एक्शन में है सरकार, यूपी के सपने बेशुमार, योगी ने पकड़ ली रफ्तार, लेकिन स्पीड ब्रेकर हैं हजार
यूपी की सत्ता में 14 साल का वनवास ख़त्म करने के बाद बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से शानदार वापसी की धर्मयोगी से कर्मयोगी बने योगी आदित्यनाथ को यूपी का राजयोग मिला।
लखनऊ: यूपी की सत्ता में 14 साल का वनवास ख़त्म करने के बाद बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से शानदार वापसी की। धर्मयोगी से कर्मयोगी बने योगी आदित्यनाथ को यूपी का राजयोग मिला। योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने से पहले यूपी के शहंशाह बनने की रेस में कई नेताओं का नाम था, लेकिन एक अप्रत्याशित फैसले ने राजनैतिक पंडितों के सारे कयासों और अनुमानों पर पानी फेर दिया और यूपी के नए बादशाह की कुर्सी पर योगी आदित्यनाथ को विराजमान किया गया।
प्रखर हिंदुत्व के पोषक माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ ने (19 मार्च) को यूपी के सीएम पद की शपथ ली। जिसके बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी के 'ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा' से प्रेरित होते हुए 'ना सोऊंगा और ना सोने दूंगा' की नीति पर काम किया। योगी आदित्यनाथ को सीएम बने 19 अप्रैल को एक महीना हो गया। उनके काम करने के तौर तरीके से जनता और खुद योगी के मंत्रियों में नई सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हुआ है। मुस्लिम महिलाओं से भी योगी आदित्यनाथ को लेकर पॉजिटिव रेस्पोंस मिल रहा है। योगी आदित्यनाथ का कहना है कि यूपी में अब तुष्टिकरण नहीं, सबका विकास होगा। उनकी सरकार जाति, धर्म और संप्रदाय के नाम पर कोई भेदभाव नहीं करेगी। सबको साथ लेकर चलेगी और सबका विकास करेगी।
योगी अपनी रफ्तार से यूपी की जनता के सपनों को साकार करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने एक महीने के कार्यकाल के अंदर ही कई ताबड़तोड़ फैसले (जैसे- अवैध बूचड़खानों पर रोक, एंटी रोमियो स्क्वाॅयड, सरकारी दफ्तरों में साफ-सफाई और काम करने की टाइमिंग, किसानों की कर्ज माफी, यूपी की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का संकल्प, मुस्लिम लड़कियों की शादी पर मेहर की रकम, महापुरुषों के नाम पर होने वाली छुट्टियों को ख़त्म करना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में गुणवत्तापरक सुधार, मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को एक लाख रुपए का आर्थिक अनुदान, यूपी को रोशन करने के लिए मोदी सरकार के साथ पावर फॉर आॅल डील) लिए और यूपी की स्थिति में सुधार के कई काम किए।
योगी आदित्यनाथ को सीएम बने एक महीना बीता है। यूपी की सिसायत में उनके कड़क तेवर का तो यह सिर्फ ट्रेलर मात्र है पूरी पिक्चर तो अभी बाकी है। योगी आदित्यनाथ को इस बात का इल्म है कि सरकारी योजनाओं की स्पीड को नियंत्रित रूप से जमीनी स्तर पर रफ्तार देना कितना जरुरी है। वह यह भी जानते हैं कि इसमें कितने स्पीड ब्रेकर हैं। इसलिए उन्होंने 30 दिन के अंदर 60 से ज्यादा आईएएस अफसरों पर तबादले का चाबुक चलाया।
ऐसा नहीं है कि योगी आदित्यनाथ के काम करने की रफ्तार में कोई रोड़े नहीं आए, लेकिन योगी ने अपने कुशल नेतृत्व और सख्त आदेशों के बल पर इन सब से पार पा लिया। योगी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यूपी की ब्यूरोक्रेसी में भ्रष्ट अफसरों पर शिकंजा लगाने की है। पिछली सरकारों में अपने राजनैतिक आकाओं के दम पर सिस्टम का सत्यानाश करने वाले अधिकारियों को योगी ने किनारे लगाया।
पिछले एक दशक बाद यूपी में सत्ता परिवर्तन हुआ। कभी सपा ने शासन किया तो सभी बसपा को यूपी की कमान मिली, लेकिन जो नहीं बदला था वह था भ्रष्ट अधिकारियों का मकड़जाल। अपने चुनावी भाषणों में पीएम मोदी और बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने हर बार इस बात का जिक्र करते हुए यूपी की जनता का विश्वास जीतने की कोशिश की कि सत्ता में आते ही वह भ्रष्ट अधिकारियों पर सबसे पहले नकेल कसेंगे और योगी सरकार ने ऐसा ही किया। योगी आदित्यनाथ ने अपने तबादला एक्सप्रेस की रफ्तार बढ़ाई और ताबड़तोड़ कई अधिकारियों का फेरबदल किया।
