दलित समाज के उत्थान के लिए काम करने वाले नेता कांशीराम का आज यानि 15 मार्च को जन्मदिवस है। इस मौके पर newztrack.com आपको बता रहा है बीएसपी संस्थापक कांशीराम के जीवन से जुड़े किस्से...
लखनऊ: बीएसपी संस्थापक कांशीराम ने कई बार तल्ख और तीखे नारों के जरिए अपने कार्यकर्ताओं को एकजुट किया था। दलितों को लामबंद करने के लिए दिए गए नारों को लेकर कई बार विवाद भी हुआ। ‘ठाकुर, बाभन, बनिया चोर, बाकी सब हैं डीएस-फोर’नारे से तो सियासी गलियारे में सनसनी फैल गई थी।
‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार’
राजनीति में नारों का खास महत्व होता है। कहा जाता है कि नारा यदि लोगों के दिलों-दिमाग पर छाने वाला हो तो सत्ता दिला सकती है। कांशीराम भी इस बात को बखूबी जानते थे। उन्होंने इनका भरपूर इस्तेमाल भी किया। बसपा संस्थापक ने गरीब खासकर पिछड़ों और दलितों के उत्थान के लिए डीएस-फोर संगठन से शुरुआत की। इसके बाद अपने नारे को और तल्ख बनाते हुए नारा दिया-‘तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार।’
‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा हो गए जयश्रीराम’
जब राम नाम की बयार पूरे देश में चल पड़ी, कमल सब पर भारी पड़ने लगा। इससे निपटने के लिए सपा और बसपा ने हाथ मिलाया। तब दोनों पार्टियों का एक मिला जुला नारा चला था, जो काफी फेमस हुआ। ‘मिले मुलायम कांशीराम, हवा हो गए जयश्रीराम'।
'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर'
2007 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो मायावती ने दलितों और गरीबों को इकठ्ठा करने के लिए एक नारा और गढ़ा. जिसमे सपा के खिलाफ कहा गया- 'चढ़ गुंडों की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर'