फ्रेंडशिप स्पेशल:उम्र 55 में दिल रहे बचपन का, करें छोटे उम्र के लोगों से दोस्ताना व्यवहार
जयपुर:'जज्बात मिल जाए तो उम्र कोई पहेली नहीं रहती, समझे जो कोई दिल से तुमको तो जिंदगी अकेली नहीं रहती।''चाहे रिश्ता कोई भी हो, वो अच्छा और लॉन्ग टर्म तक रहे, यही उस रिश्ते की खासियत होती है। फिर चाहे वो भाई-बहन का हो या दोस्ती का। सच में दोस्ती का रिश्ता वाकई में खास होता है। सगा न होते हुए भी सगे से बढ़कर होता है। जो किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ किसी को भी कहीं भी हो सकता है। दुनिया मेंकहीं भी रह रहे, दो या दो से अधिक लोगों के बीच दोस्ती होना एक आम बात है।
हम अपनी पूरी जिंदगी अकेले नहीं जी सकते और खुशी से जीने के लिए किसी विश्वसनीय दोस्त की जरुरत होती है। दोस्ती एक अन्तरंग रिश्ता होता है जिसपर हमेशा के लिए भरोसा किया जा सकता है। ये उम्र, लिंग और व्यक्ति के पद पर सीमित नहीं होता । मतलब ये कि किसी भी आयु वर्ग के पुरुष की पुरुष से, महिला की महिला से या इंसान की जानवर के बीच हो सकती है।
साधरणतया, ये किसी के बीच में बिना किसी लिंग और पद के भेदभाव के संभव है। दोस्ती एक या अलग जुनून, भावना या विचार के व्यक्तियों के साथ हो सकती है। दोस्ती प्यार का एक समर्पित एहसास है, जिससेअपने जीवन के बारे में हम कुछ भी शेयर कर सकते हैं और हमेशा एक-दूसरे का ध्यान रखते हैं।
इस रिश्ते की जो सबसे खास बात है, जिसका हम जिक्र रहे हैं वो है ‘दोस्ती में उम्र’। मतलब दोस्ती होने केलिए उम्र मायने नहीं रहती। आपको कंफर्टेबल जोन मिलना चाहिए। आजकल की लाइफ स्टाइल में तो एज डिफरेंस दोस्ती हर जगह देखने को मिलती है। जैसे कार्पोरेट सेक्टर हो या मीडिया हाउसेस हर जगह लोग अपने दोस्त तलाश लेते हैं, जिनके साथ घूमना-फिरना अच्छा लगाता है। एक बात और ध्यान देने वाली है कि इस दोस्ती में प्यार व विश्वास होता है। पर पार्टनर जैसा एहसास नहीं, बस एक अपनापन होता है।
कैसे होता है फायदा
रिसर्च में भी ये बात सामने आई है कि अगर आप खुद से बड़े उम्र के लोगों से दोस्ती रखते हैं तो ये आपकेलिए फायदेमंद है। वैसे ही अगर आप खुद से छोटे लोगों से दोस्ती करते हैं तो आपको युवा होने का या ये कहें कि उस उम्र में होने का एहसास जवां रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर आप 30-40 या उससे अधिकउम्र में आने पर उदासीन हो जाते हैं या जीवन में नीरसता आ जाती है, तो परेशान न हों, आपको खुद से कमउम्र के लोगों के सर्किल में शामिल होना चाहिए। जिनके साथ आपकी ट्यूनिंग अच्छी बनती हो, तो आप नाकेवल उस उम्र का एहसास करेंगे, बल्कि जीवन में नयापन भी भरेगा और आप फिर से जीना चाहेंगे।
वैसे ही अगर कम उम्र में मैच्योरिटी लानी है तो खुद से बड़े लोगों से दोस्ती करें। इससे आपको बहुत कुछ सीखने के साथ अच्छे-बुरे की पहचान भी होगी और आप जीवन में सही निर्णय लेने के लायक बनेंगे।
क्या कहता है मनोविज्ञान
इस विषय पर साइकोलॉजिस्ट आशी वर्मा का कहना है कि उम्र का अंतर किसी सच्चे रिश्ते या दोस्ती मेंकोई मायने नहीं रखता है, जो वास्तव में मायने रखता है वो है, जहां लोग एक दूसरे के प्रति खुले और ईमानदार हों और एक-दूसरे के निर्णय का भी सम्मान करते हैं। वही दोस्ती होती है। किसी में रिश्तें मेंपरिपक्वता के साथ जो जरूरी होता है वो है विश्वास और दूसरों के प्रति ईमानदारी और तजुर्बे के आधार पर भी रिश्ते मजबूत होते हैं। लेकिन किसी भी रिश्ते के लिए विश्वास का होना जरूरी होता है चाहे वो उम्र कुछ भी हो। मायने नहीं रखता है।