योगी सरकार को यह बात अच्छी तरह पता है कि बसपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की कोई जांच अखिलेश सरकार ने नहीं करवाई बल्कि उलटा कुछ भ्रष्ट अधिकारियों को अखिलेश ने ही एडजस्ट कर लिया। योगी सरकार के सामने भी ऐसी ही चुनौती थी क्योंकि यहां ब्यूरोक्रेसी भी वही भ्रष्ट अधिकारियों का गिरोह भी वही। योगी सरकार ने इसका समाधान निकालने के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात यूपी काडर के करीब बारह आईएएस अधिकारियों को वापस बुलाए जाने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा। इसके साथ ही योगी सरकार ने अखिलेश सरकार के कामों के जांच के आदेश दे दिए जिससे भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों के हाथ-पैर फूल गए हैं।
योगी आदित्यनाथ तीन अप्रैल से ही लंबी समीक्षा बैठक कर रहे हैं और हर विभागों के प्रेजेंटेशन देख रहे हैं। यह बैठक आधी रात तक चलती रहती हैं। रात में स्वीट ड्रीम और स्लीप वेल के आदी वरिष्ठ अधिकारियों के लिए रात और दिन दोनों भारी पड़ रहे हैं। अब उन्हें रोजाना सुबह नौ बजे काम पर पहुंचना होता है। ऑफिस आने का समय तय है, लेकिन यहां से जाने का नहीं। रात के समय सचिवालय सहित बापू भवन, इंदिरा भवन, जवाहर भवन की लाइटें जलती नजर आती हैं। यूपी का निजाम बदलने के साथ ही यहां का इंतजाम भी बदला-बदला नजर आने लगा है।
एक मीटिंग के दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा कि अधिकारी अब विलासितापूर्ण जिंदगी से बाहर निकल आएं और दिन रात एक कर सरकार की योजनाओं पर ईमानदारी से काम करें। अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी ऐसा करने में असमर्थ है तो वह तुरंत रिजाइन दे सकता है। यही बात योगी आदित्यनाथ भी कई कार्यक्रमों में कह चुके हैं। योगी का कहना है कि वह यूपी में राज करने नहीं, बल्कि यह बताने आए हैं कि सरकार कैसे चलती है। इसलिए अगर मैं 18-20 काम कर सकता हूं तो अधिकारी भी कर सकते हैं और जो ऐसा नहीं कर सकते उनके लिए यूपी में कोई जगह नहीं है। योगी के काम करने की जो रफ्तार रही है, उससे ज्यादातर अधिकारी और यहां तक की मंत्री भी तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं।
अधिकारियों और मंत्रियों के लिए की यूपी की इस नई कार्यसंस्कृति को सीखना भले ही किसी तकलीफदेह कवायद से कम नहीं, लेकिन जनता ने जिस भरोसे के साथ यूपी में बीजेपी को सत्ता सौंपी और पीएम नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ पर विश्वास कर उन्हें यूपी की कमान दी उस पर ना सिर्फ खरे उतराना योगी की जिम्मेदारी है बल्कि इसी से 2019 की दिशा भी तय होगी।
योगी सरकार की रफ्तार की मार सबसे ज्यादा मुख्य सचिव राहुल भटनागर पर पड़ती दिखाई देती है। उन्हें हर जगह मौजूद रहना होता है। लंबी बैठकों और तेज गति वाले सरकारी कामकाज का सबसे ज्यादा बोझ उन्हीं के सिर-कंधों पर है। इसके अलावा राज्य सूचना और जनसंपर्क विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी काम के बोझ से दबे हुए हैं। टीम योगी और यूपी की ब्यूरोक्रेसी की मिडनाईट मीटिंग के बाद इस विभाग का काम शुरू होता है, जब वे मीडिया के लिए प्रेस रिलीज बनाने बैठते हैं। वहीँ पुलिस के आलाधिकारी भी देर रात रात सड़कों पर गश्त देते हुए कानून-व्यवस्था को चाक चौबंद करने में जुटे हैं। योगी के रडार पर कब कौन कहां आ जाए और किस पर गाज गिर जाए इसलिए मंत्री-अधिकारी राईट टाइम होने की कोशिश में जुटे हैं।
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योगी के इस काम करने की रफ्तार में उनके मंत्री भी पीछे नहीं हैं। योगी के मंत्री अपने-अपने विभागों का औचक निरीक्षण कर रिपोर्ट योगी को सौंपते हैं। पिछली सरकारों में सुबह-सुबह गोल्फ क्लब में अपना टाइम पास करने वाले अधिकारी भी अब छुट्टियों के दिनों में सचिवालय में मुस्तैद रहते हैं और योगी के मंत्रियों की नजर उनपर रहती है। योगी के मंत्रियों में भी अब अपने आपको बेस्ट मिनिस्टर साबित करने की होड़ मच गई है। योगी के साथ-साथ उनके मंत्रियों के काम की रफ्तार भी अगर ऐसी ही सही दिशा में चली तो यूपी की जनता के सपने भी पूरे होंगे और यूपी की राह के सारे स्पीड ब्रेकर भी फ्लैट हो जाएंगे।