जानें उस अमिट स्याही के बारें में सब कुछ, जो तय करती है नेताओं का भविष्य
मैसूर के महाराजा नालवाड़ी कृष्णराज वाडियर ने 1937 में एक कंपनी मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड बनाई थी। जो अब मैसूर पेंट्स एंड वॉर्निश लिमिटेड के नाम से जानी जाती है। यहां की बनी स्याही सिंगापुर, थाइलैंड, नाइजीरिया, मलेशिया, पाकिस्तान, कनाडा, द. अफ्रीका सहित कई देशों को भेजी जाती है।
नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए बिगुल बज चुका है। राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह से जुट गये है। सियासी जानकार भी बता रहे हैं कि इस बार लोकसभा के चुनाव में पक्ष- विपक्ष के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। जिस तरह से पक्ष-विपक्ष के नेता एक दूसरे पर तीखे हमले बोल रहे है। उससे ये साफ़ हो जाता है कि कोई भी दल एक दूसरे से आसानी से हार मानने वाले नहीं है। इसलिए जीत के लिए एड़ी चोटी का दम लगाये हुए है।
इन सबके बीच यहां मतदान से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें जानना जरूरी है। ऐसा ही एक तथ्य जुड़ा हुआ है मतदान के समय प्रयोग में लाये जाने वाली स्याही से। वोट डालने के बाद वोटर्स के हाथ की अंगुली के नाखून पर स्याही से निशान लगाया जाता है, जिससे ये पता चल सके कि इस वोटर ने वोट डाल दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य फर्जी मतदान रोकना है।
दिलचस्प तथ्य है कि इस अमिट स्याही का इस्तेमाल पहली बार 1962 के तीसरे आम चुनाव में हुआ था ताकि फर्जी मतदान रोका जा सके। यह स्याही मैसूर में बनाई जाती है जो लगाने के बाद 60 सेकेंड में ही सूख जाती है।
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कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
-मैसूर के महाराजा नालवाड़ी कृष्णराज वाडियर ने 1937 में एक कंपनी मैसूर लैक एंड पेंट्स लिमिटेड बनाई थी जो अब मैसूर पेंट्स एंड वॉर्निश लिमिटेड के नाम से जानी जाती है।
- यह स्याही सिंगापुर, थाइलैंड, नाइजीरिया, मलेशिया, पाकिस्तान, कनाडा, द. अफ्रीका सहित कई देशों को भेजी जाती है।
-पहली बार ये अमिट स्याही 1962 के आम चुनाव में इस्तेमाल हुई थी ताकि मतदान में फजीवाड़ा रोका जा सके।
इलेक्शन कमीशन की गाइडलाइंस के अनुसार वोट डालने से पहले मतदाता के बाएं हाथ की तर्जनी (फोरफिंगर) पर स्याही लगाई जाती है। ब्रश के जरिए नाखून के ऊपर से पहली गांठ तक अमिट स्याही लगाई जाती है।
मान लीजिए अगर किसी के बाएं हाथ में तर्जनी उंगली नहीं है तो फिर क्या होगा? ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के बाएं हाथ की किसी भी फिंगर पर स्याही लगाई जा सकती है। यदि बाएं हाथ पर कोई भी उंगली नहीं है तो फिर दाएं हाथ की तर्जनी पर यह स्याही लगाई जाती है।
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इस विशेष परिस्थिति में पैर के अंगूठे पर लगाई जाती है स्याही
अगर उसके दाएं हाथ में भी फोरफिंगर नहीं हो तो दाएं हाथ के किसी भी उंगली में स्याही लगाई जा सकती है। यदि उसके दोनों हाथों में कोई उंगलियां नहीं हैं तो दोनों हाथ के किसी हिस्से पर भी स्याही का प्रयोग किया जा सकता है। यदि दोनों ही हाथ नहीं है तो पैर के अंगूठे पर स्याही लगाई जाती है।
क्यों लगाई जाती है स्याही
इलेक्टोरल इंक चुनाव में फर्जीवाड़ा रोकने के इरादे से लगाई जाती है। एक बार इंक लग जाने पर उसे नाखून से हटने में काफी समय लगता है। ऐसे में उस स्थिति से बचा जा सकता है जब कोई मतदाता दो बार वोट देने की कोशिश करे।
इसके साथ ही यदि कोई एक बार वोट देने के बाद वेष धारण कर किसी अन्य मतदाता के स्थान पर वोट देने जाता है तब भी इंक के आधार पर यह पहचान की जा सकती है कि वह पहले वोट दे चुका है।
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