दोस्ती में कम्फर्टेबल होना जरूरी है
दोस्ती को लेकर कुछ ऐसे ही जज्बात को बयां करती है अंजु और रीना। अंजु जहां अपने दोस्त को प्यार से बॉस या पीएचडी (उनका कोडवर्ड) कहती है।दोनों का कहना है कि उनकी दोस्ती बहुत पुरानी नहीं है, बस रीना के हंसमुख स्वभाव और हर किसी से बोलने की आदत ने उन दोनों को दोस्त बना दिया और आज ये एक अच्छी दोस्त तो है। साथ ही दूर रहने पर एक-दूसरे की कमी को भी महसूस करती है। दोनों ये भी कहती है कि दोस्ती के लिए उम्र नहीं, विचारों का मेल जरूरी है। जिसके साथ आप सहज हो, वही आपका दोस्त है।
इन्ही की तरह निधि व शिल्पी भी अपना विचार रखती है। दोनों भी एक-दूसरे की अच्छी फ्रेंड है और दोनों को एक-दूसरे के साथ समय बिताना अच्छा लगता है।
विश्वास, प्रेम और आपसी समझ
प्रचेता और रश्मि त्रिपाठी की दोस्ती भी जॉब के दौरान हुई। और आज के वक्त में दोनों को अच्छी दोस्त कह सकते है। प्रचेता का कहना है कि उनकी दोस्ती को कुछ साल हो गए है। आपसी समझ ही इनकी दोस्ती की असली वजह है। इनका भी मानना है कि दोस्ती में उम्र नहीं मायने रखती है। बल्कि विश्वास, प्रेम और आपसी समझदारी हो। उम्मीद न हो, पर एक-दूसरे के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत हो।
सम्मान के साथ प्यार और फिर लंबा रिश्ता
झारखंड से नेशनल यूथ नेटवर्क के फाउंडर के सीईओ आलोक तिवारी का भी कहना है कि उम्र के अंतर की दोस्ती समान्यतया मन और विचारों के मेल की दोस्ती होती है। जो धीरे-धीरे प्रगाढ़ होती है। ऐसी दोस्ती अगर होती है तो वह लॉन्ग टॉर्म चलती है क्योंकि इसमें अंहकार और घमंड की जगह समर्पण, सम्मान और प्यार की भावना होती है। जो बड़े उम्र और तजुर्बों से छोटों की गलतियों या नदानियों को संभालने का काम करती है। ऐसी दोस्ती ज्यादातर ऑफिस या कार्यक्षेत्र के दौरान साथ काम करने से होती है। दोनों का अलग बैकग्राउंड स्पर्धा की भावना को कम करता है। ऐसी दोस्ती गुरू-शिष्य में भी होती है। गुरु की शिक्षा और शिष्य के जीवनका उद्देश्य भी अक्सर इसी तरह की दोस्ती को जन्म देती है।
उम्र नहीं भावनाएं रखती हैं मायने
बुद्धेश्वर में रहने वाले हिमांशु का कहना है कि उनके बेस्ट फ्रेंड अनीत यादव हैं दोनों लोगों के बीच करीब 6-7 साल का फर्क है पर जब दोनों एक-दूसरे से बात करते हैं तो सामने वाले भी कन्फ्यूज हो जाते हैं हिमांशु बताते हैं कि अभी वह ग्रेजुएशन कर रहे हैं जबकि अनीत एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते हैं जब भी हिमांशु को कोई बात परेशान करती है, तो वह अनीतसे ही सजेशन लेते हैं घूमने-फिरने के दौरान दोनों मस्ती भी करते हैं हिमांशु का कहना है कि वह एक अच्छे दोस्त ही नहीं बल्कि गाइड भी हैं
पॉलिटेक्निक कर रही शालिनी की उनके मौसेरे भाई से बहुत पटती है शालिनी का कहना है कि वह अपने बड़े भाई अनुज सेकोई भी बात बिना डर के शेयर कर लेती हैं उनकी मानें तो अनुज भाई तो हैं ही, साथ ही एक अच्छे दोस्त और गाइड भी हैं जब भी शालिनी दो बातों को लेकर कंफ्यूज होती हैं, तो अनुज उन्हें सही रास्ता भी बताते हैं
शालिनी का कहना है कि अपने से बड़ी उम्र के लोगों से दोस्ती से न केवल खुद में समझदारी आती है बल्कि करियर को भी सही दिशा मिलती है।