती है।

Update:2020-02-19 18:33 IST

नई दिल्ली। सवा अरब की आबादी वाले इस देश में करोड़ से ऊपर मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे और अन्य धर्मों के मतावलंबियों के पूजास्थल हैं। जहां श्रद्धालु लोग दिल खोलकर इसलिए चढ़ावा चढ़ाते हैं कि उनके पैसे का सदुपयोग होगा ये पैसा धार्मिक कार्यों में लगेगा लेकिन अगर इस पैसे का दुरुपयोग होना शुरू हो जाए तो क्या होगा... तो सावधान पुजारियों अब से ये जान लो कि आपकी धार्मिक आजादी काम नहीं आएगी और आपको लंबी जेल यात्रा करनी पड़ेगी, जेल की रोटी खानी पड़ेगी, जेल का पानी पीना पड़ेगा।

हाल ही में पूजास्थलों में भक्तों द्वारा चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की है। देश की सबसे बड़ी अदालत की ये राय काफी अहमियत रखती है कि चढ़ावे का पैसा यदि आतंकवाद या जुआ खेलने में इस्तेमाल होता है तो सरकार इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कानून बना सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान पीठ धार्मिक स्वतंत्रता पर सुनवाई कर रही है। पीठ इस बात का परीक्षण करेगी कि किसी धर्म में आस्था रखने वाले लोग दूसरे धर्म के बारे में सवाल उठा सकते हैं या नहीं।

धर्म में धर्म निरपेक्ष हिस्सा है ये

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने धार्मिक मामलों में मौलिक अधिकारों और उसके आचरण को लेकर कई सवाल उठाए हैं। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने धर्म के मामले में मौलिक अधिकारों और उसकी प्रथा को मानने व संविधान के मुताबिक उसके प्रचार को लेकर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का संदर्भ दिया। तुषार मेहता ने कहा कि सरकार और कोर्ट को धर्म के धर्मनिरपेक्ष हिस्से के नियमन का अधिकार है।

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मेहता के जवाब पर पीठ ने कहा कि मंदिरों में पूजा-पाठ और चढ़ावे की प्रथा रही है और यह धार्मिक गतिविधि है, लेकिन यदि धन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए या जुआघर चलाने के लिए हो तो यह धर्म का धर्मनिरपेक्ष हिस्सा है।

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सुप्रीम कोर्ट की पीठ सबरीमाला केस के अलावा महिलाओं के मस्जिद और दरगाह में प्रवेश और पारसी महिलाओं के गैर पारसी पुरुष से विवाह करने पर उसे पवित्र अग्नि स्थल पर जाने से रोकने आदि मामले की सुनवाई कर रही है।

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