लखनऊ: फलों में विटामिन,प्रोटीन आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। कोई फल आयरन की कमी तो कोई विटामिन की कमी को पूरा करता है। इसलिए लोग फल को अपने डायट में शामिल करते हैं। आज आपको एक ऐसे ही फल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको खाने से बीमारी नहीं होती है। इसे अंग्रेजी में ग्रोविओला, हिंदी में रामफल कहते हैं, ज्यादातर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण पूर्व एशिया के बरसाती जंगलों में पाया जाता है। कुछ साल पहले जब इसके बारे में नए रिसर्च किए गए तो पता चला की इसके रस में कई ऐसे तत्व होते है जो कैंसर का इलाज करने में कारगर है। इसमें यकृत और स्तन कैंसर के कीटाणुओं को मारने की क्षमता रखते हैं। यह देखने में शरीफे की तरह होता है।
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देशी है या विदेशी फल
देश के कई इलाकों में भी यह फल मिलता है जैसे हैदराबाद में भी मिलता है।रामफल एक सदाबहार फल है जो क्यूबा, मध्य अमेरिका, मैक्सिको, कोलंबिया, ब्राजील, पेरू और वर्षावन के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह फल कैंसर के रोगियों के साथ-साथ डॉक्टरों के लिए भी आशा की एक किरण है। इसका वैज्ञानिक नाम एनोना मुरिकाता है, और इस फल को कैंसर के नैचुरल इलाज के लिए भगवान का उपहार है। वैसे कई परिक्षण किए गए हैं लेकिन इसे कैंसर के लिए जरूरी कहा गया है। अभी तक के रिसर्च से ये माना जा रहा है के ये फल कैंसर के इलाज़ में काफी कारगर हो सकता है। ग्रेविओला, पत्ते, पाउडर, कैप्सूल के रूप में और यहां तक कि तरल रूप में भी उपलब्ध है।
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स्पेनिश इसे गुआनबाणा फल कहते हैं। पुर्तगाली ग्रेविओला कहते हैं। ब्राजीलियाई इसे गंदा, गुयाबानो, करोसोलिएर , गुआनावाना, नंगका ब्लॉन्डा, सिर्सक, और नंगका लोंडा के अलग-अलग नामों से बुलाते हैं। ये तो है विदेशी नाम और देश के दक्षिणी भाग में केरल में, यह बस कांटों के साथ शरीफा,या मुल्लथा के नाम से जाना जाता है और देश के उत्तरी इलाके में इसे शूल-राम-फल और हनुमान फल कहते हैं।
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कीमोथेरेपी से 10 हजार गुना अधिक प्रभावी
यह एक खट्टा फल है और कच्चा खाया जाता है और इसके गूदे या रस का शर्बत बनता है। इस फल में कैंसर रोधक गुण हैं। रिसर्च के अनुसार, यह एक कीमोथेरेपी से 10 हजार गुना अधिक प्रभावी है। इससे भी बड़ी बात ये है कि यह एक प्राकृतिक फलों का रस है, इसलिए किसी भी तरह का साइड इफ़ेक्ट नहीं होता। वैसे कैंसर के अलावा ग्रेविओला कई तरह के इलाज में उपयोग किया जाता है, ग्रेविओला उच्च रक्तचाप के प्रबंधन और उपचार में भी प्रयोग किया जाता है।
अपने एंटीबायोटिक गुणों के कारण ग्रेविओला फंगल संक्रमण से लड़ने में अद्भुत काम करता है तनाव, अवसाद और तंत्रिका संबंधी विकार से पीड़ित लोगों को इस फल लेने के बाद सकारात्मक परिणाम दिखाई दिए है। ग्रेविओला पेड़ कहीं भी आसानी उगते हैं जैसे हैदराबाद और कई दूसरे जगहों पर।
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ग्रेविओला के औषधीय गुण
इसकी पत्तियां कैंसर कोशिकाओं को मारने में प्रभावी हैं। यह प्राकृतिक चिकित्सा के रूप में प्रभावी है । इसका रस पेट के कैंसर, स्तन कैंसर, प्रोस्ट्रेट कैंसर, अग्नाशय के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर कोशिकाओं को मारता है। ग्रेविओला पेड़ की छाल, जड़ और यहां तक कि फल के बीज विभिन्न स्वास्थ्य के मुद्दों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया गया है।