Hats off: इस एक्टिविस्ट ने एक और बालिका वधू को कराया कैद से आजाद

Update:2016-05-09 13:45 IST

लखनऊ: बालिका वधू बनने का दर्द क्या होता है यह सिर्फ वो लड़की बता सकती है जिसे गुड्डे-गुड़िया का खेल छोड़कर ससुराल जाने के लिए मजबूर किया गया हो। बचपन छीनकर उस पर जिम्मेदारियों का बोझ डाल दिया गया हो, लेकिन 29 साल की सोशल एक्टिविस्ट कीर्ति भारती ने पिछले चार साल में 900 लड़कियों को बालिका वधू बनने से बचाया है। इसी कड़ी में एक और कदम उठाते हुए उन्होंने जोधपुर की रहने वाली एक 17 साल की लड़की को एक शराबी पति की कैद से आजाद कराया है। इस लड़की की शादी 12 साल की उम्र में ही कर दी गई थी।

ऐसे लड़की से मिलीं कीर्ति

-सबके सो जाने के बाद लड़की देर रात घर से भाग निकली।

-रास्ते में उसकी मुलाकात कीर्ति भारती से हुई।

-कीर्ति उसे सबसे बचाते हुए जोधपुर के सरकारी आवास में ले आईं।

पेड़ के पीछे छिपी हुई थी लड़की

-कीर्ति भारती ने बताया कि लड़की सुबह चार बजे एक पेड़ के पीछे छिपी हुई थी।

-रोज डर-डरकर रह रही यह लड़की हिम्मत जुटाकर घर से भागी थी।

-जैसे ही मैंने लड़की को कार में बिठाया उसने मुझे कसकर गले लगा लिया।

-उसका गला सूखा हुआ था। वह एक शब्द भी नहीं बोल पाई और लगातार रो रही थी।

-कीर्ति ने लड़की को शेल्टर होम में रखा है, जहां वह पूरी तरह सुरक्षित है।

-मैं और मेरी पूरी टीम इस लड़की की पढ़ाई और काउंसिलिंग करेगी।

बचपन से पढ़ाई करना चाहती थी लड़की

-पीड़ित लड़की ने बताया कि वह बचपन से स्कूल जाना चाहती थी।

-घरवालों ने स्कूल छुड़वाकर मेरी शादी 21 साल के लड़के से तय करी दी।

-जब मैंने मना किया तो मुझे मेंटली टॉर्चर करने के साथ-साथ पीटा गया।

-शादी के वक्त मेरी उम्र सिर्फ 12 साल की थी।

-मेरा पति अनपढ़ और शराबी है। वह कुछ भी नहीं कमाता है।

 

एक्टिविस्ट को मिली धमकी

-कीर्ति ने बताया कि लड़की के घरवालों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी।

-मैं लड़की और उसके पति दोनों के परिवारवालों से बात करने की कोशिश करूंगी।

-कुछ केसों में लड़की के घरवाले समझाने पर उसका दर्द समझकर सपोर्ट करते हैं।

-अगर इस लड़की के घरवाले जबरदस्ती करते हैं तो फिर हम कानून का सहारा लेंगे।

-यह लड़की जिस कम्युनिटी से आती है वहां ऑनर किलिंग आम बात है।

बालिका वधुओं के लिए बनीं 'सारथी'

-कीर्ति भारती ने ऐसी लड़कियों के लिए सारथी नाम का ट्रस्ट बनाया है।

-यहां बाल विवाह का शिकार हुई पीड़ित लड़कियां में फिर से जीने की उम्मीद जगाई जाती है।

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