आगरा: एच जेड रिजवी कहते हैं कि 2 घंटे खुश रहने के लिए शराब पियो, 2 साल खुश रहने के लिए शादी कर लो लेकिन अगर जिंदगी भर खुश रहना है तो माली बन जाओ। रिजवी करोड़ो की कोठी छोड़ कर अपने खानदानी कब्रिस्तान में रहते हैं और कब्रिस्तान की जमीन पर फूल उगाकर सालाना लाखों रूपए कमाते हैं। ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ भी रिजवी की तारीफ कर चुकी है।
करोड़ों की कोठी छोड़ कब्रिस्तान में उगाते हैं पेड़
शाहगंज में करोड़ो की हवेली में न रह कर रिजवी इस नर्सरी में मकान बनवाकर रहते है। रिजवी के अनुसार वो चाहे तो इस नर्सरी को अगर बन्द कर शादी ग्राउंड बनवा दें तो लाखों कमाएंगे पर नहीं ये पेड़ मेरे लिए सब कुछ है और एक सरकारी अधिकारी की तनख्वाह जितना आज भी मुझे आराम से मिल जाता है।
पुरखो का है कब्रिस्तान
आगरा की तहसील के निकट शाहगंज रोड पर रिजवी के दादा जामिर अली ने अपने पिता (रिजवी के परदादा) मरहूम अहमद हसन के लिए खानदानी कब्रिस्तान बनाया था। जिसे आज भी रिजवी का मकबरा नाम से जाना जाता है। उस ज़माने में बड़े जमींदार अपने लिए खास कब्रिस्तान बनवाते थे। बाद में इसी कब्रिस्तान में रिजवी दादा और पिता भी सुपुर्दे खाक हुए। इनके दादा को बागवानी का बहुत शौक था और दादा के साथ रहने की वजह से रिजवी का भी झुकाव बागवानी में था।
फूलों से दूर होने पर हो गए थे बीमार
रिजवी को बचपन से बागबानी का शौक था इसिलए एग्रीकल्चर से पढाई की और उसके बाद ए एस आई विभाग में उद्यान विद की नौकरी कर ली। उद्यान विभाग से रिटायर होने के बाद बिना पेड़ो के रहने पर रिजवी बीमार हो गए तब रिजवी ने अपने खानदानी कब्रिस्तान में अपने प्रकृति प्रेम के कारण सेवानिवृत्त होने के बाद शौकिया नर्सरी खोली और आज विदेशी फूलों और औषधियों की 200 से अधिक प्रजातियां उनके बाग़ की शोभा बढ़ाती हैं।
बिना रिजवी के फूलो के बगीचा नहीं होता कम्प्लीट
रिज़वी के अनुसार आगरा में जो भी गार्डन लवर है वो रिजवी के बगैर अपना बगीचा पूरा नही समझते हैं। रिजवी की नर्सरी में खिले हुए फूलो वाला पौधा नहीं बेचा जाता। इसलिए आने वाले पुष्प प्रेमी जाड़ो में आकर अपने लिए विदेशी फूलों की पौध लेकर जाते हैं, जबकि फूल उनमें मार्च अप्रैल में होते हैं। इनकी नर्सरी में 200 से अधिक प्रजातियों की पौध मौजूद है। जिनमें डहेलिया की 30 से अधिक किस्म जो की 12 इंच तक के फूल देती हैं के साथ- साथ अंतिराइनम, एस्टर,जेरेनियम,पेन्जि,पीटूनिया,अफ्रीकन गेंदे,लिली,फिलोकस,आदि फूल दर्शनीय हैं और चीकू अनार चेरी मशरूम आंवला अमरुद आलू बुखारा आदि ज्यादातर मशहूर फलों के पेड़ के साथ दवाई के लिए उपयोग की जाने वाली बडेलिया,पत्थर चटा,वाइटेक्स,पेडिलेंथस,जहरमोरा,मूसली भी उनकी नर्सरी में उपलब्ध हैं।
पत्नी देती हैं साथ
रिजवी के इस प्रेम में उनकी पत्नी शिरीनतो हर वक्त साथ देती हैं। कॉन्वेंट में पढ़ने वाला नवासा अब्बास भी मोबाइल कम्प्यूटर छोड़ बागवानी ही पसन्द करता है। शिरीन के अनुसार रिजवी कहते रहते थे कि 2 घंटे खुश रहने के लिए शराब पियो, 2 साल खुश रहने के लिए शादी कर लो लेकिन अगर जिंदगी भर खुश रहना है तो माली बन जाओ। यही सुन कर मैं भी इनके साथ हो गई। आज हमें घूमने के लिए कहीं जाना नहीं पड़ता है यह नर्सरी ही सबसे अच्छी लगती है।
सिर्फ फ़ोटो वाला वृक्षारोपण लगता है खराब
शहर के कई विद्यालयों में गेस्ट लेक्चर देते रहने वाले रिजवी को सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए होने वाले पौधरोपण बहुत खराब लगते हैं, इसलिए वो इस तरह के आयोजनों में जाना पसन्द नहीं करते।
350 साल से बन्द झरने को किया दुबारा शुरू
1961 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के सामने 350 सालों से बन्द पड़े किले के ऐतिहासिक झरने और फुव्वारे को शुरू करने को ए एस आई विभाग के रिटायर्ड उद्यान विद एच जेड रिज़वी अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। उनके अनुसार जब एलिजाबेथ को आगरा आना था तो उनके लिए कुछ अलग करने की खातिर जी जान से जुट गए और साढ़े तीन सौ सालों से बन्द आगरा किले के झरने और फव्वारे को दुबारा शुरू कर दिया।
रानी एलिजाबेथ ने की थी तारीफ़
शीशमहल जो की अब आमजनता के लिए प्रतिबन्धित है पर पहले दीपक जला कर रखे जाते थे और वो शीशे के महल झरना और दीपको की जुगलबन्दी जब 350 सालों बाद शुरू हुई तो उसे देखने के बाद रिजवी ने एलिजाबेथ से पूछा की आपको यह देख कर कैसा लगा तो रानी ने अनूठा अनुभव बताते हुए उनकी तारीफ़ की जो उन्हें हमेशा याद रहेगी। रिजवी ने बताया किले के झरने और फव्वारे के लिए चीनी मिटटी की पाइपलाइन थी जिसे शुरू करना आसान नहीं था। बाद में पाइप लीक होने की शिकायत को देखते हुए वहां लोहे की पाइपलाइन डाली गई जो अभी भी है।
मिल चुके हैं सैकड़ो पुरस्कार
38 सालों की नौकरी में रिजवी को विभाग ने सैकड़ो बार पुरस्कार दिए। दिल्ली में हुए एशियाड खेलो में आने वाले लोगों के स्वागत के लिए बाग़ तैयार करने के आलावा सारनाथ, नालन्दा विश्वविद्यालय, ताजमहल एयरफोर्स के बागों को सवांरने का श्रेय रिजवी को ही जाता है। रिजवी अब तक 500 से अधिक बार फूलों से सम्बंधित आर्टिकल्स में जगह पा चुके हैं।